Tuesday, October 8, 2024
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जीएसटी से इंडियन कोकोनट का निर्यात प्रभावित

नई दिल्ली । सूखे हुए नारियल पर 12 फीसद के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इसके उत्पादन और निर्यात को प्रभावित किया है। ट्रेडर्स और एक्पोर्टर का कहना है इससे इंडस्ट्री में हजारों नौकरियों को संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

उनका कहना है कि जीएसटी की ऊंची दर एक ऐसे समय में उद्योग के लिए एक झटका थी जब घरेलू मांग और सूखे हुए नारियल के निर्यात में इजाफा हो रहा है। अभी तक देश के दक्षिणी राज्यों में, जहां ये प्रमुखता से उगाया जाता है, सूखे हुए नारियल पर 0 से 5 फीसद के बीच टैक्स लगता था।

महावीर नारियल इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक अनिल पोरवाल ने कहा, “कर्नाटक में टिपटुर में करीब 80 सूखे हुए नारियल की इकाइयां हैं (देश में उत्पाद के लिए सबसे बड़ा क्लस्टर),जहां हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इन सभी ने अपने उत्पादन को 30 फीसद तक घटा दिया है।”

पिछले कुछ वर्षों से सूखे हुए नारियल की मांग लगातार बढ़ रही है और यह 2016-17 में छह गुना बढ़कर 20,000 टन पर पहुंच गया। वहीं इसका मूल्य आठ गुना बढ़कर करीब 225 करोड़ रुपये हो गया है।

कासरगोड में विट्टल एग्रो इंडस्ट्रीज (भारत में सबसे बड़ा सूखा नारियल निर्यातक) के पार्टनर गणेश विट्ठल ने कहा, “हम फिलीपींस इंडोनेशिया, वियतनाम और श्रीलंका जैसे अन्य प्रमुख विक्रेताओं के साथ कीमत प्रतिस्पर्धी बन गए हैं, नतीजतन, निर्यात की मात्रा में भारी वृद्धि हुई है।”

सेंसेक्स 160 अंक गिरकर 31853 अंक पर खुला

नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिल रहे कमजोरी के संकेतों के बीच बुधवार को भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले हैं। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 160 अंक की कमजोरी के साथ 31853 के स्तर पर और निफ्टी 47 अंक की कमजोरी के साथ 9933 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मिडकैप में 1.04 फीसद और स्मॉलकैप में 1.50 फीसद की कमजोरी देखने को मिल रही है।

वैश्विक बाजार में कमजोरी
अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिल रहे कमजोरी के संकेतों के चलते तमाम एशियाई बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। जापान का निक्केई 1.28 फीसद की कमजोरी के साथ 19739 के स्तर पर, चीन का शांगाई 0.21 फीसद की कमजोरी के साथ 3275 के स्तर पर, हैंगसैंग 0.63 फीसद की कमजोरी के साथ 27678 के स्तर पर और कोरिया का कोस्पी 0.86 फीसद की कमजोरी के साथ 2374 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

वहीं, मंगलवार के सत्र में अमेरिकी बाजार की कमजोरी के साथ कारोबार कर बंद हुए हैं। प्रमुख सूचकांक डाओ जोंस 0.15 फीसद की कमजोरी के साथ 22085 के स्तर पर, एसएंडपी500 0.24 फीसद की कमजोरी के साथ 2474 के स्तर पर और नैस्डैक 0.21 फीसद की कमजोरी के साथ 6370 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है।

रियल्टी सेक्टर में मुनाफावसूली
सेक्टोरियल इंडेक्स की बात करें तो मेटल को छोड़ सभी सूचकांक लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा मुनाफावसूली रियल्टी सेक्टर में देखने को मिल रही है। बैंक (0.71 फीसद), ऑटो (0.27 फीसद), फाइनेंशियल सर्विस (0.68 फीसद), एफएसजीसी (0.88 फीसद) और फार्मा (2.09 फीसद) की गिरावट देखने को मिल रही है।

आईओसी टॉप लूजर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 10 हरे निशान में और 41 लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा तेजी हिंडाल्को, वेदांता लिमिटेड, आईशर मोटर्स, एनटीपीसी और इंफोसिस के शेयर्स में है। वहीं, गिरावट सनफार्मा, बीपीसीएल, आईओसी, आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर्स में है।

जीएसटी पोर्टल पर करों का भुगतान 20 तक, देखिए वीडियो

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जयपुर। जीएसटी में करदाता द्वारा करों का भुगतान  20 अगस्त तक किया जाना आवश्यक होगा। भुगतान करने की नियत तिथि के बाद देय कर राशि को ब्याज सहित चुकाना होगा। इस खबर में करदाताओं की सुविधा के लिए जीएसटी में रजिट्रेशन एवं भुगतान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए जीएसटी पोर्टल पर विडियो लिंक दिया गया है।

शासन सचिव वित्त राजस्व प्रवीण गुप्ता ने बताया कि पंजीकृत करदाता को जी.एस.टी.एन. पोर्टल (gst.gov.in) पर लॉगिन कर चालान में देय कर भुगतान राशि का विवरण भरना होगा। इस विवरण को भविष्य में अपडेट या अमेंड करने के लिए जीएसटीएन पोर्टल पर सात दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

गुप्ता ने बताया कि एक बार चालान को अंतिम रूप दिए जाने के बाद चालान आइडेन्टिफिकेशन नम्बर (सीपीआईएन) जारी हो जायेगा। इसके बाद चालान में परिवर्तन संभव नहीं होगा। सीपीआईएन जारी होने के बाद चालान 15 दिनों के लिए वैध होगा।

व्यापारी जुलाई 2017 की रिटर्न जीएसटीआर-3बी जीएसटीएन पोर्टल पर 20 अगस्त तक भर सकते हैं 

इस अवधि में भुगतान नहीं करने पर उसे सिस्टम से अपने आप हटा दिया जायेगा। हालांकि, करदाता अपनी सुविधा के लिए एक और चालान उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जीएसटी के लिए कर का भुगतान सीपीआईएन जनरेट होने के बाद निर्धारित तरीकों से किया जा सकता हैं।

क्रेडिट कार्ड से भुगतान के लिए जी.एस.टी.एन. के आम पोर्टल पर क्रेडिट कार्ड का पूर्व पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। यह भुगतान किसी भी बैंक से नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) या रियल टाईम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) द्वारा भी किया जा सकता है। यह भुगतान अधिकृत बैंकों के माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग द्वारा अथवा डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड द्वारा किया जा सकता है।

नकदी, चैेक या डिमांड ड्राफ्ट से प्रति चालान दस हजार रूपये तक की राशि अधिकृत बैंकों के माध्यम से काउंटर पर पेमेन्ट के द्वारा भी जमा की जा सकती है। चैक या डिमांड ड्राफ्ट से सरकारी खाते में राशि जमा करने की तारीख सरकार के खाते में वास्तविक जमा की तारीख को माना जायेगा। 

उन्होंने बताया कि जीएसटी के अन्तर्गत शुरूआती दौर में करदाताओं के लिये सरलीकृत रिटर्न जीएसटीआर-3बी भरने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यह सुविधा जुलाई 2017 एवं अगस्त 2017 में की गई सप्लाई के सम्बन्ध में दी गयी है। व्यापारी जुलाई 2017 की रिटर्न जीएसटीआर-3बी 5 अगस्त से जीएसटीएन पोर्टल पर भर सकते हैं एवं इसे भरने की अंतिम तारीख 20 अगस्त 2017 निर्धारित की गयी है। 

 

नई हुंडई वरना की बुकिंग शुरू, 22 को लॉन्च

नई दिल्ली। हुंडई ने नई वरना की ऑफिशियल बुकिंग शुरू कर दी है, इसे 25,000 रूपए में बुक किया जा सकता है। नई वरना को 22 अगस्त को लॉन्च किया जाएगा। इसे नए के2 प्लेटफार्म पर तैयार किया गया है। 

नई वरना में पेट्रोल और डीज़ल दोनों इंजनों का विकल्प मिलेगा। पेट्रोल वेरिएंट में 1.6 लीटर का ड्यूल वीटीवीटी इंजन मिलेगा, जो 123 पीएस की पावर और 155 एनएम का टॉर्क देगा।

डीज़ल वेरिएंट में 1.6 लीटर का यू2 सीआरडीआई वीजीटी इंजन मिलेगा, जो 128 पीएस की पावर और 260 एनएम का टॉर्क देगा। दोनों इंजनों के साथ 6-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स स्टैंडर्ड आएगा, वहीं दोनों में 6-स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का विकल्प भी मिलेगा। 

हुंडई ने बुधवार को 2018 वरना की नई तस्वीर जारी है, इस में वरना को सनरूफ के साथ दिखाया गया है। वेबसाइट कारदेखो डॉट कॉम के अनुसार भारत में लॉन्च होने वाली वरना में यह फीचर पहली बार मिल रहा है।

संभावना है कि इसके टॉप वेरिएंट एसएक्स (ओ) में सनरूफ दिया जा सकता है। फिलहाल इस सेगमेंट में होंडा सिटी इकलौती कार है, जिस में सनरूफ दिया गया है।

नई वरना के वेरिएंट
नई वरना में कुल 12 वेरिएंट मिलेंगे, जिन में छह पेट्रोल और छह डीज़ल वेरिएंट शामिल होंगे।

पेट्रोल

  • वरना ई (बेस)
  • वरना ईएक्स
  • वरना ऑटो ईएक्स (बेस पेट्रोल ऑटोमैटिक)
  • वरना एसएक्स
  • वरना एसएक्स (ओ) (टॉप मैनुअल)
  • वरना ऑटो एसएक्स (ओ) (टॉप ऑटोमैटिक)

डीज़ल

  • वरना ई (बेस)
  • वरना ईएक्स
  • वरना ऑटो ईएक्स (बेस डीज़ल ऑटोमैटिक)
  • वरना एसएक्स
  • वरना ऑटो एसएक्स प्लस (टॉप ऑटोमैटिक)
  • वरना एसएक्स (ओ) (टॉप मैनुअल)

अप्रैल-मई में 354.77 करोड़ रुपए का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

नई दिल्ली । भारत के कृषि क्षेत्र को इस वर्ष अप्रैल से मई के दौरान 354.77 करोड़ रुपये का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ है। यह जानकारी मंगलवार को संसद में दी गई है। लोक सभा में कृषि राज्यमंत्री एस एस अहलूवालिया ने यह डेटा दिया है।

डेटा के मुताबिक भारत को वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 515.49 करोड़ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ है। यह आंकड़ा बीते वर्ष 553.14 करोड़ था। अहलूवालिया ने एक लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2014-15 में कृषि क्षेत्र में 365.31 करोड़ एफडीआई था।

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई किसानों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से कृषि क्षेत्र में प्राप्त एफडीआई से फायदा हुआ है।FDI में आया 23 फीसद का रहा।

अप्रैल-मई महीने के दौरान बढ़कर 10 बिलियन डॉलर हुआ चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से मई अवधि के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 23 फीसद बढ़कर 10.02 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

यह जानकारी सोमवार को संसद में दी गई। वहीं साल 2016-17 के दौरान एग्रीगेट फॉरेन फंड इन्फ्लो 60.08 बिलियन के स्तर पर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित उत्तर के जरिए दी।
उन्होंने कहा कि एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक निवेशक अनुकूल नीति बनाई है।

उन्होंने आगे कहा, “अगर कुछ निगेटिव लिस्ट को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश सेक्टर ऑटोमेटिक रूट के जरिए 100 फीसद एफडीआई के लिए ओपन हैं।”

मंत्री ने यह भी कहा कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को खत्म करने के बाद शर्तों के अनुपालन की निगरानी का कार्य (ऐसे पूर्व मामले भी जिन्हें एफआईपीबी की ओर से अनुमोदित किया गया है) का काम संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय को सौंपा गया है।

लॉकर्स की सुरक्षा बैंकों की जिम्मेदारी -RBI

नई दिल्ली।  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों से कस्टमर्स के लॉकर्स की सुरक्षा सुनिश्चत करने को कहा है। बैंकों को आदेश दिया गया है कि लॉकर्स सुरक्षित रहें और इसमें किसी तरह की लापरवाही ना हो, जो बैंकों को लॉकर धारकों द्वारा किए गए दावों के लिए उत्तरदायी बना सकता है। यह जानकारी मंगलवार को संसद में दी गई।

इसके अलावा फेयर ट्रेड रेग्युलेटर सीसीआई (कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया) लॉकर सर्विस उपलब्ध कराने में बैंकों द्वारा कथित व्यवसायिक गुटबंदी की जांच भी कर रहा है।

राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि फाइनैंशल सर्विसेज डिपार्टमेंट की तरफ से कोई विशेष सर्कुलर नहीं है जो लॉकर्स से सामानों की चोरी की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए कहता हो।

जेटली ने कहा, ‘आरबीआई की ओर से बैंकों को सलाह दी गई है कि लॉकर्स की सुरक्षा बैंकों की जिम्मेदारी है और लॉकर्स की सुरक्षा में किसी तरह की लापरवाही ना हो जो कि संबंधित बैंक को लॉकर होल्डर्स के क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार बनाएगा।’

गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक और सरकारी क्षेत्र के 19 बैंकों ने आरटीआई के जवाब में कहा था कि लॉकर में जमा सामान के चोरी या नुकसान होने पर बैंक कॉम्पेन्सेशन देने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। बैंकों ने तर्क देते हुए कहा था, ‘हमारा रिश्ता ग्राहक से मकान मालिक और किरायेदार जैसा है।’

सेंसेक्स 259 अंक फिसल कर 32014 पर बंद

नई दिल्ली । दिनभर के उतार चढ़ाव के बाद मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ कारोबार कर बंद हुआ है। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 259 अंक की गिरावट के साथ 32014 के स्तर पर और निफ्टी 78 अंक की गिरावट के साथ 9978 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है।

निफ्टी आज के कारोबार में 10,000 के स्तर से नीचे बंद हुआ है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मिडकैप में 1.21 फीसद और स्मॉलकैप में 1.71 फीसद की कमजोरी दर्ज की गई है।

रियल्टी सेक्टर में मुनाफावसूली
सेक्टोरियल इंडेक्स की बात करें तो मेटल सेक्टर के शेयर्स को छोड़ सभी सूचकांक लाल निशान में कारोबार कर बंद हुआ है। बैंक (1.23 फीसद), ऑटो (0.37 फीसद), फाइनेंशियल सर्विस (0.96 फीसद), एफएसजीसी (1.18 फीसद), आईटी (0.52 फीसद), फार्मा (1.12 फीसद) और रियल्टी (4.40 फीसद) की गिरावट देखने को मिली है।

आईओसी टॉप लूजर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 14 हरे निशान में और 37 गिरावट के साथ कारोबार कर बंद हुए हैं। सबसे ज्यादा तेजी हिंडाल्को, वेदांता लिमिटेड, सिप्ला, टाटा स्टील और गेल के शेयर्स में देखने को मिली है। वहीं गिरावट डॉ रेड्डी, बीपीसीएल, इंफ्राटेल, आईओसी और कोल इंडिया के शेयर्स में हुई है।

331 फर्जी कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग बंद

नई दिल्ली। बाजार विनियामक सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंज को उन 331 संदेहास्पद शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो स्टॉक मार्केट्स से लिस्टेड हैं।

काले धन की समस्या से निपटने की कोशिशों के तहत सेबी ने कहा कि इस महीने इन कंपनियों के शेयर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। मंगलवार से ही इन शेयरों की ट्रेडिंग दोनों स्टॉक एक्सचेंजों, बीएसई और एनएसई पर रोक दी गई।

शेल कंपनियां वैसी संदेहास्पद संस्थाएं होती हैं जिनका इस्तेमाल अक्सर अवैध धन के शोधन में लगाया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो शेल कंपनियां काले पैसे को सफेद करने में लगी होती हैं। हालांकि, शेल कंपनी की परिभाषा कंपनीज ऐक्ट में नहीं दी गई है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के मुताबिक, इन सभी लिस्टेड सिक्यॉरिटीज को तत्काल प्रभाव से स्टेज VI ग्रेडेड सर्विलांस मेजर (जीएसएम) में रखा जा चुका है।

अगर इस लिस्ट से इतर भी कोई लिस्टेड कंपनी जीएसएम के किसी भी स्टेज के तहत चिह्नित हुई है तो उसे भी सीधे जीएसएम स्टेज VI में डाल दिया जाएगा।

सोया खली उत्पाद निर्यात में 237 % की छलांग

इंदौर। सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात जुलाई में लगभग 237 प्रतिशत बढ़कर 98,000 टन पर पहुंच गया। जुलाई 2016 में देश से इन उत्पादों का निर्यात 29,000 टन के स्तर पर रहा था।

प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने आज यह जानकारी दी।

पाठक ने बताया कि मौजूदा विा वर्ष में अप्रैल से जुलाई के बीच देश से सोया खली और इससे बने उत्पादों के निर्यात का आंकड़ा 4.69 लाख टन रहा जो पिछले विा वर्ष की इस अवधि में इनके 1.19 लाख टन के निर्यात से करीब 294 प्रतिशत अधिक है।

तेल विपणन वर्ष (अक्तूबर 2016 से सितंबर 2017 तक)  में अक्तूबर से जुलाई के बीच देश के सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात 373 प्रतिशत के बड़े उछाल के साथ 16.46 लाख टन पर पहुंच गया।

पिछले तेल विपणन वर्ष की समान अवधि में देश से इन उत्पादों का निर्यात 3.48 लाख टन के स्तर पर रहा था।सोया खली वह उत्पाद है, जो प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचा रह जाता है।

यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गयिों का दाना भी तैयार किया जाता है।

रेरा में प्रॉजेक्ट रजिस्ट्रेशन पर ही बिल्डरों को लोन

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मुंबई। जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रेगुलेशन ऐक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के साथ सलाह करने के बाद यह फैसला किया है कि उन प्रॉजेक्ट्स को लोन नहीं दिया जाएगा, लोन नहीं देंगे, जो रेरा के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं।

बैंकों से लोन नहीं मिलने के डर से बिल्डरों को सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत कराना पड़ेगा। एक बैंक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें बचाव के कुछ उपाय करने होंगे। रेरा का मकसद ग्राहकों का पैसा लेकर रातोंरात फरार होने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाना है।

इसलिए हम उन प्रॉजेक्ट्स को कर्ज नहीं देंगे, जो नए रियल एस्टेट कानून के तहत रजिस्टर्ड नहीं होंगे।’ उन्होंने बताया, ‘इन रेगुलेशंस के मुताबिक चलने में हमारा भी फायदा है। लोन देने में पहले सावधानी बरतना जरूरी है। बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता।’

बैंकों ने कुछ रियल एस्टेट कंपनियों को कर्ज देने के लिए प्रमोटरों से पर्सनल प्रॉपर्टीज की गारंटी मांगी है। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया, ‘हम बहुत आशंकित हैं। अगर हम कानून के मुताबिक, कर्ज देते हैं तो जिस तरह से इसे बनाया गया है, उससे हमारे हितों की रक्षा नहीं होगी।

अगर ऐसी प्रॉपर्टी में बैड लोन की सूरत बनती है तो ग्राहकों का पैसा लौटाने का प्रावधान है। हमारे बारे में ऐसे प्रोविजन नहीं किए गए हैं। इसलिए हम रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज देने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं।’

नए रियल ऐस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट) एक्ट, 2016 (रेरा) में बिल्डर को किसी प्रोजेक्ट के लिए ग्राहकों से ली गई 70 पर्सेंट रकम अलग बैंक खाते में रखनी होगी। इससे उसके पास किसी अन्य कामकाज के लिए 30 पर्सेंट रकम हाथ में होगी।

पहले वह ग्राहकों से लिए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस प्रोजेक्ट के अलावा किसी और काम में कर सकता था। रियल एस्टेट इंडस्ट्री की संस्था अपने सदस्यों से रेरा के तहत प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराने की अपील कर रही है, लेकिन इस मामले में उसे बहुत सफलता नहीं मिली है।

बिल्डरों की सबसे बड़ी संस्था, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया यानी क्रेडाई के प्रेजिडेंट जे शाह ने कहा, ‘हमने अपने सभी मेंबर डिवेलपर्स से उनके प्रॉजेक्ट्स को रेरा के तहत रजिस्टर कराने को कहा है। उन्होंने इसका वादा भी किया है।’

शाह ने कहा, ‘रेरा का मकसद यह है कि ग्राहकों को तकलीफ ना सहनी पड़े। डिवेलपर्स रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर रहे हैं। इसे तेजी से प्रोसेस करने के लिए अथॉरिटी के लेवल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाया जाना चाहिए।

यह काम तेजी से होना चाहिए क्योंकि ग्राहक पजेशन का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, रजिस्ट्रेशन होने तक हम मार्केटिंग या फाइनैंसिंग की दिशा में काम नहीं कर सकते।’