नई दिल्ली। शराब पीकर गाड़ी चलाना आने वाले दिनों में लोगों को महंगा पड़ेगा। नशे की हालत में गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। अभी यह 2000 रुपये था। इस संबंध में लोकसभा में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बिल पेश करते हुए कहा कि वर्ष 1988 के मोटर यान कानून में 30 साल बाद संशोधन के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने बिल को जल्द से जल्द पारित करने की सदन से अपील की। उन्होंने शराब पीकर होने वाले हादसों के लिए कम प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नियमों से लेकर यातायात नियमों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जनता में यातायात नियमों के प्रति न सम्मान है और न ही डर।
ई-गर्वनेंस अनिवार्य
गडकरी ने बताया कि बिल में यातायात नियमों और ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के संबंध में राज्यों के लिए ई-गर्वनेंस को अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां ड्राइविंग लाइसेंस बहुत आसानी से मिल जाता है और एक व्यक्ति चार राज्यों में जाकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेता है।
घर बैठे आवेदन
परिवहन मंत्री ने कहा कि लोग अब घर बैठे लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे लेकिन स्थायी लाइसेंस बनवाने के लिए कंप्यूटर के जरिए परीक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि नेता, अभिनेता या पत्रकार चाहे कोई भी हो, सभी को परीक्षा देकर ही लाइसेंस मिल सकेगा।
प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी
गडकरी ने कहा कि देश में 22 लाख प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी है और मोटर यान कानून में संशोधन से लोगों को रोजगार के साथ ही सड़क हादसों में भी कमी लाने में मदद मिलेगी।
सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन होगा
मंत्री ने कहा कि नए कानून के प्रभावी होने के बाद यदि मंत्री भी यातायात नियमों का उल्लंघन करता है तो कैमरों के जरिए जुर्माना पर्ची डाक से घर पहुंचा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही सरकार एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करने जा रही है जिसके बाद सुरक्षित यातायात के संबंध में एक अभियान चलाया जाएगा।
शराब का दुष्प्रभाव
5 लाख से अधिक सड़क हादसे हर साल होते हैं
1.5 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है
नए विधेयक में क्या
अब ड्राइविंग लाइसेंस को आधार से जोड़ा जाएगा, जिससे गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन डीलर ही करेगा। रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ई-रजिस्ट्रर बनेगा और स्क्रैपिंग के लिए अलग गाइडलाइंस बनेगी। अब लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आइडेंटिटी वेरिफिकेशन जरूरी कर दिया गया है।
ट्रैफिक नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना
हेलमेट न लगाने पर 25 सौ रुपये, लाल बत्ती तोड़ने पर 1000 रुपये, सीट बेल्ट न लगाने पर 1000 और वाहन चलाते हुए मोबाइल पर बात करने पर 5,000 रुपये जुर्माना लगेगा। किसी नाबालिग की गाड़ी से दुर्घटना में मौत होने पर उसके परिजनों पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना और 3 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है।
अब सड़क दुर्घटना में मौत होने पर उनके परिजनों को 4 महीने के भीतर मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि पहले इसमें 5 साल तक लग जाते थे। इसके अलावा आपका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है। लाइसेंस नियमों के उल्लंघन पर 25 हजार से 1 लाख तक का जुर्माना लगाया गया है।
सरकारी कर्मचारियों पर दोगुना जुर्माना
नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सरकारी कर्मचारियों के नियम तोड़ने पर 2 गुना जुर्माना भरना होगा। वहीं ओला-उबर भी इस नीति के दायरे में आएंगे।
सख्त हुए नियम: शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार का जुर्माना होगा
रिलायंस जियो का नया सरप्राइज, जियो ब्रॉडबैंड और DTH जल्द हो सकता है लॉन्च
नई दिल्ली । रिलांयस जियो को समर सरप्राइज ऑफर ट्राई के आदेश के बाद भले ही बंद हो गया हो लेकिन कंपनी अब आपको नया सरप्राइज दे सकती है। मोबाइल इंटरनेट के बाद जियो अब ब्रॉडबैंड और डीटीएच सर्विस उपलब्ध कराने वाला है, जिसकी घोषणा जल्द ही हो सकती है। रिलायंस जियो की वेबसाइट के रिचार्ज सेक्शन में पहली बार ब्रॉडबैंड और DTH सर्विस का जिक्र है।
जियो की अधिकारिक वेबसाइट जियो.कॉम के रिचार्ज सेक्शन में होम ब्रॉडबैंड और जियो लिंक का ऑप्शन है। हालांकि अभी इन सर्विसेज की अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है जिस कारण आप अभी रिचार्ज नहीं करा सकते। जियो ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए जियो फाइबर को देश के कई शहरो में टेस्ट कर रहा है। मुंबई की बात करें तो गेट बंद कॉलोनी में जियो 1 जीबीपीएस ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए टेस्टिंग कर चुका है।जियो ब्रॉडबैंड के अलावा DTH मार्केट में भी ऐंट्री करने वाला है। कुछ दिन पहले ही रिलांयस जियो DTH सेट-टॉप बॉक्स की फोटो ऑनलाइन लीक हुई थीं। जानकारी के मुताबिक रिलायंस के जियो सेट-टॉप बॉक्स में 360 से ज्यादा चैनल्स ऑफर होंगे। एचडी चैनल भी जियो उपलब्ध कराएगा। रिलायंस पूरे भारत में फाइबर नेटवर्क बिछा चुका है। जियो का प्लान कस्टमर्स को केवल हाइ स्पीड इंटरनेट और टीवी चैनल्स उपलब्ध कराना नहीं है बल्कि कंपनी कनेक्टेड कार के लिए भी प्लान कर रही है। जियो एक टेक्नॉलजी कंपनी है और यह साफ है कि उसका उद्देश्य कुछ सर्विसेज उपलब्ध कराने भर का नहीं है।
‘नीरजा’ को मिला नेशनल अवार्ड , अक्षय बेस्ट एक्टर
नई दिल्ली में हुई इस प्रेसवार्ता में 64 वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स की घोषणा की गई। उत्तरप्रदेश को ‘बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट’ के अवॉर्ड से नवाजा गया। जबकि झारखंड को ‘स्पेशल मेंशन अवॉर्ड’ दिया गया।
इस मौके पर बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड ‘नीरजा’ को दिया गया। राम माधवानी के निर्देशन में बनीं इस फिल्म में लीड रोल सोनम कपूर ने निभाया था। अजय देवगन स्टारर फिल्म ‘शिवाय’ को स्पेशल इफेक्ट कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया। ‘बेस्ट एक्टर’ का अवॉर्ड अक्षय कुमार को फिल्म ‘रुस्तम’ के लिए मिला।
‘दंगल’ में नजर आईं जायरा वसीम को भी ‘बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट अवॉर्ड’ से नवाजा गया। आपको बता दें कि फिल्म की रिलीज के बाद लंबे समय तक जायरा को कश्मीर में विवादों का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस पूरे मामले पर जायरा को सभी का समर्थन मिला।
सामाजिक मुद्दे पर बनी बेस्ट फिल्म के लिए मेगास्टार अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘पिंक’ को भी पुरस्कार मिला। बेस्ट एडिटिंग और साउंड मिक्सिंग का अवॉर्ड मराठी फिल्म वेंटीलेटर को मिला। इसे एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने प्रोड्यूस किया था। फिल्म के निर्देशक राजेश मापुस्कर को बेस्ट डायरेक्शन का अवॉर्ड मिला।
‘बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म’ का पुरस्कार नागेश कुकुनूर की ‘धनक’ को मिला।
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आधार नंबर को पैन कार्ड से ऐसे करें लिंक
रिलायंस जियो: TRAI के आदेश से क्या मिलेगा, क्या छिनेगा
हां। जियो पर TRAI का यह आदेश सिर्फ समर सरप्राइज ऑफर को लेकर है। बता दें कि कुछ जगह ऐसी भी खबरें आई थीं कि TRAI ने प्राइम मेंबरशिप की बढ़ी तारीख भी वापस लेने का आदेश दिया है, जो कि गलत है। जियो के प्रवक्ता के मुताबिक यूजर्स प्राइम ऑफर को 15 अप्रैल तक 99 रुपये में ले सकेंगे।
जियो ने 31 मार्च को प्राइम मेंबरशिप हासिल करने की तारीख 31 मार्च से बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दी थी। इसके साथ ही कंपनी ने जियो प्राइम मेंबर्स के लिए समर सरप्राइज ऑफर का भी ऐलान किया। इस ऑफर में प्राइम मेंबर्स को 303 या उससे अधिक के पहले रिचार्ज पर 3 महीने तक फ्री सर्विसेज मिलनी थीं।
TRAI ने कंपनी से कहा है कि वह समर सरप्राइज ऑफर को वापस ले ले।
जियो ने ट्राई के दिए निर्देशों को मानने का पूरा भरोसा दिया है और अपने समर स्पेशल सरप्राइज ऑफर को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है।
1- जियो के उन लोगों को समर सरप्राइज ऑफर का फायदा मिलता रहेगा जिन्होंने अब तक 303 रुपये या उससे ऊपर का रिचार्ज प्राइम ऑफर के साथ करा लिया है। बाकी यूजर्स अब इस सेवा को सब्सक्राइब नहीं कर सकेंगे।
रिलायंस के मुताबिक 31 मार्च तक 7 करोड़ 20 लाख यूजर्स प्राइम मेंबरशिप ले चुके हैं। रिलायंस ने जियो को दुनिया में सबसे बड़ा और सफलतम फ्री टू पेड सर्विस बताया है। कंपनी को भरोसा जताया था कि 15 अप्रैल तक उसके पेड मेंबर्स की संख्या 10 करोड़ की संख्या पार कर सकती है।
आधार से बुक होंगे हवाई टिकट, यात्री की उंगली ही बनेगी बोर्डिंग पास
नई दिल्ली ।सरकार विमान यात्रियों के लिये ‘आधार’ आधारित बुकिंग एवं बोर्डिंग प्रणाली लाने का विचार कर रही है। इस प्रणाली से यात्री की उंगली ही उसका टिकट और बोर्डिंग पास बन जायेगी।
नागर विमानन मंत्री पी अशोक गजपति राजू ने आज यहां रेल भवन में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बताया कि आधार कार्ड से टिकट बुकिंग का प्रायोगिक चरण सफल रहा है और अब विमानन उद्योग के विभिन्न पक्षकार इस बारे में गंभीरता से विचार विमर्श कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि आधार से जुड़े बॉयोमेट्रिक डाटा ही यात्री की पहचान का माध्यम बनेगा। इसका मतलब है कि यात्री को उसकी उंगली के निशान से पहचाना जायेगा और उसी आधार पर उसे विमान में सवार होने दिया जायेगा। इस प्रणाली से कागज़ का इस्तेमाल बहुत हद तक बच पायेगा और तमाम प्रक्रियायें सरल हो पायेंगीं।रेलवे के टिकट भी आधार कार्ड के माध्यम से बुक करने को अनिवार्य करने की एक योजना पर विचार किया जा रहा है। सरकार आधार कार्ड को अनेक सेवाओं से जोड़ कर नागरिक सेवाओं को आसान बनाने का प्रयास कर रही है। सरकारी वित्तीय योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान स्थापित करके पारदर्शिता लाने एवं भ्रष्टाचार कम करने के कई प्रयास सफल साबित हुए हैं।
वित्त अधिनियम-2017 के तहत एक जुलाई से देश में आय कर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हो जाएगा। बुधवार को एक आधिकारिक वक्तव्य जारी कर इसकी घोषणा की गई।
इसके अलावा पैन कार्ड बनवाने के लिए भी एक जुलाई से आधार अनिवार्य हो जाएगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘वित्त विधेयक-2017 के अनुसार, आयकर अधिनियम-1961 की धारा 139एए के तहत आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड के लिए आधार नंबर अनिवार्य होगा, जो एक जुलाई से लागू हो जाएगा।’
बयान में कहा गया है कि आधार नंबर या आधार पंजीकरण नंबर उन्हीं व्यक्तियों के लिए अनिवार्य होगा जो आधार पाने के योग्य होंगे। हालांकि आयकर अधिनियम की धारा 139एए में यह भी कहा गया है कि उन व्यक्तियों को आयकर रिटर्न भरने या पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार नहीं देना होगा, जिन्हें आधार अधिनियम-2016 में स्थानीय निवासी नहीं माना गया है।
एक देश-एक टैक्स की राह हुई आसान, GST को संसद की मंजूरी
नई दिल्ली। राज्यसभा में जीएसटी से जुड़े चार बिलों को बिना किसी संशोधन के पास कर दिया गया है। इन चार बिलों में सी-जीएसटी, आईजीएसटी, यूटीजीएसटी और जीएसटी मुआवजा बिल शामिल है।वहीं आज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कांग्रेस से अपील की थी कि वो राज्यसभा में जीएसटी पर आम सहमति बनाने में मदद करे। गौरतलब है कि इससे पहले लोकसभा में भी इन चारों बिलों को मंजूरी दे दी गई थी।
क्या बोले मनमोहन सिंह
जीएसटी से जुड़े चार बिलों पर मतदान के ठीक पहले संसद के उच्च सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी पार्टी (कांग्रेस) से कहा कि कांग्रेस इसमें किसी संशोधन की मांग न करे ताकि आम सहमति और संघीय समझौते को बनाए रखा जा सके। इन बिलों पर दो दिनों तक बहस हुई थी।
29 मार्च को लोकसभा में मिली थी मंजूरी
इससे पहले 29 मार्च को लगभग आठ घंटे तक चली बहस के बाद जीएसटी के चार संशोधित बिलों को मंजूरी मिली थी।ये थे चार संशोधित विधेयकलोक सभा ने पारित किए जीएसटी के लिए जरूरी चार विधेयक।
इन विधेयकों को दी मंजूरी
1.केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विधेयक 2017
2. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आइजीएसटी) विधेयक 2017
3. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017
4. संघ राज्य क्षेत्र वस्तु
सरकार 1 जुलाई से जीएसटी बिल को लागू करना चाहती है। जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश में एक ही टैक्स लगेगा, अभी अलग-अलग राज्यों में अलग अलग टैक्स की व्यवस्था है। अलग-अलग सामान के लिए कितना टैक्स लगेगा ये अभी तय नहीं हुआ है लेकिन ये तय हो गया है कि टैक्स का स्लैब क्या होगा। 5, 12, 18 और 28 फीसदी के हिसाब से अलग अलग सामान और सेवाओं पर टैक्स लगेगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन को मिलेगी एक माह की मोहलत
व्यापारियों को वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पर पंजीकरण कराने के लिए एक महीने की और मोहलत मिल गई है। राजस्व विभाग ने यह फैसला किया है। जीएसटीएन नई टैक्स प्रणाली का आइटी तंत्र है। जीएसटी के दायरे में आने वाले व्यापारियों को इस ऑनलाइन पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अब तक 60 फीसद करदाता ही जीएसटीएन पर अपना पंजीकरण करा पाए हैं। यह जानकारी हाल ही में राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने दी थी।अढिया ने जीएसटीएन से जुड़ी आइटी तैयारियों और 80 लाख करदाताओं के पोर्टल पर पंजीकरण को लेकर प्रगति की पिछले हफ्ते समीक्षा की थी। ये असेसी उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट से जुड़े हुए हैं। राजस्व सचिव ने बताया कि अब तक 74 फीसद वैट करदाता पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।इसके मुकाबले पंजीकरण कराने वाले एक्साइज और सर्विस टैक्स असेसी का अनुपात 28 फीसद ही है। इस प्रक्रिया को अब तेज किया जाएगा। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया है कि वह पंजीकरण की प्रक्रिया को एक पखवाड़े में पूरा करे।
रिजर्व बैंक ने बढ़ाई रिवर्स रेपो रेट
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी (मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी) ने गुरुवार को रिवर्स रेपो रेट में 0.25 पॉइंट की बढ़ोतरी करते हुए उसे 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया है। वहीं रेपो रेट को 6.25 पर यथावत रखा गया है।
पॉलिसी का प्रभाव
- नोटबंदी के बाद बैंकों में सरप्लस मात्रा में कैश पहुंचा है। जिसका प्रभाव बैंकिंग सिस्टम पर पड़ा है।
- मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव न होने का फायदा देश के रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा।
- पॉलिसी का असर शेयर बाजार पर भी दिखा। निफ्टी तथा एनएसई में लिस्टेट बैंकों के शेयर के दामों में बढ़ोतरी देखी गई।
मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई की तरफ से बताया गया कि अर्थव्यवस्था के आधार पर अगले कदम तय किए जाएंगे। साथ ही यह भी बताया कि फरवरी के बाद से बैंकों में आई नकदी को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है।आरबीआई का मानना है कि अगली 3 से 4 तिमाही में नकदी को पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया जाएगा। केंद्रीय बैंक को अंदेशा है कि अप्रैल से सितंबर 2017 के बीच सरकारी खर्च बढ़ सकता है।वहीं कर्ज माफी से नाखुश होते हुए कहा कि इससे ईमानदार करदाता हतोत्साहित होते हैं और नैतिक खतरा भी बढ़ता है। इसलिए कर्ज माफी को रोकना चाहिए।केंद्रीय बैंक को आशंका है कि कमजोर मानसून और जीएसटी से बाजार पर जो प्रभाव पड़ेगा उससे महंगाई बढ़ सकती है।आरबीआई जल्द ही फाइनेंशियल लिट्रेसी प्रोजेक्ट भी शुरू करने जा रहा है।कुल मिलाकर आज की मॉनेटरी पॉलिसी को बाजार में सकारात्मक लिया है और उम्मीद जताई जा रही है कि इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा।वैसे, जानकारों ने बुधवार को ही अंदेशा जताया था कि महंगाई बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष 2017-18 की पहली दोमाही समीक्षा में केंद्रीय बैंक नीतिगत दर (रेपो रेट) को यथावत रखेगा। गौरतलब है कि आठ फरवरी की मौद्रिक नीति की समीक्षा में भी आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। फिलहाल रेपो रेट (वह दर जिस पर बैंक आरबीआई से कम अवधि के कर्ज लेते हैं) 6.25 फीसद है।विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों से तो कम से कम यह संकेत मिल ही गया था कि दरों में कटौती नहीं होगी। इसके उलट घरेलू और विदेशी कारकों के असर से भविष्य में ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
महंगाई में बढ़ोतरी का रुझान
फरवरी में थोक मूल्यों वाली महंगाई दर 39 महीनों के ऊंचे स्तर 6.55 फीसद पर पहुंच गई। खुदरा महंगाई की दर भी थोड़ी सी बढ़कर 3.65 फीसद हो गई है। केंद्रीय बैंक महंगाई को ही पैमाना बनाकर दरों में बदलाव करता है। जनवरी, 2015 से अब तक रिजर्व बैंक ने दरों में 1.75 फीसद की कटौती की है।
MPC में शामिल सदस्य
आरबीआई की ओर से गवर्नर उर्जित पटेल, डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और एक एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर। सरकार की तरफ से प्रोफेसर चेतन घाटे, पामी दुआ और प्रोफेसर रविंद्र एच ढोलकिया।
क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। मसलन, गृह ऋण, वाहन ऋण आदि।रिवर्स रेपो रेटयह वह दर होती है जिसपर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है।
रिवर्स रेपो रेट
बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।
MSF क्या है
आरबीआई ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में सालाना मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में एमएसएफ का जिक्र किया था। यह कॉन्सेप्ट 9 मई 2011 को लागू हुआ। इसमें सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं। बैंकों को यह सुविधा शनिवार को छोड़कर सभी वर्किंग डे में मिलती है।नकद आरक्षित अनुपात (CRR)देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है। इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है।
क्या होता है SLR
जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी आपात देनदारी को पूरा करने में किया जाता है।आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम ही बचती है।
रिकॉर्ड उत्पादन से सस्ती हुई मिर्च
कोच्चि। मजबूत एक्सपोर्ट के बावजूद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के प्रमुख लाल मिर्च उत्पादक इलाकों में 30 फीसदी
ज्यादा फसल के चलते इसकी कीमतों में और गिरावट आई है। इसे देखते हुए ट्रेडर्स और ज्यादा कोल्ड स्टोरेज की तलाश में जुट गए हैं।
लाल मिर्च के एवरेज प्राइस एक महीने पहले के 80 रुपये प्रति किलो से गिरकर 65 रुपये प्रति किलो पर आ गए हैं। प्रीमियम वैरायटी तेजा की बिक्री करीब 90 रुपये प्रति किलो पर हो रही है, इसका दाम एक साल पहले के मुकाबले 50 फीसदी से ज्यादा गिरा है।
लाल मिर्च का करीब 3 लाख टन ज्यादा प्रॉडक्शन होने का अनुमान है। इसके लिए अधिक कोल्ड स्टोरेज स्पेस की जरूरत होगी। एक प्रमुख उत्पादक, विजयकृष्ण के एमडी रविपति पेरिया ने कहा, ‘कोल्ड स्टोरेज भरे हुए हैं। हमें सरप्लस मिर्च को रखने के लिए 100 और कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होगी। हर कोल्ड स्टोरेज की औसत कैपेसिटी 3,000 टन की है।’
देश में हर साल करीब 14 लाख टन मिर्च पैदा होती है। 2016 की शुरुआत में कीमतों के 150 रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के बाद तीन राज्यों में रकबा बड़े पैमाने पर बढ़ा है। लेकिन, मौजूदा कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे पहुंच गई हैं। मिर्च की उत्पादन लागत करीब 70 रुपये प्रति किलो है।
दूसरी ओर, मौजूदा कीमतें एक्सपोर्ट के लिहाज से बढ़िया हैं। मिर्च की एक बड़ी फर्म, पैपरिका ओलियोस (इंडिया) के डायरेक्टर ए पी मुरुगन ने कहा, ‘हमारी चाइना के ऊपर बढ़त है। चाइना दूसरा बड़ा सप्लायर है। हम चीन से कम कीमत पर मिर्च ऑफर कर रहे हैं।’ हालांकि, चाइना मिर्च का प्रमुख उत्पादक है, लेकिन इसका उत्पादन अपनी डोमेस्टिक जरूरत को पूरा करने लायक भी शायद ही हो। इससे देश को इंपोर्ट के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुरुगन ने कहा, ‘चाइना और वियतनाम भारी मात्रा में इंडिया से खरीदारी कर रहे हैं। यह खरीदारी मार्च के दौरान सबसे ज्यादा रही है।’
एक्सपोर्ट वॉल्यूम में तेजी की शुरुआत फरवरी के अंत से हुई। उस वक्त से मिर्च की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हुई थी। उस वक्त तक एक्सपोर्ट वैल्यू मात्रा से ज्यादा थी। स्पाइसेज बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2016 में खत्म हुए नौ महीनों के दौरान मिर्च का निर्यात 2,60,250 टन पर पहुंच गया, जिसकी वैल्यू 3,460.75 करोड़ रुपये थी। इसमें सालाना आधार पर क्वॉन्टिटी में 3 फीसदी और वैल्यू में 25 फीसदी का इजाफा हुआ था। एक्सपोर्टर्स के मुताबिक, 2015-16 में इंडिया ने 3,931.70 करोड़ रुपये की 3,47,500 टन मिर्च का निर्यात किया। क्वॉन्टिटी के आधार पर इसके कम रहने के आसार हैं, लेकिन वैल्यू के आधार पर अर्निंग्स के 4,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड पर पहुंचने की पूरी उम्मीद है।