नई दिल्ली। बड़े पैमाने पर रिटेलर्स और कारोबारियों का जीएसटी रिफंड 11 महीने से अटका हुआ है। इसमें ऑटोपार्ट्स, यूटेन्सिल्स, इंजीनियरिंग, सर्विस बेस्ड इंडस्ट्री शामिल है। इन सेक्टर्स के कारोबारियों का कहना है कि सरकार एक्सपोर्टर्स को राहत देने के लिए रिफंड मेला चलाया और ये रिफंड मेला कारोबारियों के लिए भी आयोजित किया जाए ताकि इसका उनका लंबे समय से अटका रिफंड मिल जाए।
11 महीने से अटका रिफंड
वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में ऑटो पार्ट्स कारोबारी कपिल भटनागर ने moneybhaskar.com को बताया कि जुलाई से लेकर अब तक उन्हें रिफंड नहीं मिला है। उनका करीब 8 करोड़ का जीएसटी रिफंड अटका हुआ है। भटनागर ने बताया कि ज्यादातर उनका रिफंड अक्टूबर से दिसंबर के बीच आ जाता था लेकिन इस बार मई खत्म होने वाला है लेकिन अभी तक रिफंड नहीं आया है।
घरेलू इंडस्ट्री है परेशान
यूटेन्सिल्स एसोसिएशन के हेड और कारोबारी देवकी नंदन बागला ने moneybhaskar.com को बताया कि घरेलू इंडस्ट्री को जीएसटी लागू होने के बाद से रिफंड नहीं मिला है। सरकार रिफंड नहीं मिलने के कारण कैश की कमी झेल रहे एक्सपोर्टर्स की मदद कर रही है। एक्सपोर्टर्स के लिए सरकार ने रिफंड मेला चलाया और कई इंसेटिंव की घोषणा भी की लेकिन घरेलू इंडस्ट्री के रिफंड को लेकर कुछ भी नहीं कर रही है।
सर्विस इंडस्ट्री भी है परेशान
दरियागंज के रेस्त्रां मालिक ने LEN DEN NEWS को बताया कि सर्विस इंडस्ट्री भी जीएसटी रिफंड को लेकर परेशान है क्योंकि उन्हें रिफंड जुलाई से नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि वह 12 से 18 फीसदी तक जीएसटी चुकाते हैं और कस्टमर से 5 फीसदी लेते हैं। उन्हें इसका नुकसान हो रहा है लेकिन जीएसटी रिफंड नहीं मिलने पैसा ज्यादा ब्लॉक हो रहा है। इसका सीधा असर कारोबार पर पड़ रहा है।
2 बार चुकाना पड़ रहा है जीएसटी
इंडस्ट्रियल एसोसिएशन एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेजिडेंट कपिल चोपड़ा ने LEN DEN NEWS को बताया कि जीएसटी में दो बार टैक्स चुकाने की लाएबिलिटी हो गई है। उन्होंने एक उदारहण के जरिए बताया कि जैसे किसी A कारोबारी ने दूसरे B कारोबारी से गुड्स खरीदा। जब A ने गुड्स खरीदा तो उसने जीएसटी चुकाया जो उस ट्रांजेक्शन के इन्वॉइस पर होता है।
अब A ने आगे गुड्स बेच दिया। अब A ने अपनी रिटर्न फाइल की और B को दिए जीएसटी का रिफंड अप्लाई किया। अब B ने रिटर्न नहीं फाइल की या A की साथ की गई ट्रांजेक्शन को नहीं दिखाया तो A की लाइबिलिटी बढ़ जाती है। जीएसटी सिस्टम B के नहीं दिए जीएसटी का टैक्स A से मांगता है। इससे A की लाएबिलिटी डबल हो गई। पहले उसने B को जीएसटी दिया और दूसरी बार B ने टैक्स नहीं जमा कराया तो उसका भी रिफंड भरना पड़ रहा है।