राजस्थान तेल एवं गैस के मामले में पश्चिम एशिया को दे सकता है टक्करः अग्रवाल

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जयपुर। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि राजस्थान में निवेश के लिये परिवेश पूरी तरह अनुकूल है और यह राज्य तेल एवं गैस संसाधन के मामले में पश्चिम एशिया से मुकाबला करने में सक्षम है।

उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी राज्य गुजरात में लगने वाला वेदांता और फॉक्सकान का संयुक्त सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र राजस्थान के लिए भी काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह संयंत्र लगने से चिप के इस्तेमाल वाले तैयार उत्पादों की लागत काफी कम हो जाएगी और राजस्थान में टेलीविजन, मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के कारखानों का संकुल लगाया जा सकता है।

अग्रवाल ने यहां आयोजित ‘निवेश राजस्थान’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ राजस्थान सरकार की उद्योग अनुकूल नीतियों और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ राज्य में निवेश के लिये माहौल एकदम अनुकूल है। राजस्थान में जितना तेल और गैस भंडार है, वह पश्चिम एशिया का मुकाबला कर सकता है। दुर्लभ खनिज संसाधनों समेत अन्य खनिज संसाधनों के मामले में भी राजस्थान अव्वल है और इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं।’’

वेदांता समूह अपनी कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस के जरिये राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश और गुजरात में तेल ब्लॉक से कच्चे तेल का उत्पादन करती है। कंपनी के राजस्थान में मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्या नाम से तेल क्षेत्र हैं। कंपनी के अनुसार राजस्थान ब्लॉक में ये तीन बड़े खोज हैं जिसमें 2.2 अरब बैरल तेल के बराबर हाइड्रोकार्बन भंडार है।

अग्रवाल ने गुजरात में सेमीकंडक्टर चिप बनाने का कारखाना लगाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसका फायदा राजस्थान को भी हो सकता है। यहां टेलीविजन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने के कारखानों का संकुल लगाया जा सकता है। पड़ोसी राज्य गुजरात में स्थित सेमीकंडक्टर चिप और डिस्प्ले कारखानों से कच्चे माल सस्ते में मिलेगा, जिससे तैयार उत्पादों की कीमतें कम होंगी।

उन्होंने कहा कि चिप और ग्लास के स्थानीय स्तर पर विनिर्माण से लैपटॉप, टेलीविजन और मोबाइल फोन के दाम में उल्लेखनीय कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि वेदांता-फॉक्सकॉन 1,54,000 करोड़ रुपये के निवेश से गुजरात में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले बनाने का एक संयंत्र लगाएंगे। अग्रवाल ने कहा कि कारखाना अगले दो साल में चालू हो जाएगा। सेमीकंडक्टर चिप का उपयोग कार, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। फिलहाल ये भारत में नहीं बनते हैं और इनका आयात किया जाता है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में निवेश के लिये परिवेश अनुकूल है। हालांकि अग्रवाल ने कहा कि राज्य में पर्याप्त बिजली उत्पादन होने से औद्योगिक इकाइयों को सस्ती बिजली मिलनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान में डिजिटल मंजूरी स्व-घोषणा/प्रमाणन की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि उद्यमियों का समय और संसाधन बचे।