रिजर्व बैंक की एमपीसी की बैठक का तीसरा दिन, रेपो रेट पर फैसला आज

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नई दिल्ली। आम चुनाव -2024 के परिणाम आने के बाद अब शुक्रवार को ब्याज दरों को लेकर भी स्थिति साफ हो जाएगी। ब्याज दर तय करने वाली आरबीआई के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक दो दिनों से चल रही है और 7 जून, 2024 को अपना फैसला लेगी कि देश में रेपो रेट (बैंकों की उधारी दर को तय करने वाली व्यवस्था) को मौजूदा स्तर पर स्थिर रखना है या इसमें कोई बदलाव करना है।

कई विशेषज्ञों ने कहा है कि महंगाई की स्थिति में नरमी के बावजूद आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट को स्थिर ही रखेगा। हालांकि पूर्व में एमपीसी कई बार चौंकाने वाला फैसला भी करता रहा है। यूनियन म्युचूअल फंड के प्रमुख (स्थाई आय) परिजात अग्रवाल ने कहा है कि, “हमें उम्मीद है कि इस बार भी एमपीसी को 6.5 फीसदी पर ही स्थिर रखा जाएगा।

हालांकि बाजार में तरलता की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। चूंकि केंद्र में नई सरकार के आने के बाद खर्चे की रफ्तार बढ़ाए जाने की संभावना है इसलिए बैंकिंग व्यवस्था के पास ज्यादा फंड उपलब्ध कराने की कोशिश होगी। जहां तक महंगाई की बात है तो खाद्य उत्पादों की कीमतों की वजह से स्थिति बहुत नियंत्रण में नहीं है।”

ब्‍याज दरों में बदलाव की संभावना नहीं: आइटीआई म्यूचुअल फंड के प्रमुख (स्थाई आय) विक्रांत मेहता का कहना है कि, “यह देखना जरूरी है कि ब्याज दरों को लेकर एमपीसी क्या संकेत देता है। एमपीसी की पिछली बैठक के बाद वैश्विक हालात ज्यादा अनिश्चत हो गये हैं। यह भी देखा जा रहा है कि दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंक भी ब्याज दरों को उम्मीद से ज्यादा समय तक स्थिर रखा हुआ है। जहां तक भारत की बात है तो आरबीआई की तरफ से अभी ब्याज दरों में बदलाव करने की संभावना कम है।”

बढ़ सकती है खाद्य महंगाई: इस संदर्भ में कुछ बैंकरों ने कहा है कि भारत में महंगाई की स्थिति यूरोपीय देशों के मुकाबले अलग है। यहां गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है जिन पर महंगाई में थोड़ी बहुत वृद्धि होने का बड़ा असर होता है। आरबीआई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में खाद्य महंगाई की स्थिति और बिगड़ सकती है। कुछ दिन पहले ही एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट आई थी जिसमें वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में रेपो रेट में कमी की उम्मीद जताई गई थी।