कोचिंग व हॉस्टल संचालक बच्चों पर दबाव कम करने के लिए व्यक्तिगत संवाद करें: एक्सपर्ट

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आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते कोटा व्यापर महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी।

मां-बाप को भी बच्चों पर दबाव नहीं बनना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए कि भरपूर प्रयास के बावजूद भी अगर सफलता नहीं मिलती है तो इस पर निराश ना हो, और भी कई विकल्प खुले हुए हैं।

कोटा। Workshop to prevent suicide: कोटा ब्लड बैंक सोसायटी बसंत विहार एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मंगलवार को छात्रों के बीच शहादत की रोकथाम विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी आफ मैनचेस्टर एवं निदेशक सोशल केयर रिसर्च के प्रोफेसर के कैथरिन  रॉबिंसन, प्रोफेसर रॉबर्ट पाल एवं ग्लोबल मेन्टल हेल्थ रिचर्स यूनिवर्सिटी ऑफ मेनचेस्टर के निदेशक डॉ. विमल कुमार शर्मा ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशिया में आत्महत्याओ  की रोकथाम पर व्यापक अध्ययन व कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कोटा में आत्महत्या के कारण बच्चों पर माता-पिता का दबाव आपसी स्पर्धा एवं अकेलापन महत्वपूर्ण पहलू है। इससे उबरने के लिए व्यक्तिगत रूप से हर बच्चे में संज्ञान लिया जाए। इस दिशा में सभी कोचिंग संस्थान, हॉस्टल संचालक द्वारा इस तरह की गतिविधियां संचालित की जाए जिससे विद्यार्थियों को मानसिक सफलता मिल सके। माता-पिता को भी बच्चों को अपने मन की बात कहने का मौका देना चाहिए। मस्तिक को शांत रखने में आध्यात्मिकता का भी बहुत बड़ा योगदान है। बच्चों को दैनिक रूप से थोड़ा-थोड़ा ध्यान भी करवाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि छात्रों को तनाव मुक्त रखने के लिए दोस्तों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए। इंजीनियरिंग एवं डॉक्टर बनने  के अलावा भी अन्य विकल्प के बारे में माता-पिता को बच्चों को समझाना चाहिए। प्रकृति को ईश्वर की अनुपम सौगात मानते हुए इसका आनन्द लेना चाहिए। छात्रों को पसंदीदा कार्य भी करने के लिए उन्हें समय देना चाहिए। संगीत भी जिन्दगी में तनाव कम करता है। 

इण्डियन मेडीकल एसोसियेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मैत्री हॉस्पिटल के डायरेक्टर अशोक शारदा ने कहा कि कई बार बच्चों को मनचाही सफलता नहीं मिलने एवं पिछड़ जाने पर वह अवसाद में आ जाते हैं। इससे तनावग्रस्त होने के कारण कई बच्चे तो इससे उबर जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे हीन भावना से ग्रसित होकर आत्महत्या जैसा कठोर कदम भी उठा लेते हैं।  मां-बाप को भी बच्चों पर दबाव नहीं बनना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए कि भरपूर प्रयास के बावजूद भी अगर सफलता नहीं मिलती है इस पर निराश ना हो। जरूरी नहीं और भी कई अन्य विकल्प खुले हुए हैं ।

दी एसएसएसआई एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ने कहा कि पूरे एशिया में आत्महत्या जैसी घटनाएं होती है। दुनिया भर में इसका विश्लेषण किया जा रहा है। भारत आत्महत्या की घटनाओं में पूरे विश्व में 49वें पायदान पर है। बाहर से आए सभी विशेषज्ञों की एकमत राय यही है कि संवाद -आत्मीयता से ऐसे छात्रों को मोटिवेट किया जा सकता है। हम सब का यही दायित्व बनता है कि बच्चो के हमेशा सम्पर्क में रहें। समय समय पर उनसे संवाद करते रहें।

कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कहा कि NEET- JEE  दुनिया की सबसे बड़ी प्रतियोगिता परीक्षा मे से एक है। आज कोटा कोचिंग की बदौलत देश-विदेश में सैकड़ो इंजीनियर एवं डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जो बच्चे स्कूल की पढ़ाई में 90 से 95% अंक प्राप्त कर लेते हैं, वह यहां आकर इन प्रतियोगिताओं में अपनी क्षमता का कमजोर आकलन करते हैं। क्योंकि यहां पर अलग तरह की शिक्षा में प्रतिस्पर्धा का सामना उनको करना पड़ता है।

माहेश्वरी ने कहा कि सभी स्तरों पर चाहे वह कोचिंग, हॉस्टल, डॉक्टर एवं आमजन हम सभी द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भरपूर प्रयास किया जा रहे हैं। पूरा शहर इसको लेकर चिंतित है। निश्चित ही आने वाले समय में इनको रोके जाने के भरपूर प्रयास होंगे। इसके लिए विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। आज इसी के चलते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा विशेषज्ञ बुलाकर उनका मार्गदर्शन लिया जा रहा है।

कोटा ब्लड बैंक के अध्यक्ष प्रेम बाठला ने कहा कि सभी कोचिंग, हॉस्टल व्यवसायी को चाहिए कि वह बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखें और व्यक्तिगत रूप से समय समय उनसे संवाद करें। ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो पाए।

चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के सचिव अशोक लड्ढा ने कहा बच्चों के ऊपर मां-बाप का भी बहुत दबाव रहता है। इतना पैसा लगाने के बावजूद भी तुम्हारे नंबर कम कैसे आये। इससे भी कई बच्चे अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। अतः इस तरह की परिपाटी माता-पिता को भी छोड़नी होगी। बच्चों की रुचि के हिसाब से उन्हें आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित करना चाहिए।

एलन कैरियर इंस्टिट्यूट के वाइस प्रेसिडेंट आरएस चौधरी ने कहा कोचिंग संस्थान में हर बच्चों के साथ निरंतर संवाद किया जा रहा है। उनकी मानसिकता की जानकारी प्राप्त करने के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसमें व्यक्तिगत तौर पर भी प्रत्येक बच्चों से अलग-अलग तरह के संवाद एवं उनके दिमाग में क्या विचार हैं, उसके बारे में भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी।

कार्यशाला में  कोटा ब्लड बैंक सोसायटी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास, सचिव डॉ, दर्शन गोत्तम, कोषाध्यक्ष डॉ. दीपक गुप्ता, कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल, कोरल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल एवं एलन वेलफेयर स्टूडेंट सोसाइटी के अध्यक्ष मुकेश सारस्वत सहित कई साईक्लोजिस्ट डाक्टर्स समाज सेवी उपस्थित थे ।