बाड़मेर। अब राजस्थान के थार क्षेत्र में ज़मीन के भीतर हजारों मीटर गहराई में प्राकृतिक रूप से मौजूद ऊष्मा का उपयोग करते बिजली का उत्पादन किया जाएगा। जियो थर्मल एनर्जी की सहायता से ऐसा किया जाएगा। बाड़मेर जिले में तेल और गैस की खोज और उत्पादन करने वाली केयर्न ऑयल एंड गैस ने एनर्जी टेक्नोलॉजी कंपनी बेकर ह्यूजेस के साथ इसे लेकर एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। इस अनुबंध के तहत कंपनी के तेल और गैस के रिपर्पज्ड कुओं से जियोथर्मल एनर्जी को काम में लिया जाएगा।
इस अनुबंध के सफल होने के बाद अब केयर्न ऑयल एंड गैस तेल और गैस के साथ 2.4 मेगावाट तक बिजली का सह-उत्पादन करेगी। इससे हर साल 17,000 टन ग्रीनहाउस गैस से छुटकारा मिलेगा। यह अनुबंध केयर्न ऑयल एंड गैस की ओर से से हाल ही में घोषित ईएसजी के रोडमैप के बाद हुआ है। इसमें उसने 2050 तक शून्य-उत्सर्जक कंपनी बनने का वचन दिया था।
इस मामले के बारे में केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह ने कहा है कि “केयर्न में हम भारत में घरेलू ऊर्जा की मांग को पूरा करने और क्रियाकलापों में स्थायित्व को प्रोत्साहित करने के लिये भी मजबूती से प्रतिबद्ध हैं। बेकर ह्यूजेस के साथ हमारे जुड़ने से सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी का भारत की हरित ऊर्जा में योगदान मिलेगा। पूरी दुनिया में तेल के सूखते कुओं से जियोथर्मल एनर्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये अभियान चल रहा है। केयर्न में हम भारत में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक पद्धतियाँ लाने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के सफर में सहयोग देने के लिये प्रतिबद्ध हैं।”
रिसर्च शुरू: मिली जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट की व्यावहारिकता के अध्ययन शुरू कर दिया गया है। पहला चरण परियोजना शुरू होने के बाद चार महीनों में पूरा होगा। इसमें जियोसाइंस डाटा का एकीकरण और उसकी व्याख्या, क्षेत्र की जियोथर्मल क्षमता का अध्ययन, सतही सुविधाओं को समझने के लिये क्षेत्र का दौरा और समीक्षा की एक संपूर्ण रिपोर्ट बनाना शामिल है।