विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 7400 करोड़ रुपये से अधिक निकाले

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नयी दिल्ली। भारतीय शेयर बाजारों को लेकर विदेशी निवेशकों का सतर्कता का रुख कायम है। इस महीने अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) शेयर बाजारों से 7,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं। अमेरिका में मंदी की आशंका और डॉलर के लगातार मजबूत होने से एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं। इससे पहले जून में एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 50,203 करोड़ रुपये निकाले थे।

मॉर्निंग स्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हालांकि, एफपीआई की बिकवाली की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन चीजें बहुत बदली नहीं हैं। ऐसे में यह उनके रुख में बदलाव का संकेतक नहीं है।’’ पिछले लगातार नौ माह से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में बिकवाल बने हुए हैं।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘विदेशी विनिमय बाजार को लेकर अनिश्चितता और डॉलर के लगातार मजबूत होने से इस बात की संभावना कम है कि एफपीआई आक्रामक तरीके से भारतीय बाजार में लिवाली करेंगे। ऊंचे स्तर पर वे फिर बिकवाल बन सकते हैं।’’

कोटक सिक्योरिटीज के प्रमुख इक्विटी शोध (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव कायम रहेगा। भूराजनीतिक जोखिम, बढ़ती मुद्रास्फीति और केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को सख्त किए जाने से एफपीआई उभरते बाजारों में बिकवाल बने रहेंगे।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 15 जुलाई के दौरान एफपीआई ने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से 7,432 करोड़ रुपये निकाले हैं। जून में एफपीआई ने 50,203 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। यह मार्च, 2020 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। उस समय एफपीआई ने 61,973 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।

इस साल अबतक एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से 2.25 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं, जो रिकॉर्ड स्तर है। इससे पहले 2008 के पूरे साल में उन्होंने 52,987 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 879 करोड़ रुपये निकाले हैं।