नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव के बढ़ते सियासी पारे के साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगातार ऊपर भागते मीटर और कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन की चौतरफा सरगर्मियों के बीच संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है। इन मुद्दों की सियासी गरमी के बीच कृषि सुधार कानूनों में बदलाव का मसला सरकार और विपक्ष के बीच तकरार का सबसे प्रमुख मुद्दा होगा।
उधर इन कानूनों को लेकर अपने रुख पर कायम सरकार सत्र के दूसरे हिस्से में पेंशन सुधार से लेकर डिजिटल करेंसी के नियमन जैसे अपने अहम विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने को भी तैयार है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने चौतरफा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रदर्शनकारियों की मांग पर सरकार की उदासीनता के सवालों को संसद के दोनों सदनों में उठाने का फैसला किया है।
कांग्रेस ने बनाई रणनीति
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान रणनीति तय करने के लिए रविवार को पार्टी के संसदीय रणनीतिक समूह के साथ वर्चुअल बैठक की। इसमें तय हुआ कि सोमवार को सत्र के पहले दिन पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी के मुद्दे को कांग्रेस कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देते हुए दोनों सदनों में उठाएगी। महंगाई के मुद्दे पर सदन में बहस की मांग उठाकर सरकार को घेरने का प्रयास किया जाएगा।
छाया रहेगा किसानों का मुद्दा
इसके बाद कृषि कानून विरोधी आंदोलन के 100 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी मांगों की अनदेखी का सवाल उठाते हुए किसानों के मुद्दे पर अलग से बहस की मांग उठाई जाएगी। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया में मनमुताबिक नैरेटिव का प्रचार करने के लिए कथित तौर पर आई जीओएम की सिफारिशों और उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध और उनकी सुरक्षा के मुद्दे को भी संसद में उठाया जाएगा।
बिल पास कराने पर रहेगा सरकार का जोर
विपक्ष की इन तैयारियों से बेफिक्र सरकार भी अपने एजेंडे और कामकाज को सत्र के दौरान सिरे चढ़ाने के लिए कमर कस चुकी है। इस दौरान कई मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा कराकर पारित कराने के अलावा सरकार कुछ अहम आर्थिक सुधार से जुड़े विधेयकों को पारित कराएगी।