मसूर का उत्पादन घटने से लॉकडाउन खुलने के बाद तेजी की उम्मीद

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मुकेश भाटिया
कोटा।
मसूर का उत्पादन खपत में 50 प्रतिशत इस बार कम हुआ है। आयात शुल्क घटने की अफवाह चल रही है, लेकिन अभी सरकार की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं है। यदि सरकार आयात शुल्क घटाती भी है, तब भी कनाडा से पड़ते में आयात मुश्किल लग रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए मसूर के व्यापार में दूर – दूर तक रिस्क नहीं है। लॉकडाउन खुलते ही बाजार तेज हो जाएगा।

मसूर का स्टॉक मध्यप्रदेश के बीनागंज, सागर, भोपाल, मुंगावली, गंज बासौदा के साथ – साथ राजस्थान के प्रतापगढ़ , निंबाहेड़ा एवं यूपी के गोंडा, बहराइच, कानपुर, गोरखपुर, चनपतिया से लेकर बिहार के जहानाबाद, गया, पटना, मुजफ्फरपुर, बख्तियारपुर आदि उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई घटने के साथ – साथ उत्पादन कम होने से खपत के अनुरूप माल नहीं है। हम मानते हैं कि पिछले एक सप्ताह से कभी स्टॉक सीमा एवं कभी आयात शुल्क घटने की अफवाहों से कारोबारी काफी दहशत में आ गए हैं तथा कुछ कारोबारियों का माल औने पौने भाव में कटता भी जा रहा है।

इन सब के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव को देखकर आयात शुल्क घटने की चिंता किए बिना व्यापार खुलकर करना चाहिए। गौरतलब है कि कनाडा में नई फसल सितंबर – अक्टूबर में आएगी। उससे पहले वहां भी स्टाक ज्यादा नहीं होने से आयात पड़ता महंगा लग रहा है तथा बड़ी कंपनियां घटाकर बिकवाल नहीं है। इन परिस्थितियों में 6450 रुपए की मसूर कनाडा वाली में यहां घाटे का सौदा नहीं रहेगा।

उधर मुंगावली, गंजबासौदा लाइन की मसूर भी बिल्टी में 6725 रुपए प्रति क्विंटल बोलने लगे हैं। कुछ कारोबारी 6700 रुपए में भी चले हुए माल बेच गए हैं। लेकिन मंडियों में स्टाक एवं आपूर्ति को देखते हुए यहां से घटने की गुंजाइश नहीं है। अत: माल लेकर पूरा चलना चाहिए तथा किसी भी समय 500 रुपए ब्याज भाड़ा छोड़कर लाभ दे जाएगी।