मुंबई। रेलवे के वादे के बावजूद लॉकडाउन की अवधि के टिकटों की बुकिंग कैंसल होने के बाद जारी रिफंड में से कन्वीन्यन्स शुल्क के नाम पर मोटी रकम कटने से यात्रियों ने नाराजगी जताई है। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की अवधि को 14 अप्रैल से और 17 दिन बढ़ाने के कारण 15 अप्रैल तथा 3 मई की अवधि के बीच लगभग 39 लाख टिकटों को कैंसल करना पड़ा है।
कन्वीन्यन्स चार्ज के नाम पर कटौती
दरअसल, आईआरसीटीसी ने जिन टिकटों को कैंसल किया है, उनमें से नॉ-एसी क्लास के लिए 15 रुपये तथा एसी और फर्स्ट क्लास टिकटों पर कन्वीन्यन्स चार्ज के रूप में 30 रुपये की कटौती की गई है। इसके अलावा, हर कैंसल टिकट पर उसने पेमेंट गेटवे चार्ज भी वसूल किया है। बीते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद रेलवे ने अपनी तमाम यात्री सेवाओं को तीन मई तक के लिए निलंबित कर दिया है और अगले आदेश तक अडवांस बुकिंग भी रोक दी है। हालांकि, लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में वह 15 अप्रैल से अडवांस बुकिंग कर रही थी।
वादे के बावजूद नहीं मिला पूरा रिफंड
रत्नागिरी सुपरफास्ट एक्सप्रेस की 20 अप्रैल की दो एसी की टिकटें बुक करने वाले डोंबिवली निवासी महेश द्विवेदी कहते हैं, ‘जब रेलवे ने खुद टिकटें कैंसल की हैं, फिर वह प्रॉसेसिंग फी क्यों चार्ज कर रही है? उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने के बाद मुझे मेसेज मिला कि मेरी टिकटें कैंसल कर दी गई हैं और इसका रिफंड जल्द ही मेरे अकाउंट में मिल जाएगा। लेकिन जब रिफंड की रकम आई तो वह लगभग 50 रुपये कम थी। जब मैंने इस बारे में और लोगों से पूछा तो पता चला कि फुल रिफंड करने के वादे के बावजूद लोगों को आईआरसीटीसी की वेबसाइट से बुक किए गए टिकटों का पूरा रिफंड नहीं मिला है।’
वेबसाइट के मेंटनेंस में जाता है पैसा
नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘जब कोई ट्रेन कैंसल होती है तो यात्रियों को पूरा रिफंड दिया जाता है और कन्वीन्यन्स फी के नाम पर बेहद मामूली रकम काटी जाती है। इस रकम का इस्तेमाल वेबसाइट के मेंटनेंस में होता है, जिसपर रोजाना 32 लाख रुपये और सालाना लगभग 125 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
आईआरसीटीसी ने कटौती को न्यायोचित कहा
IRCTC के एक प्रवक्ता ने इस शुल्क को न्यायोचित ठहराते हुए कहा, ‘IRCTC लोगों को कहीं से भी टिकटें बुक करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए आईआरसीटीसी बेहद मामूली रकम चार्ज करती है, जो नॉन एसी टिकट के लिए 15 रुपये और एसी तथा फर्स्ट क्लास टिकट के लिए 30 रुपये है। सिंगल टिकट पर छह यात्री तक यात्रा कर सकते हैं और शुल्क का निर्धारण टिकट से होता है न कि पैसेंजर्स की संख्या से।’
यात्रियों ने कहा रेलवे ने किया घोटाला
यात्रियों ने ट्विटर पर रेलवे के इस कदम पर अपनी नाराजगी जताई है। शहनाज ईरानी नाम की एक महिला ट्वीट करती हैं, ‘अगर रेलवे ने प्रति टिकट 18 रुपये की भी कटौती की है, तो उसने कुल 39 लाख टिकटें कैंसल की है। इस तरह उसने 39,00,000×18=7,02,00,000 (7 करोड़) की कमाई की है। क्या यह घोटाला नहीं है?’