नई दिल्ली। तिल में क़ीमतें धीरे-धीरे कमजोर स्तर से काफी तेज़ हो चुकी है, और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आगे भी कीमतों में 5/10 रूपए की और तेजी देखने मिल सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, चालू ख़रीफ सीजन वर्ष के दौरान देश में तिल की फ़सल का औसत उत्पादन बीते वर्ष के 3.5 लाख टन के मुकाबले घटकर लगभग 1.75/2 लाख टन की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसके अलावा इस बार बिजाई भी देरी से होने के कारण नई फ़सल के 10 नवंबर से पूर्व मंडियों में आने की संभावना बहुत ही कमजोर नज़र आ रही है। हालाँकि कुछ अगैती बिजाई वाली मंडियों में छिटपुट माल की शुरुआत जरूर देखने मिल सकती है। लेकिन मंडियों में ठीकठाक दबाव 10 नवंबर के बाद दिखने के आसार है।
विशेषज्ञों के अनुसार, तिल में घरेलू मांग सितंबर माह से प्रारम्भ हो जाती है जिसको देखते हुए सितंबर-अक्टूबर माह में बचे हुए शेष स्टॉक लगभग समाप्त होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। नई फसल की बिजाई कमजोर रहने एवं भीषण बारिश से बुंदेलखण्ड क्षेत्र के उत्पादक केंद्रों में नई तिल फ़सल को बड़ा नुक़सान पहुँचने की आशंका को देखते हुए इस वर्ष देश को तिल आयात करने की भी मजबूरी का सामना करना पड़ सकता है।
बुंदेलखंड के जालौन,कालपी,उरई,एट मोठ एवं चिरगांव के साथ मऊरानीपुर,गुरसराय व शिवपुरी, शऊपुर- कलां, नॉगांव,छतरपुर, राजनगर, लौंडी आदि क्षेत्रों में कही ज़्यादा तो कही सीमित नुक़सान पहुँचने की खबरें मिल रही है। इन सभी खबरों के बीच कोरियाई टेंडर में भारत को प्राप्त हुई मज़बूत हिस्सेदारी के चलते देश के प्रमुख तिल बाज़ार ग्वालियर में कल संपन्न हुए कारोबार के दौरान तिल की कीमतों में तेज़ी का माहौल दर्ज किया गया और हलिंग व 99/1/1 माल का व्यापार बढ़कर क्रमशः 106/108 रुपये एवं 107/109 रुपये प्रति किलों पर पहुँच गया।
राजकोट में धवल एग्री का 99/1/1 बढ़िया माल का भाव पूर्व स्तर 102 रुपये पर ही स्थिर रहा। दूसरी ओर कानपुर बाज़ार भी क़ीमतें तेज़ी के साथ सुनी गयी और हलिंग माल का व्यापार 105/107 रुपये एवं बढ़िया व्हाइट माल 99/1/1 व्यापार 106/108 रुपये पर सुना गया।बाज़ार के जानकार विशेषज्ञ मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अभी कीमतों में और तेज़ी की उम्मीद लगा रहे है।
दूसरी ओर, वर्तमान में वैश्विक बाज़ार में हाजिर में 1300 डॉलर से कम में कोई भी बिकवाल नहीं है और यह माल भी भारत में नवंबर-दिसंबर माह से पहले आने की उम्मीद नहीं है। जबकि अगले दो माह की मांग के सामने फ़िलहाल मौजूदा स्टॉक को कम माना जा रहा है जिसके चलते तिल के बाज़ारों में अब आगे मंदी में रहना समझदारी नहीं होगी।
विशेषज्ञ जानकारों के अनुसार इस वर्ष आगे अनुकूल माहौल के बीच तिल की कीमतें नया रिकॉर्ड स्तर भी बना सकती है। गौरतलब रहे कि तिल पूर्व में 120 रुपए के भाव ग्वालियर बाजार में बिकने की ख़बर है, जानकर इस इस स्तर तक जाने औऱ अधिक अनुकूल माहौल के बीच इससे भी ऊपर जाने की संभावना से इंकार नहीं कर रहे है।इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए आगामी दिनों के दौरान मंडियों में तिल का लूज व्यापार 5/7 रुपए प्रति किलो और बढ़ने की उम्मीद बन रही है।