सेक्स करने से मना करना पति के प्रति क्रूरता, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला

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जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला देते हुए कहा कि पत्नी द्वारा पति के साथ संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी की युगलपीठ ने यह टिप्पणी की। इसके साथ ही कोर्ट ने कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित तलाक के आदेश को उचित करार देकर पत्नी की ओर से दायर अपील निरस्त कर दी।

जजों ने कहा कि पति-पत्नी दोनों पिछले कई वर्ष से अलग-अलग रह रहे हैं। यदि दंपति के बीच अलगाव काफी समय तक अनवरत रहता है तो उस स्थिति में दोनों में से कोई एक तलाक की याचिका दायर करता है, तो तय हो जाता है कि वह विवाह टूट गया है। मामला सीधी जिला से जुड़ा है, यहां की एक महिला ने कुटुम्ब न्यायालय सतना द्वारा जारी किए गए तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।

हाईकोर्ट की युगलपीठ ने याचिका देखकर पाया कि दोनों पक्षकारों का विवाह 26 मई, 2013 को हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न हुआ था। शादी के महज तीन दिन बाद ही आवेदिका के भाई ने परीक्षा दिलाने के लिए बहन को ससुराल से मायके ले गया। बाद में जब ससुराल पक्ष वाले उसे लेने गए तो महिला ने आने से इंकार कर दिया था।

इसके बाद आवेदक महिला ने पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज करा दिया। जिसके बाद अनावेदक पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कुटुम्ब न्यायालय सतना में तलाक के लिए आवेदन किया था। तलाक के समझौते में दोनों के हस्ताक्षर हुए। कुटुम्ब न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 अगस्त, 2021 को आवेदन को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री जारी की थी।

यहां पर अनावेदक पति ने तर्क दिया था कि शादी के बाद आवेदिका ससुराल में सिर्फ तीन दिन ही रुकी, इस दौरान उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए थे। महिला ने पति से कहा था कि वह उसे पसंद नहीं करती है, परिवार के दबाव में उसने यह शादी की थी। तीन दिन ससुराल में रहने के बाद वह अपने भाइयों के साथ चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी। जबकि ससुराल पक्ष की ओर से उसे वापस लाने का काफी प्रयास किया था।

पति ने कहा था कि महिला ने उसके विरुद्ध दहेज एक्ट व घरेलू हिंसा के झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित आदेश को उचित ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी।