नेशनल टैक्स कॉन्फ्रेंस/ GST में डिवीजन खत्म होने चाहिए : गुप्ता

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कोटा। राजस्थान टैक्स कंसल्टेंट एसोसिएशन एवं टैक्स बार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय नेशनल टैक्स कॉन्फ्रेंस मंथन-2020 का दो दिवसीय आयोजन सीपी ऑडिटोरियम में किया गया।कॉन्फ्रेंस में राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों से करीब 700 कर विशेषज्ञों ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस में कुल 7 तकनीकी सत्र हुए, जिसमें इनकम टैक्स, जीएसटी, कर कानूनों जैसे विभिन्न कानूनों का विश्लेषण किया गया।

जीएसटी अब जुगाड़ हो गया
कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन सीए राजेंद्र अरोड़ा ने बताया जीएसटी रिटर्न के बारे में बताया कि कभी गलती से मंथली रिटर्न की जगह क्वार्टरली रिटर्न का ऑप्शन चुन लिया तो उसे उसी वित्तीय वर्ष में बदल सकते हैं। निल रिटर्न करदाता मोबाइल से एसएमएस के जरिये भी फाइल कर सकते हैं। डिवीजनल कमिश्नर एलएन सोनी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि सरकार जीएसटी इसलिए लाई थी कि सारा ट्रांजेक्शन ट्रैक हो। किन्तु जीएसटी अब जीएसटी नहीं रहा, जुगाड़ हो गया।

सीए गौरव गुप्ता ने कहा कि जब जीएसटी आया था, तब वन नेशन, वन टैक्स की थीम बताई गई थी। किन्तु ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने इसमें तीन डिवीजन बना दिए। सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी। यह डिवीजन खत्म होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में दफा हट सकती है, तो जीएसटी में यह क्यों नहीं हट सकती है।

नौकरी का सवाल है, कुछ तो डिक्लियर करना ही पड़ेगा
एडवोकेट संजय झंवर ने यूएस का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां पर किसी के यहां इनकम टैक्स की सर्च होती है तो पहले टैक्सपेयर से तारीख पूछते हैं कि उन्हें कौन सी डेट उपयुक्त रहेगी। तारीख तय होने के बाद यदि सर्वे में कुछ नहीं मिलता है तो टैक्सपेयर को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दिया जाता है। जबकि, भारत में सर्वे में यदि टैक्सपेयर के यहां कुछ नहीं मिलता है तो अधिकारी कहते हैं कि नौकरी का सवाल है, इतना तो आपको डिक्लियर करना ही पड़ेगा।

ट्रस्टों को नए सिरे से रजिस्टर्ड कराना होगा
नई दिल्ली से आये सीए विनोद गुप्ता ने विवाद से विश्वास की स्कीम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 12 फरवरी को डिस्प्यूटेड टैक्स, डिस्प्यूटेड पेनल्टी और डिस्प्यूटेड इंट्रेस्ट में कुछ चेंजेज हुए हैं। ट्रस्टों के रजिस्ट्रेशन को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि सभी ट्रस्टों को नए सिरे से आयकर में रजिस्टर्ड कराना होगा। क्योकि इस बार फाइनेंस बिल में ट्रस्ट के कानून में बदलाव किया है।