कोटा। राष्ट्रीय मेला दशहरा 2022 के तहत बुधवार को रावण दहन से पहले गढ़ पैलेस में परम्परागत दरीखाना सजा। जिसमें हाड़ौती के पूर्व ठिकानों के प्रतिनिधि परम्परागत वेशभूषा में सज-धज कर मौजूद रहे।
गढ़ में पूजा- अर्चना के बाद दरीखाने से राजसी वैभव और ठाट-बाट के साथ हाथी पर सवार होकर भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी निकाली गई। उनके पीछे महाराव इज्येराज सिंह खुली जीप में सवार होकर चल रहे थे।
सवारी गढ़ पैलेस से रवाना होकर किशोरपुरा दरवाजे से होते हुए दशहरा मैदान स्थित विजयश्री रंगमंच पहुंची। भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी में झांकियों के अलावा राम और रावण की सेना युद्ध करते हुए दिखी। राक्षस घोड़ों पर सवार थे तो वानर सेना हाथों में गदा लिए उनसे लड़ रही थी। माँ कालिका द्वारा असुर संहार और रौद्र रूप भी जनता को रास आया।
भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी में सबसे आगे 31 घुडसवार थे। काली माता, भगवान हनुमान व रावण समेत विभिन्न 10 झांकियां थी। उसके बाद अलग अलग प्रदेशों के लोक कलाकारों के दल भांगड़ा करते व 10 कच्ची घोड़ी नृत्य करते नजर आए।
शोभायात्रा में 70 वानर सैनिक और 70 रावण के सैनिक युद्ध करते हुए चल रहे थे। इस दौरान एक हाथी और 5 घोड़ा बग्घी मौजूद रही। भगवान की सवारी के साथ ऊँट गाड़ी में युद्ध के नगाड़े बजते हुए युद्ध दृश्य बनाए गए थे। मधुर स्वर लहरियां बिखेरते 5 बैंड थे। साथ ही मशक बैंड, आर्मी बैंड और पुलिस बैंड भी था।