45 हजार रुपये के नीचे आ सकता है सोने का भाव, जानें क्या कहते हैं एक्सर्ट

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नई दिल्ली। कोरोना काल में तेजी का नया रिकॉर्ड बनाने वाले सोने की चमक अब कुछ फीकी पड़ने लगी है। कोरोना का टीका बन जाने के बाद सोना 45 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से भी नीचे आ सकता है। सोने का अब तक सबसे उच्चतम स्तर अगस्त में 56254 रुपये रहा लेकिन सर्वोच्च शिखर से 7425 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता हो चुका है। बीते हफ्ते शुक्रवार को सर्राफा बाजारों में 24 कैरेट सोना 48829 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।

वहीं चांदी की बात करें तो इस दिन यह 76008 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई थी और 27 नवंबर तक आते-आते यह 60069 रुपये प्रति किलो रह गई है। इस दौरान चांदी 15939 रुपये प्रति किलो सस्ती हुई। अगर एक्सपर्ट की माने तो सोने का भाव 45000 रुपये के नीचे जा सकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में तेज सुधार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से उम्मीदें और कोविड19 के टीका बनाने की दिशा में तेजी से काम होने की खबरों से सोने के दाम में लगातार गिरावट आ रही है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक तपन पटेल ने कहा, कोविड-19 के टीके के संदर्भ में उम्मीद बढ़ने और बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने की तैयारियों के मद्देनजर सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। इसके अलावा वैश्विक बाजार में कमजोरी के संकेतों और रुपये की विनिमय दर में सुधार का भी सोने की कीमतों पर असर पड़ा। इस बीच बिकवाली दबाव के कारण चांदी भी 1,588 रुपये की गिरावट के साथ 59,301 रुपये प्रति किलो ग्राम पर आ गई।

पिछले सत्र में इसका बंद भाव 60,889 रुपये प्रति किग्रा था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव हानि के साथ 1,830 डॉलर प्रति औंस रह गया जबकि चांदी 23.42 डॉलर प्रति औंस पर लगभग अपरिवर्तित रही। एजेंल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने कहा कि सोने 49 हजार निचला स्तर तोड़ दिया है जिसके बाद इसमें और गिरावट की आशंका बढ़ गई है।

अभी सोने में निवेश से बचें
एजेंल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रसिडेंट अनुज गुप्ता ने कहा कि कोरोना संकट गहराने पर सोना 55 हजार के स्तर को पार कर गया था। अब टीका बनने के करीब पहुंचने के साथ ही इसमें गिरावट शुरू हो चुकी है। गुप्ता ने कहा कि टीका बन जाने के बाद सोना 45 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से भी नीचे आ जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। ऐसे में मौजूदा समय में सोने में निवेश से दूर रहने की जरूरत है। हालांकि, एक साल या उससे लंबी अ‌वधि में यह 55 हजार रुपये के स्तर तक दोबारा पहुंच सकता है।