कोटा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को कैशलेस पेमेंट को प्रोत्साहित करने और नकद भुगतान को हतोत्साहित करने की बात कही है। बैंक भी इसी लाइन पर चलते हुए अकाउंट से नकदी निकालने को लेकर हतोत्साहित कर रही है। लेकिन देश में डिजीटल पेमेंट को लेकर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ रहे हैं। लेकिन शहर की पुलिस इस धोखाधड़ी को लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आ रही है। अधिकांश मामलों में तो थानों में मामला दर्ज कराने पहुंच रहे लोगों को केवल परिवाद दर्ज कर टरकाया जा रहा है। वहीं, बैंक में जाने पर वे भी डिजिटल पेमेंट एप्प के मामले को अपने अधिकार क्षैत्र से बाहर बताकर विवशता जाहिर कर रहे हैं।आइये जानें कैसे हुई धोखाधड़ी-
केस-1
कोटा। महावीर नगर थाना क्षैत्र में रमेश कुमार सोनी ने 26 अप्रैल को अपने मित्र को 6 हजार रुप्ए की राशि फोन पे के जरिए भेजी। लेकिन राशि का आहरण मित्र को नहीं हुआ। इसके बारे में जानकारी करने के लिए गूगल पर फोन पे का कस्टमर केयर का नम्बर सर्च कर फोन नम्बर 08927965942 पर किया। इस पर राशि का पुनर्भुगतान करने के लिए कस्टमर केयर के द्वारा निर्देश दिए गए। रमेश कुमार सोनी ने कस्टमर केयर के निर्देशों का पालन करते हुए मोबाइल में अंक दर्ज किए। कुछ देर बाद खाते में मौजूद 14 हजार रुपए की राशि कट चुकी थी। जब रमेश कुमार सोनी महावीर नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो उन्हें केवल परिवाद क्रमांक 1127 लिखाकर घर भेज दिया गया। ऑनलाइन क्राइम ब्रांच को शिकायत पर भी कोई रेस्पोंस नहीं मिला।
केस-2
उद्योग नगर थाना क्षैत्र में पवन मेहता को 29 जुलाई को किसी ने स्वयं को मित्र बताकर काॅल किया। जब पवन ने उससे बात की तो किसी दोस्त को संकट में बताते हुए अकाउंट में राशि डालने के लिए कहा। जिसके बदले में उसे केश राशि देने के लिए कहा। स्वयं को दोस्त बताने वाले व्यक्ति ने डिजिटल पेमेंट एप्प चालू है, यह कंफर्म करने के लिए दस रुपए भेजने के लिए कहा। इसके लिए दोस्त की ओर से एक क्यूआर कोड पवन को भेजा गया। जिसे स्कैन करने पर पेमेंट के स्थान पर 10 रुपए लिखा था। लेकिन जैसे पे बटन पर क्लिक किया तो 16 हजार रुपए कट गए। जब दिए गए नम्बर पर काॅल किया तो स्विच ऑफ़ थे। मामले की शिकायत उद्योग थाने में पहुंचे तो शिकायती पत्र तो ले लिया, लेकिन एफआईआर की काॅपी आज तक नहीं मिली है। जिसके बाद आईटी क्राईम ब्रांच पर ऑनलाइन शिकायत की, लेकिन कोई रेस्पोंस नहीं मिला।
कैशलैस भुगतान सुविधा से लोगों को आसानी हुई है, लेकिन बैकिंग फ्राॅड के चलते यह सबसे बड़ी दुविधा हो गई है। लोगों को एटीएम, बैंकिंग के नाम पर तथा डिजिटल पेमेंट एप के द्वारा धोखाधड़ी की जा रही है। इस धोखाधड़ी ने लोगों के लाखों रुपए की राशि का आहरण गलत तरीके से हो चुका है। लेकिन पुलिस के पास कोई खास मेकेनिज्म नहीं होने से धोखाधड़ी के शिकार लोगों के मामले दर्ज करने के बजाय टरका रही है। पुलिस के द्वारा फरियादी को डिजिटल पेमेंट करने को लेकर उलाहने तक दिए जाते हैं। लेकिन बैंक से अधिक राशि का निकास न होने के कारण डिजिटल प्लेटफार्म ही अंतिम विकल्प है। जिससे लोगों के लिए पसोपेश की स्थिति बन गई है। पुलिस प्रशासन भी इन लोगों को कोई राहत नहीं पहुंचा पा रहा है।