ऐसी कंपनी जिसने अपने 500 कर्मचारियों को बना दिया करोड़पति, जानिए कैसे

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चेन्नई। बिजनस सॉफ्टवेयर फर्म फ्रेशवर्क्स इंक (Freshworks Inc) ने बुधवार को अमेरिकी एक्सचेंज नैसडैक (Nasdaq) पर धमाकेदार एंट्री की। इसके साथ ही कंपनी ने अपने 500 कर्मचारियों को करोड़पति बना दिया। इसमें से 69 की उम्र 30 से कम है। यह नैसडैक में लिस्ट होने वाली भारत की पहली सॉफ्टवेयर एज सर्विस (SaaS) और यूनिकॉर्न कंपनी है। गिरीश मातृभूतम (Girish Mathrubhootam) की इस कंपनी के शेयर ने नैसडैक इंडेक्स पर अपने इश्यू प्राइस से 21 फीसदी प्रीमियम पर एंट्री की। इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप 12 अरब डॉलर के ऊपर पहुंच गया।

उन्होंने कहा कि फ्रेशवर्क्स के पब्लिक होने से कंपनी के 500 कर्मचारी करोड़पति बन गए हैं जिनमें से 69 की उम्र 30 साल से कम है। फ्रेशवर्क्स के दो-तिहाई कर्मचारी शेयरहोल्डर हैं। कंपनी के कोफाउंडर और सीईओ मातृभूतम ने कहा कि जिन्होंने कंपनी को बनाने में दिनरात मेहनत की, उन्हें इसका इनाम मिलना चाहिए। भारत में हमारे 500 से अधिक कर्मचारी करोड़पति बन जाएंगे। इनमें से 69 की उम्र 30 साल से कम है। भारत के बजाय अमेरिकी में कंपनी लिस्ट कराने के बारे में उन्होंने कहा कि फ्रेशवर्क्स शुरुआत से ही एक ग्लोबल कंपनी रही है। इसके कस्टमर 120 से अधिक देशों में है और इसका ज्यादातर रेवेन्यू अमेरिका से ही आता है।

कर्मचारियों को अहमियत
मातृभूतम ने दिग्गज क्रिकेटर रामचंद्रन अश्विन के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि वह बिजनस परिवार से नहीं आते हैं। उनके पिता बैंक में काम करते थे। मैंने खुद एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया है। इसलिए मैं एक आम कर्मचारी के सपनों को अच्छी तरह समझता हूं। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं खुद के लिए बीएमडब्ल्यू खरीदने के लिए यह कंपनी शुरू नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं चाहता हूं कि हरेक कर्मचारी के पास बीएमडब्ल्यू हो। सफल होने की पहले कड़ी सपने देखना है। कंपनी की सफलता का श्रेय अपने सभी कर्मचारियों को देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं कर्मचारियों के योगदान के लिए उनका शुक्रगुजार हूं। मेरा मानना है कि फ्रेशवर्क्स को बनाने में केवल मेरी भूमिका नहीं है, हम सब मिलकर इसे बना रहे हैं।’

देश के सबसे सफल सॉफ्टवेयर स्टार्टअप फाउंडर्स में से एक मातृभूतम तमिल सुपरस्टार रजनीकांत के जबरदस्त फैन हैं। रजनीकांत के प्रति उनकी दीवानगी का आलम यह है कि जब भी रजनीकांत की कोई नई फिल्म रिलीज होती है तो वह अपने कर्मचारियों के लिए चेन्नई में पूरा हॉल बुक करा लेते हैं। अपने बिजनस को पंख देने के लिए वह भले ही अमेरिका चले गए हैं लेकिन रजनीकांत के प्रति उनकी दीवानगी अब भी बनी हुई है। उन्होंने अपने आईपीओ का नाम प्रोजेक्ट सुपरस्टार रखा था।

कब हुई थी शुरुआत
फ्रेशवर्क्स की शुरुआत 2010 में हुई थी। तब मातृभूतम और शान कृष्णसामी ने क्लाउड बेस्ड कस्टमर सर्विस सॉफ्टवेयर पर काम शुरू किया था। अपने दोस्तों के बीच जी के नाम से मशहूर मातृभूतम ने तंजौर की शास्त्र युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद जोहो (ZOHO) में काम किया। फ्रेशवर्क्स की स्थापना जब हुई तब तक दुनिया में कई कंपनियां इस सेक्टर में उतर चुकी थीं। तब इसकी सफलता पर संदेह जताया जा रहा था।

2011 में मिली पहली फंडिंग
फ्रेशवर्क्स को पहली फंडिंग 2011 में मिला। Accel ने इसमें 10 लाख डॉलर निवेश किया। उसी साल कंपनी को अपना पहले कस्टमर भी मिला। इसके बाद फ्रेशवर्क्स ने अपने प्रॉडक्ट रेंज का विस्तार करते हुए सेल्स और सीआरएम को भी जोड़ा। साथ ही फ्रेशवर्क्स को फ्रेशडेस्क के रूप में रिब्रांड किया गया। 2021 में इसका एन्युअल रिकरिंग रेवेन्यू 49 फीसदी तेजी के साथ 30 करोड़ डॉलर को पार कर गया। साथ ही उन्होंने स्टार्टअप्स में निवेश के लिए एक फंड भी बनाया है।

क्या करती है कंपनी
कंपनी का बिजनेस मॉडल अपमार्केट सेल्स और उसके प्रोडक्ट पर आधारित है। सेल्स मॉडल पर इस कंपनी ने बहुत अच्छा काम किया है। फ्रेशवर्क्स के मुताबिक बिजनस सॉफ्टवेयर महंगा है और साथ ही इसे यूज करने भी आसान नहीं है। फ्रेशवर्क्स ‘रेडी टू गो’ सॉफ्टवेयर बनाती है जिसे इस्तेमाल करना आसान है। इसके लिए कंपनी ने अपना कस्टमर केयर कॉल सपोर्ट भी बनाया है जहां किसी भी वक्त जानकारी ली जा सकती है। इस कंपनी के दफ्तर दुनिया के कोने-कोने में फैले हैं जिनमें पेरिस, नीदरलैंड्स और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं। फ्रेशवर्क्स में स्टीडव्यू कैपिटल, एस्सेल, कैपिटल जी, सिकोया कैपिटल, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है।