कोटा में हर अपराधी पर रहेगी पुलिस की नजर

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए ‘एक अपराधी-एक पुलिसकर्मी ‘ योजना लागू करने का फैसला किया है। इस योजना का मकसद हार्डकोर अपराधियों, हिस्ट्रीशीटरों, आदतन अपराधियों पर व्यक्तिगत रूप से पुलिस की नजर रखकर उन पर नकेल कसना है।

इसके अलावा इन अपराधियों की आय का जरिया, आर्थिक संसाधन और चल-अचल संपत्ति का ब्योरा तैयार किया जाएगा, जिसका उद्देश्य वक्त-जरूरत इन अपराधियों की चल-अचल संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण स्थापित कर इन पर अपराधिक गतिविधियों से दूर रखने के लिए दबाव बनाया जा सके। इसके अलावा यदि इन अपराधियों की यह संपत्ति वैध तरीके से अर्जित की हुई नहीं पाई गई तो ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

कोटा के शहर पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने शनिवार सुबह पुलिस लाइन में कोटा के सभी थानों में हिस्ट्रीशीटरों, हार्डकोर अपराधियों, अपराधी सरगनाओं पर निगरानी रखने के लिए चलाई जा रही योजना ‘एक अपराधी-एक पुलिसकर्मी’ के तहत प्रत्येक अपराधी की निगरानी के लिए तैनात किए 202 पुलिसकर्मियों की बैठक आयोजित की और उनका मार्गदर्शन किया।

पुलिस अधीक्षक (शहर) श्री चौधरी ने बताया कि इस योजना के तहत कोटा शहर में चिन्हित प्रत्येक अपराधी पर निगरानी रखने के लिए संबंधित थाने से एक पुलिस अधिकारी या पुलिसकर्मी को मनोनीत किया गया है जो अपराधी की संपूर्ण गतिविधियों पर निगरानी रखेगा। कोटा शहर में कुल 397 हिस्ट्रीशीटर, 51 हार्डकोर, 4 गैंगस्टर,जिला स्तर के 10, कोटा रेंज स्तर के चार और राज्य स्तर के तीन कुख्यात अपराधी चिन्हित किए गए हैं।

श्री चौधरी ने बैठक में उपस्थित पुलिस कर्मियों को अपने संबोधन में निर्देश दिए कि प्रत्येक चिन्हित अपराधी पर निगरानी रखते हुए उसकी तमाम चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा रखा जाए। इसका मकसद यही है कि जिन अपराधियों ने गैरकानूनी तरीके से चल-अचल संपत्ति अर्जित कर रही है, तो ऐसे मामलों में तत्काल कार्यवाही की जाए।

साथ ही प्रत्येक चिन्हित अपराधी के आय स्त्रोत के बारे में भी जानकारी रखनी होगी ताकि आय के जरिए से इस बात का भी अनुमान लगाए जा सके कि वह क्या कार्य करके आय अर्जित कर रहे हैं और यह भी पता चल सके कि उनका काम वैधानिक है अथवा नहीं।

श्री चौधरी ने अपराधियों के तमाम सारे साथियों और परिवारजनों, उनकी सहायता करने वालों की जानकारी रखते हुए उन पर पूर्ण निगरानी रखने के निर्देश दिए। साथ ही थानों में पूर्व में चले आ रहे ऐसे हिस्ट्रीशीटर जो अब किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है और पिछले कई वर्षों से किसी भी आपराधिक वारदात में उनकी लिप्तता नहीं पाई जाती है तो ऐसी स्थिति में ऐसे अपराधियों की निगरानी बंद कर अपराध जगत में प्रवेश करने वाले नये बदमाशों पर निगरानी रखी जाए। क्योंकि निष्क्रिय हो चुके पुराने बदमाशों पर निगरानी रखना कारगर नहीं है।

श्री चौधरी ने ऐसे नए अपराधियों जो लगातार वारदातें कर रहे हैं तथा उनकी हिस्ट्रीशीट पत्रावली नहीं खोली गई है, उन पर भी पूर्ण निगरानी रखते हुए रिकॉर्ड तैयार कर भविष्य में उनकी हिस्ट्रीशीट खोले जाने के भी निर्देश दिए ताकि ऐसे अपराधियों की गतिविधियों पर समय रहते ही अंकुश लगाया जा सके।