राजस्थान में OBC में शामिल 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में आरक्षण का लाभ
जयपुर। राजस्थान में ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर संकट मंडरा रहा है। कलकत्ता हाईकोर्ट के पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जातियों का अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण रद्द करने के बाद राजस्थान में भी मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा भड़क गया है।
प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियां ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं, जिनको लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने स्पष्ट किया कि चार जून को चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार इन जातियों के आरक्षण की समीक्षा कराएगी। अविनाश गहलोत का कहना है कि चार जून के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में आरक्षण दिया जा रहा है, जिनको कांग्रेस के समय शामिल किया गया। भाजपा की पिछली सरकारों के समय इनकी समीक्षा नहीं होने के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। धर्म के आधार पर यह आरक्षण संविधान के विरुद्ध है। इस बारे में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर समीक्षा कराई जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई होगी।
प्रदेश में ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिनको आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम जातियां भी हैं, जिनमें मिरासी, मणिहारों से लेकर काठात, मेहरात, मांगणियार और सिंधी मुसलमान तक विभिन्न जातियां शामिल हैं। इनके बारे में चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद समीक्षा कराने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।
ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियां
नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात, बिसायती। बता दें लखनऊ में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
संविधान के अनुसार ही आरक्षण दिया जाएगा
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राजस्थान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अंदर जो भी व्यवस्था है और जिस प्रकार से संविधान आरक्षण का प्रावधान करता है, उसी के अनुसार ही आरक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, “राजस्थान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा। हम संविधान का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार नीतिया बनाते हैं। आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं समुदायों को मिलेगा, जिन्हें संविधान में इसके लिए पात्र माना गया है।” उनका यह बयान उन अफवाहों का जवाब था, जिनमें कहा जा रहा था कि राज्य सरकार धर्म के आधार पर आरक्षण देने की योजना बना रही है।