बूंदी-रामगंजमंडी में सरसों-चने की एमएसपी पर खरीद सोमवार से

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स्पीकर बिरला के दखल के बाद तय हुआ हैंडलिंग का टेण्डर

कोटा। बूंदी और रामगंजमंडी क्षेत्र में एमएसपी पर सरसों और चने की खरीद सोमवार से प्रारंभ होगी। कांटे स्थापित होने के बाद भी हैंडलिंग का टेंडर अधिक दरों के कारण स्वीकृत नहीं होने से खरीद अटकी हुई थी। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के दखल के बाद नैफेड और राजफेड के अधिकारियों ने इसे गुरूवार को स्वीकृत कर दिया। इसके बाद अब किसान उचित मूल्य पर अपनी उपज को बेच सकेंगे।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से गत 14 मार्च को केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राजस्थान में सरसों और चने की एमएसपी पर खरीद के आदेश जारी किए थे। इसके तहत प्रदेश में 5450 रूपए प्रति क्विंटल की दर से 15.19 मिट्रिक टन सरसों और 5335 रूपए प्रति क्विंटल की दर से 6.65 मिट्रिक टन चने की खरीद की जानी है। इसके बाद राजफेड में कोटा और बूंदी में विभिन्न स्थानों पर सरसों और चने की खरीद कांटे स्थापित किए थे।

इन कांटों में रामगंजमंडी क्षेत्र में रामगंजमंडी, चेचट और सुकेत तथा बूंदी जिले के 7 केंद्रों पर हेंडलिंग के टेंडर में दरें अधिक आने के कारण फाइल को स्वीकृति के लिए जयपुर भेजा गया था। लेकिन वहां काफी समय बीत जाने के बाद भी दरें स्वीकृत नहीं होने के कारण खरीद प्रारंभ नहीं हो पा रही थी। इस कारण किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था।

इसकी जानकारी मिलने पर स्पीकर बिरला के निर्देश पर अधिकारियों ने दिल्ली और जयपुर में नेफैड तथा राजफेड के अधिकारियों से बात की। इसके बाद गुरूवार को टेंडर की फाइल को स्वीकृति दे दी गई। अब रामगंजमंडी क्षेत्र के तीनों केंद्रों तथा बूंदी के सात केंद्रों पर सोमवार से खरीद प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

राजफेड के गेहूं खरीद केंद्र जल्द प्रारंभ होंगे
कोटा-बूंदी में एमएसपी पर गेहूं की खरीद के लिए एफसीआई के कांटें प्रारंभ हो गए हैं। परन्तु राजफेड की ओर से टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण कोटा में 7 तथा बूंदी के 12 खरीद केंद्रों पर खरीद प्रारंभ नहीं हो सकी है। स्पीकर बिरला के निर्देश पर अधिकारियों ने राजफेड को टेंडर प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने को कहा है ताकि उनके कांटों पर भी खरीद प्रक्रिया प्रारंभ हो सके।

संवेदनशीलता के साथ किसानों का साथ देना होगा
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इस बार प्रकृति ने किसानों के साथ अन्याय किया है। किसानों की तैयार उपज बेमौसम बरसात और ओलों के कारण नष्ट हो गई। ऐसे में बची हुई उपज का किसानों को सही दाम मिले इसके लिए संवेदनशीलता के साथ प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सरसों और चने की एमएसपी पर खरीद होने से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा।