कोटा की महापौर-पार्षदों का अपमान करने वाला अधिकारी ही लगाएगा मेला

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कोटा नगर निगम (उत्तर) के जिस आयुक्त अनुराग भार्गव ने मेला समिति की बैठक में मीडियाकर्मियों को बैठे देख कर बिफ़रते हुए अपनी चुटकियां बजाते हुए बैठक में मौजूद अन्य अधिकारियों को भी बैठक के बाहर चलने का आदेश देकर वहां मौजूद न केवल महापौर, नेता प्रतिपक्ष का बल्कि अन्य मेला समिति के निर्वाचित पार्षदों को अपमान का घूंट पीने के लिए मजबूर किया, महापौर ने उसी आयुक्त को कोटा दशहरा मेला के आयोजन की कमान मेला अधिकारी के रूप में सौंप दी।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा नगर निगम के राष्ट्रीय स्तर के दशहरे मेले के आयोजन के लिए हुई पहली ही बैठक में महापौर, नेता प्रतिपक्ष और अन्य जन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अपमानित करते हुए बैठक छोड़कर चले जाने वाले निगमायुक्त का मसला कलक्टर के जरिए मुख्य सचिव तक पहुंचाया जा रहा है जबकि बाद में उसी आयुक्त को महापौर ने दशहरा मेला अधिकारी नियुक्ति भी कर दिया।

कोटा दशहरा मेला आयोजन की बैठक के समय जनप्रतिनिधियों के साथ कथित रूप से अपमानजनक हालात पैदा करने वाली यह स्थिति तब है जब राज्य के नगरीय एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल कोटा का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। अब इस मामले को कोटा नगर निगम के विपक्ष के पार्षदों ने मुद्दा बनाने का फैसला किया है और कहा है कि जनप्रतिनिधियों का अपमानित करने वाले आयुक्त को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कोटा के प्रसिद्ध दशहरा मेला आयोजन के लिए कोटा नगर निगम (उत्तर) की महापौर मंजू मेहरा ने सोमवार को निगम कार्यालय में जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें मीडिया कर्मी भी उपस्थित थे। जिस समय बैठक की कार्यवाही शुरू होनी थी, तब आयुक्त अनुराग भार्गव ने मेला समिति की बैठक में मीडियाकर्मियों की उपस्थिति पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया।

लेकिन जब महापौर और नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने कहा कि मीडियाकर्मी तो नगर निगम की आम सभा में भी भाग लेते रहे हैं तो इस बैठक में उनकी उपस्थिति से क्या परहेज है? इस पर आयुक्त अनुराग भार्गव खड़े हो गए और उन्होंने चुटकी बजाते हुए वहां मौजूद अन्य अधिकारियों से कहा कि-” बैठक से चलो। इन्हे ही कर लेने दो बैठक। ” और बाहर निकल गए। इसके बाद बैठक में सन्नाटा पसर गया।

इस घटना से आहत होकर बैठक में मौजूद नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी और लव शर्मा भी बैठक का बहिष्कार कर चले गए। बाद में महापौर मंजू मेहरा ने फोन कर आयुक्त अनुराग भार्गव को बैठक में बुलाया तो वह अन्य अधिकारियों, पार्षदों के साथ बैठक में पहुंचते ही कार्यवाही शुरू कर दी, जिसमें अनुराग भार्गव को ही मेला अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। जबकि निगम के मुख्य अभियंता प्रेम शंकर शर्मा को सहायक मेला अधिकारी बना दिया।

इस बारे में आयुक्त अनुराग भार्गव का कहना है कि निगम की हर समिति की बैठकों में मीडियाकर्मियों की उपस्थिति की परिपाटी सही नहीं है। इस मामले को लेकर दोनों नगर निगमों के नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी और लव शर्मा के साथ भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने मंगलवार को जिला कलक्टर ओपी बुनकर से मुलाकात की और मुख्य सचिव को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन दिया।

ज्ञापन में आयुक्त द्वारा मेला समिति की बैठक में जनप्रतिनिधियों के अपमान पर गहरा रोष प्रकट करते हुए ऐसे अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष और अन्य पार्षदों का कहना है कि मेला समिति की बैठक में निगम के आयुक्त का जो व्यवहार था, वह अत्यंत अभद्र और अपमानजनक था और आयुक्त ने ना केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया है, बल्कि बैठक में मौजूद होने के कारण महापौर और जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों की हैसियत रखने वाले पार्षदों का अपमान करके कोटा शहर की जनता को भी अपमान का घूंट पिलाया है।

इस बीच कोटा नगर निगम की (उत्तर) की एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि महापौर मंजू मेहरा, उपमहापौर ने मंगलवार को नवनियुक्त मेला अधिकारी अनुराग भार्गव और सहायक मेला अधिकारी प्रेम शंकर शर्मा के साथ दशहरा मेला आयोजन स्थल का अवलोकन करते हुए वहां की व्यवस्थाओं का जायजा भी ले डाला।