कोटा संभाग में थैलेसीमिया रोगियों को दी जा रही दवाओं की उच्च स्तरीय जांच होगी

0
8

कोटा। चिकित्सा प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड ने कहा है कि कोटा संभाग में थैलेसीमिया रोगियों को दी जा रही दवाओं की उच्च स्तरीय जांच होगी। इससे पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश जैन ने जयपुर प्रवास के दौरान चिकित्सा प्रमुख शासन सचिव राजस्थान गायत्री राठौड से भेंट कर कोटा संभाग में थैलेसीमिया रोगियों को दी जा रही दवाओं की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी।

भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश जैन ने गायत्री राठौड को बताया की थेलेसेमिक्स मरीज़ों को लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन होने से उनके शरीर में (फेरिटिन लेवल) आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे कम करने के लिए आरएमएससीएल जयपुर द्वारा राज्य सरकारी अस्पतालों में पूर्व में (साल्ट नेम) Deferasirox नोवार्टिस कंपनी की (ब्रांड नेम ) ओलेप्टिस दवा उपलब्ध करवाई जा रही थी जो फ़िल्म कॉटेड दवा है। इससे बच्चो में आयरन कम हो रहा था और उल्टियाँ आदि जैसी समस्याए भी नहीं थी।

किंतु वर्तमान में आरएमएससीएल द्वारा सिपला कंपनी की और माइक्रॉन कंपनी की (साल्ट नेम ) Deferasirox दवा उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे बच्चो को साइड इफ़ेक्ट भी हो रहे हैं। यह दवा पानी मे ठीक से नही घुलती और इससे उल्टी और जी मचलाना जैसी समस्याए हो रही है। फेरिटिन लेवल, आयरन भी कम नहीं हो रहा है। इसलिये इन दवाओं की उच्च स्तरीय जांच किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि कोटा संभाग में बडी संख्या में थैलेसीमिया रोग से ग्रसित मरीज हैं। इनके उचित उपचार को लेकर कोटा शहर में एम.बी.एस. अस्पताल या जे.के. लोन अस्पताल नयापुरा में थैलेसीमिया को लेकर एक डेडिकेटेड फ्लोर बनवाये जाने की भी जरूरत है। जहां इस रोग से संबंधित सभी सुविधाओं का लाभ एक ही स्थान पर मरीजों को मिल सके। जिसमें चिकित्सक, रोगियों को जांच की सुविधा, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, उचित मानकों की दवाओ की उपलब्धता ये सभी सुविधायें मिल सके।

उन्होंने बताया कि लगातार रक्त चढाने और इंफेक्शन से बचाव के लिये CB नॉट जाँच मशीन जो उदयपुर में भी लगी हुई है, ऐसी मशीन कोटा में लगवाना थैलीसीमिया मरीजों के जीवन में मिल का पत्थर साबित होगा। जिससे उचित गुणवत्ता का रक्त मरीजों को उपलब्ध हो सकेगा। क्योंकि इस मशीन द्वारा रक्त के छोटे से छोटे संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।