अनुसंधान और नवाचारों को देखा, विकसित की गई तकनीक को जांचा
कोटा। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (आईसीएआर) नई दिल्ली की टीम ने सोमवार को जाखोड़ा स्थित जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया। यहां दल के सदस्यों ने गोयल ग्रामीण विकास संस्थान कोटा के द्वारा स्थापित श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र की ओर से किए जा रहे नवाचारों का अध्ययन किया। उन्होंने कृषि क्षैत्र में किए जा रहे अनुसंधान कार्य एवं विकसित तकनीक का भी अवलोकन किया।
टीम द्वारा श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला, कीट विज्ञान प्रयोगशाला, सूक्ष्म रोग विज्ञान एवं पादप प्रयोगशाला, प्रशिक्षण भवन, प्रोसेसिंग इकाई, बीज बैंक के साथ साथ यहां के फार्म पर स्थापित स्वास्तिक आकार के गौ गृह, सब्जी फसल खण्ड, स्थानीय कृषि फसलें, रेज्ड बेड माॅडल (संतरे का बगीचा), खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़, फल वृक्ष, कृषि वानिकी, धनवंतरि वाटिका (हर्बल गार्डन), बूँद-बूँद सिंचाई सयंत्र, वर्षा जल संग्रहण इकाई, कम्पोस्ट अनुसंधान इकाई, (जिसमें सरल कम्पोस्ट टेंच कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट जैसी आधारभूत व्यवस्थाओं को देखा। उन्होंने कीट नियन्त्रक उत्पादन इकाई, मौसम पूर्वानुमान इकाई, बीज उत्पादन क्षेत्र, सघन वन, भूजल पुनर्भरण केन्द्र, ड्रोन एवं अन्य कृषि यंत्र इकाईयों का अवलोकन किया।
साथ ही रिसर्च फील्ड में संचालित कृषि विश्वविद्यालय कोटा एवं श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र, कोटा के मध्य हुए एमओयू के तहत संचालित अनुसंधान कार्यों जैसे ताजा गोबर का घोल, गोमूत्र चूना प्रयोग, सरल कम्पोस्ट का निरीक्षण भी किया।
अनुसंधान केन्द्र के निदेशक ताराचन्द गोयल ने बताया कि टीम में शस्य वानिकी विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन विभाग, आईसीएआर नई दिल्ली के सहायक निदेशक डाॅ. राजवीर सिंह, शस्य विज्ञान प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. राकेश कुमार, भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एन रविशंकर, डाॅ. एमए अंसारी के साथ कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति डाॅ. अभय कुमार व्यास एवं अन्य कृषि वैज्ञानिक मौजूद रहे।
समस्त अनुसंधान कार्यो पर चर्चा के बाद इन प्रयोगों को अपनाने वाले किसानों से भी संवाद किया। कुछ किसानों के यहां पर व्यक्तिगत प्रक्षेत्र भ्रमण भी किया गया। भ्रमण एवं अवलोकन के बाद सभी वैज्ञानिकों ने यहां के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम के अन्त में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र के मुख्य प्रबन्धक पवन के टाक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।