विधायी संस्थाओं के सदस्यों को सदन की मर्यादा के दायरे में ही विरोध करना चाहिए

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गुवाहाटी। 8वां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (भारत क्षेत्र) सम्मेलन का समापन असम विधान सभा गुवाहाटी में मंगलवार को संपन्न हुआ। समापन समारोह में असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए), क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य रखने वाला एक वैश्विक मंच है, जो दुनिया भर में संसदीय लोकतंत्र को बढ़ावा दे रहा है। प्रो. मुखी ने कहा कि विधान सभाएं राष्ट्र के लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे को मजबूत करती हैं और विधानसभाओं के सुचारू कामकाज में पीठासीन अधिकारियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रो. मुखी ने कि भारत का विकास और भविष्य उसकी युवा शक्ति और लोकतांत्रिक लाभांश से संचालित होगा। इस संबंध में, उन्होंने कहा कि युवा केंद्रित कानून दुनिया भर में मुख्यधारा में आना चाहिए। आजादी का अमृत महोत्सव के विषय में उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में लोकतंत्र पर लोगों का विश्वास सशक्त हुआ है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधायी संस्थाओं के सदस्यों को सदन की गरिमा और मर्यादा के दायरे के भीतर विरोध करना चाहिए। बिरला ने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करना प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी है कि सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा में वृद्धि हो। बिरला ने यह भी कहा कि सदस्यों को नियोजित व्यवधानों का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह संसदीय लोकतंत्र में उचित नहीं है।

बिरला ने याद दिलाया कि युवा न केवल देश का भविष्य हैं बल्कि वे वर्तमान की भी आशा हैं। यह उल्लेख करते हुए कि युवाओं की अधिक भागीदारी लोकतांत्रिक संस्थानों को अधिक जवाबदेह और सहभागी बनाएगी, उन्होंने कहा कि युवा अपनी ऊर्जा, क्षमता और नवाचार के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और भविष्य के लिए सार्थक समाधान लाने में सक्षम हैं।

नए भारत में युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बिरला ने कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे नीति निर्माण और विधायी प्रक्रियाओं में युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें और देश के विकास के लिए उनका अधिकतम उपयोग करें। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend)प्राप्त करने के लिए हमारी नीतियां और कार्यक्रम युवा केंद्रित होने चाहिए।

बिरला ने जोर देकर कहा कि ग्रामीण भारत सहित पूरे भारत के युवाओं को आधुनिक तकनीक में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए और उन्हें खेलों के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि उनका समग्र व्यक्तित्व विकसित हो सके। इस संबंध में बिरला ने युवाओं से राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारी के प्रति सचेत रहने का आग्रह किया।

लोक सभा अध्यक्ष ने आजादी का अमृत महोत्सव के विषय में कहा कि यह अमृत काल देश की समग्र प्रगति तथा सभी वर्गों की क्षमता के उत्थान के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि देश की योजनाओं और कार्यक्रमों को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक, भारत आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से दुनिया का नेतृत्व करे।

बिरला ने कहा कि सम्मेलन के दौरान किया गया विचार-विमर्श न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ बिरादरी के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इस तरह के सम्मेलन हमारे विधायी निकायों में मज़बूत लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय प्रणालियों और प्रक्रियाओं को स्थापित करने और विभिन्न विधायिकाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उपसभापति, राज्य सभा हरिवंश ने सदन में गहन चर्चा के बाद महत्वपूर्ण मुद्दों पर समय पर कानून निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि कानून बनाने में युवा कानूनी प्रोफेशनल्स और डोमेन विशेषज्ञों को शामिल करने से कानूनों की गुणवत्ता में सुधार होगा।

समसामयिक चुनौतियों का समाधान खोजने में युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए उपसभापति ने कहा कि जलवायु नीतियां और शहरी मुद्दों में युवा भागीदारी से जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव आएंगे। श्री हरिवंश ने जोर देकर कहा कि युवा शक्ति परमाणु शक्ति की तरह है; राष्ट्र के विकास के लिए इसे ठीक से निर्देशित किया जाना चाहिए।

इससे पहले, प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, असम विधान सभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने कहा कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) संसदीय प्रक्रियाओं और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि सम्मेलन में विचारों का आदान-प्रदान दुनिया भर के लोकतान्त्रिक देशों की वैश्विक स्तर पर आवाज सुनिश्चित करने में बहुत आगे जाएगा। दैमारी ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत के युवा नवाचार में सबसे आगे हैं और उनकी ऊर्जा और शक्ति राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करेगी।