इरादों की अडिग चट्टान बनकर हवा का रुख बदलना चाहती हूं: कविता किरण

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विजयश्री रंगमच पर देर रात तक अटल राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही काव्य की रसधार

कोटा। नगर निगम कोटा की ओर से 126 वे मेला दशहरा के उपलक्ष्य में विजयश्री रंगमंच पर गुरुवार देर रात अटल राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में खूब रंग जमा। देश के विभिन्न प्रांतो से आये कवियों में से किसी ने हास्य की फुलझड़ियाँ छोड़ गुदगुदाया, किसी ने वीर रस की कविता सुना देश भक्ति का माहौल पैदा कर दिया तो किसी ने राजनीति पर खूब कटाक्ष किया।

फालना से आई कवयित्री कविता किरण ने नए सांचे में ढलना चाहती हूं, नियम सारे बदलना चाहती हूं, इरादों की अडिग चट्टान बनकर हवा का रुख बदलना चाहती हूं…सुनाई।
इंदौर से आये कवि चेतन चर्चित ने सब्र के बांध को कड़ा होना पड़ा, जिम्मेदारी ली और खड़ा होना पड़ा…सुनाई। ब्यावर से आये श्याम अंगारा ने हर नाता छोटा है, सबसे बड़ा देश का नाता…सुनाकर देश के वर्तमान हालात पर ध्यान खींचा।

इससे पहले रात करीब पौने 10 बजे सम्मानित अतिथि कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, कांग्रेस प्रदेश कमेटी के महासचिव पंकज मेहता, सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवयित्री डॉ. रचना तिवारी ने मां सरस्वती वंदना से सम्मेलन की शुरूआत की। इसके बाद लाखेरी के कवि भूपेंद्र राठौर ने अब दिल्ली ने पिंडी के गालों पर चांटा मारा है, जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है..सुनाई तो दर्शक दीर्घा भारत माता के जयघोष से गूंज उठा।

कवि प्रसाद हरि प्रजापत ने 370 धारा नहीं, वह तो जलती आग थी, संविधान की धाराओं में वह एक दाग थी..सुना कर माहौल को नई ऊंचाई दी। मंच से कवि अशोक चारण, उमेश उत्साही, गजेंद्र प्रियांशु, डॉ. रूचि चतुर्वेदी, डॉ. अनिल चोबे, मुन्ना बैटरी, साजन ग्वालियरी, सुरेंद्र सार्थक, कमलेश शर्मा, निशामुनि गौड़, नरेश निर्भिक, प्रदीप पंवार, ओम सोनी, प्रेरणा ठाकरे, उमेंद्र राठौर, श्याम बिहारी अंगारा, चेतन चर्चित, भगवानदास मकरंद, राजेंद्र पंवार, डॉ. फरीद खान, संजय ने देर रात काव्य चले एक कवि सम्मेलन में काव्य पाठ किया। संचालन मनधीर मधुर ने किया।