बैंकों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पर लगाए गए चार्ज वापस करने का आदेश

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नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने रविवार को बैंकों को 1 जनवरी 2020 के बाद से किए गए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पर लगाए गए चार्ज को वापस करने के लिए कहा है। इसके लिए एक सर्कुलर जारी किया गया है।

सर्कुलर के अनुसार, सीबीडीटी को कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि बैंक यूपीआई (UPI) के माध्यम से किए गए लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क ले रहे हैं। यूपीआई में लेन-देन की एक निश्चित संख्या को नि:शुल्क अनुमति दी जाती है, लेकिन इसके आगे हर लेनदेन पर शुल्क लगता है।

सर्कुलर में भारत सरकार के अवर सचिव अंकुर गोयल ने कहा, यह पीएसएस अधिनियम की धारा 10ए और साथ ही आईटी अधिनियम की धारा 269एसयू का उल्लंघन है। इस तरह का उल्लंघन आईटी अधिनियम की धारा 271 डीएस और पीएसएस अधिनियम की धारा 26 के तहत दंडात्मक प्रावधानों की तरफ इशारा करता है।

अधिकांश निजी बैंक एक महीने में 20 से अधिक बार यूपीआई का उपयोग करके व्यक्ति-से-व्यक्ति भुगतान पर 2.5 से 5 रुपये का शुल्क ले रहे हैं। हालांकि, सरकार इस तरह के आरोपों पर रोक लगाने के बावजूद, बैंकर कह रहे हैं कि उन्होंने सिस्टम पर भार डालने से फर्जी लेनदेन को रोकने के लिए इन शुल्कों को पेश किया है।

एक अगस्त के एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा संचालित चैनल ने जून में 2.61 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन का आंकड़ा पेश किया था, जो जुलाई में बढ़कर 2.90 लाख करोड़ रुपये हो गया।