जयपुर। पद्मश्री पुरस्कारों के लिए राजस्थान से 5 लोगों का चयन हुआ है। अलवर की ऊषा, सीकर के सुंडाराम वर्मा, बगरू के मुन्ना मास्टर और राजस्थान भर में काम कर चुके हिम्मताराम भांभू और उस्ताद अनवर खान का नाम शामिल है। जिसमें से ऊषा को कभी परिवार चलाने के लिए मैला ढोने पर मजबूर होना पड़ा। एक संस्थान की मदद से उनका जीवन बदल गया। आज वे लाखों महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं।
ऊषा जब 10 साल की थीं तब उनकी शादी हो गई। मैला ढोने के कारण अछुत के तौर पर देखा जाता था। ऊषा की जिंदगी में ये बदलाव तब आया जव वे ‘सुलभ इंटरनेशनल’ नाम की संस्था से जुड़ीं। सुलभ इंटरनेशनल से जुड़कर उन्होंने न सिर्फ मैला ढोने का काम छोड़ा, बल्कि लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया। उन्हें ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (बीएएसएएस) के सालाना सम्मेलन में ‘स्वच्छता और भारत में महिला अधिकार’ विषय पर संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
सुंडाराम ने बनाई 3 साल में 7 फसलें लेने की तकनीक
सीकर के रहने वाले सुंडाराम (68) पानी बचाने की तकनीक के साथ करीब 50 हजार पेड़ लगा चुके हैं। जिसमें एक पेड़ लगाने के लिए सिर्फ 1 लीटर पानी की जरूरत होती है। उनकी तकनीक को राजस्थान सरकार के जल संरक्षण विभाग की मान्यता के साथ ही देश के प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक व हरित क्रांति के जनक डॉ. स्वामीनाथन ने भी सराहा है। सुंडाराम वर्मा राष्ट्रपति भवन में आयोजित प्रदर्शनी में भी हिस्सा ले चुके है।
सुंडाराम साइंस ग्रेजुएट है। वह कृषि संबंधी शोध विषयों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुके है। सुंडाराम वर्मा ने राजस्थान की 15 फसलों की लगभग 700 से ज्यादा प्रजातियों को इकट्ठा कर उनका बारीकी से अध्ययन किया। उत्कृष्ट कृषि से जुड़े उनके इस कार्य को दिल्ली के पूसा संस्थान ने भी मान्यता दी है। उन्होंने आदर्श फसल चक्र का भी निर्माण किया है। जिसमें किसान अपने एक ही खेत में 3 वर्ष में 7 फसलें उगा सकता है। इससे किसान ना केवल अच्छा मुनाफा कमाएगा बल्कि पैदावार में स्थिरता को बनाए रखने के साथ जमीन की गुणवत्ता भी बनाए रखी जा सकती है।
लाखों पेड़ लगा चुके हिम्मतराम भांभू
पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू (63) राजस्थान में जगह-जगह जाकर लोगों को जंगलों को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरणा देते हैं। इसके साथ वे करब 1000 पक्षियों और जानवरों को रोज 20 किलो दाना खिलाते हैं। इसके साथ वे ड्रग्स की आदत के खिलाफ भी काम करते हैं। हिम्मतराम राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले हैं। स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने मेकेनिक का भी काम किया। एक छोटा पीपल का पेड़ लगाने से शुरू हुआ हिम्मतराम का सफर आज राजस्थान भर में फैल चुका है। वे अब तक लाखों पेड़ लगा चुके हैं। जिसके चलते वे राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार – 2014 से भी सम्मानित किए जा चुके हैं।
नमाज भी करते हैं तो भजन भी गाते मुन्ना मास्टर
जयपुर के पास बगरू के रहने वाले मुन्ना मास्टर (61) राम-कृष्ण भजन गायक हैं। जो अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इन्होंने ‘श्री श्याम सुरभि वंदना’ नाम से एक किताब भी लिखी है। वे नमाज भी करते हैं तो भजन भी पढ़ते हैं। जिसके साथ उन्हे संस्कृत की भी जानकारी है। वहीं गायों की भी देखभाल करते हैं। इनके बेटे फिरोज खान बीएचयू में संस्कृत प्रोफेसर लगने पर चर्चा में आए थे।