जयपुर। जयपुर में ड्रग एवं फूड सेफ्टी टीम ने जो खुलासा किया है, वह आमजन के लिए गंभीर चेतावनी है। टीम ने बुधवार देर शाम जिन ड्रिंक पैकेट्स को सीज किया, वे “ORS” जैसी पैकिंग और नाम से बेचे जा रहे थे, लेकिन दरअसल वे सिर्फ फ्लेवर ड्रिंक थे, जिनका असली ओआरएस से कोई संबंध नहीं था।
यह पहली बार नहीं है जब बाजार में ऐसे भ्रामक उत्पाद पकड़े गए हैं, लेकिन इस बार मामला और गंभीर इसलिए है क्योंकि यह सीधे स्वास्थ्य से जुड़ा है। ओआरएस यानी Oral Rehydration Solution का उपयोग उल्टी-दस्त या डिहाइड्रेशन जैसी स्थिति में शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी पूरी करने के लिए किया जाता है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति जो “ORS” नाम पढ़कर यह सोच ले कि यह वही हेल्थ ड्रिंक है, असल में अपने शरीर के साथ बड़ा जोखिम उठा सकता है।
ड्रग और फूड सेफ्टी विभाग की टीम को शिकायत मिली थी कि कुछ मेडिकल स्टोर्स पर असली ओआरएस की जगह फल-सुगंधित ड्रिंक बेची जा रही है। जांच में यह बात सच साबित हुई। राजापार्क गली नंबर-8 स्थित इंडियन फार्मा सेल्स से टीम ने पांच अलग-अलग फ्लेवरों के पैक जब्त किए और उनके नमूने जांच के लिए भेजे। वहीं, कुल 1 लाख 93 हजार 200 मिलीलीटर के पैकेट सीज किए गए।
दूसरा मामला मानसरोवर के मध्यम मार्ग स्थित अपोलो फार्मेसी से जुड़ा है, जहां 200 मिलीलीटर के टेट्रा पैक भ्रामक तरीके से “ORS” के रूप में बेचे जा रहे थे। टीम ने यहां से भी 77 पैकेट जब्त किए।
सीएमएचओ सैकंड डॉ. मनीष मित्तल ने बताया कि असली ओआरएस का पैकेट बाजार में लगभग 10 रुपए का होता है। लेकिन इन फर्जी उत्पादों को 45 से 50 रुपए तक बेचा जा रहा था। ये ड्रिंक इस तरह पैक किए गए थे कि देखने में बिल्कुल असली ओआरएस जैसे लगते थे। उपभोक्ता आसानी से भ्रमित हो जाते थे और मान लेते थे कि यह वही हेल्थ सॉल्यूशन है जो डॉक्टर सलाह देते हैं।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि ये ड्रिंक असल में ओआरएस नहीं हैं—इनमें इलेक्ट्रोलाइट, सोडियम या ग्लूकोज का वैसा संतुलन नहीं होता जो डिहाइड्रेशन की स्थिति में जरूरी है। यानी जो व्यक्ति बीमार होकर यह “ORS ड्रिंक” पी रहा है, उसे राहत के बजाय और कमजोरी महसूस हो सकती है। यह बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए खासतौर पर खतरनाक है।
ड्रग और फूड सेफ्टी विभाग अब यह जांच कर रहा है कि इन नकली उत्पादों की सप्लाई कहां से आ रही थी। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह प्रोडक्ट स्थानीय स्तर पर रीपैक किए जा रहे थे या बाहरी सप्लायर्स से बिना लाइसेंस के खरीदे जा रहे थे। विभाग ने सभी डीलरों और मेडिकल स्टोर संचालकों को चेतावनी दी है कि बिना अनुमति वाले ऐसे किसी भी ड्रिंक को बेचने पर कार्रवाई होगी।
डॉ. मित्तल ने आमजन से अपील की है कि ओआरएस खरीदते समय पैक पर कंपनी का नाम, लाइसेंस नंबर और “WHO recommended formula” का उल्लेख जरूर देखें। अगर किसी पैक में “फ्रूट फ्लेवर” या “एनर्जी ड्रिंक” लिखा है, तो वह असली ओआरएस नहीं है।
जयपुर में पकड़ी गई यह खैप सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि उस बाजार की सच्चाई उजागर करती है जहां “हेल्थ” के नाम पर व्यापार हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सख्ती से उम्मीद है कि ऐसे मिलावटी उत्पादों पर अब अंकुश लगेगा। वरना “ORS” जैसे भरोसेमंद नाम भी लोगों के लिए धोखा बन जाएंगे।

