हाड़ाैती का चकरी लोकनृत्य अमेरिका तक पहुंचेगा, बनेगी डॉक्यूमेंट्री

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कोटा। कोटा बिना रेलवे लाइन पर स्थित छबड़ा क्षेत्र की चाचाैड़ा की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला हाड़ौती का परंपरागत चकरी लाेकनृत्य अब अमेरिका में राजस्थानी लाेक संस्कृति की विशेष पहचान बनाएगा। इंटनेशनल प्राेजेक्ट में चकरी नृत्य पर एक प्राेजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसमें इस कला-संस्कृति काे बचाया जा सकेगा।

यहां शंकर काॅलाेनी में 15 साल से अधिक आयु की 500 महिलाएं चकरी नृत्य में पारंगत है, जाे 4 दशक से देश-दुनिया में अपनी इस परंपरा और राजस्थानी लाेक संस्कृति की अनूठी छाप छाेड़ चुकी है।

ये निरक्षर महिलाएं लंदन, मास्काे समेत कई देशाें में प्रस्तुतियां दे चुकी। यहां करीब 30 ग्रुप है। लेकिन, काेराेना काल में इस कला काे संबल नहीं मिल पाया। ऐसे दाैर में भी इन महिलाओं ने हुनर काे बरकरार रखा। अब इनके हुनर की पहचान अमेरिका तक हाेगी। अमेरिका की एक संस्था की ओर से इंडिया में भाषा संस्था के माध्यम से इनकी कला, संस्कृति काे बचाने के लिए 3 राज्याें का एक प्राेजक्ट तैयार किया जा रहा है।

इसमें राजस्थान, गुजरात और एमपी शामिल है। इनमें प्रदेश में 8 जातियाें की कला-संस्कृति काे लेकर 1 डाॅक्यूमेंट्री बनेगी। ताकि इनकी हुनर काे दुनिया में पहचान मिल सके। काेटा के प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर डाॅ. मदन मीणा का कहना है कि छबड़ा के चाचाैड़ा शंकरकाॅलाेनी में बसे कंजर, सांसी, नट, कालबेलिया, गाड़िया लुहार, बेड़िया, बाछड़ा और पारदी जाति काे लेकर यह रिसर्च प्राेजेक्ट तैयार किया जा रहा है।

प्रदेश में पारदी और बाछड़ा जाति नहीं हैं। राजस्थान ये ही वाे जातियां है। जिन्हाेंने अभी तक इस तरह की कला, संस्कृति काे बचाया हुआ है। जाे अभी तक समाज की मुख्यधारा में आने के लिए आजादी के बाद से ही छटपटा रही है। यह प्राेजेक्ट इन महिलाओं की कला-संस्कृति काे एक पहचान दिलाएगा।