‘बच्चों को थोड़ा तनाव में पालिए’ वीडियो को 12 लाख पेरेंट्स ने सराहा

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‘गुड पेरेंटिंग : मोटिवेशनल वीडियो को देश-विदेश में 35 से 44 आयुवर्ग की महिलाओं ने सबसे उपयोगी माना।

-अरविंद

कोटा। ‘हम बच्चों को समय नहीं सुख-सुविधाएं ज्यादा दे रहे हैं। जब खुद संघर्ष नहीं करते हैं तो वे इन सुविधाओं को अपना हक मान लेते हैं। एक इंजीनियर अपनी बिल्डिंग का सर्वे खुद ही करने लगे तो उसकी खामियां सामने नहीं आ सकती। इसी तरह, अपने बच्चों के व्यवहार एवं पढ़ाई का फीडबेक हमेशा दूसरों से लें।

बच्चे के बारे में दूसरों की बातें बहुत ध्यान से सुनें।’ नेशनल कॅरिअर काउंसलर नीलेश गुप्ता ने ‘बच्चों को थोड़ा तनाव में पालिए’ वीडियो को फेसबुक पर 12.10 लाख पेरेंट्स ने इसे उपयेगी माना। गुड पेंरेंटिंग पर 2 से 4 मिनट के 35 प्रेरक विडियो को 2 माह में 16.20 लाख पेरेंट्स ने सुना और शेयर किया।

स्कूलों में लॉजिकल डेवलपमेंट नहीं हो रहा
केएसपी हाइड्रो इंजीनियरिंग प्रा.लि.,पुणे की ऑपरेशन हेड संदेश बी गरड़ ने कमेंट किया कि स्कूलों में बच्चों को सिम्पल लॉजिक भी नहीं सिखाए जा रहे। मुंबई के फिल्म निर्माता व क्रिएटिव राइटर इरफान जामी ने लिखा कि स्कूलों में लॉजिक पर टीचर्स खुद दिमाग लगाना नहीं चाहते। वे रट्टाफिकेशन ज्यादा करवाते हैं।

कोलकाता की प्रिया घोष लिखती हैं, मैं बचपन में कमजोर थी, इसलिए सवाल बहुत पूछती थी, जिससे मेरा लॉजिकल डेवलपमेंट हुआ। नोएडा की पूजा धोंधियाल ने कहा कि स्कूल टीचर्स बेसिक को टच नहीं कर रहे, क्वालिटी की बजाय क्वांटिटी पर ध्यान रहता है। आईटी में मास्टर्स करने वाले ग्वालियर की प्रिया गुप्ता ने लिखा, पेंरेंट्स बच्चे की हर एक्टिविटी पर नजर रखें।

सिर्फ गरजिए मत, कभी बरसिए भी :

उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि बचपन में बच्चे आपकी बात नहीं मानें तो उन्हें गीदड़ भभकी न दें, अन्यथा उसके मन में आपका डर खत्म हो जाएगा। व्यवाहारिक उदाहरण देकर बताया कि जो बच्चे घर से दूर बाहर रहकर पढाई कर रहे हैं, उनकी क्लोज मॉनिटरिंग करें। इंस्टीट्यूट से और ऐसे दोस्तों से फीडबेक अवश्य लें जिनसे वह थोड़ी दूरी रखता है। फिर उसकी कमियों को ताकत में बदलें।

‘एक उम्र से पहले आईआईटी की तैयारी सही या गलत’

‘एक उम्र से पहले आईआईटी की तैयारी करना सही है या गलत’, ‘स्कूल में पढाई के नाम पर गलत क्या हो रहा है’, ‘पैसे की कीमत समझाना जरूरी है बच्चों को’, ‘कहीं आप अपने बच्चे के दुश्मन तो नहीं बन रहे’, ‘बच्चों को अपनी च्वाइस से पालिए, न कि उनकी’, ‘मोबाइल का ज्यादा उपयोग कैसे रोकें’ आदि टॉपिक पर उन्होंने 2 माह में 35 से अधिक विडियो शेयर किए, जिन्हें देश-विदेश में 26.20 लाख से अधिक पेरेंट्स ने सुना व शेयर किया।

महिलाओं ने कहा- पेरेंटिंग पर ध्यान दें

बच्चों को थोडा तनाव में पालिएवीडियो  को सर्वाधिक 55 प्रतिशत महिलाओं व 44 प्रतिशत पुरूषों ने सुना। इसमें 22 प्रतिशत महिलाएं 35 से 44 आयुवर्ग की रहीं। गुड पेरेंटिंग के विडियो को विदेशों मे पेरेंट्स ने काफी पसंद किया। फेसबुक पर यूएसए में 1 लाख से अधिक, आस्ट्रेलिया व नेपाल में 40-40 हजार, यूएई में 32 हजार, कनाडा में 30 हजार, इंग्लैंड में 25 हजार तथा सउदी अरब में 10 हजार यूजर्स ने इसे सुना और शेयर किया। महिलाओं ने कहा कि बच्चे मोबाइल एडिक्ट हो रहे हैं, इसलिए पेंरेंटिंग पर ज्यादा ध्यान दें।

सुविधाओं से नहीं, अभाव से आगे बढाएं

बच्चों की परवरिश में ऐसे वीडियो महत्व रखते हैं। मॉडर्न बच्चे समझदार हैं, हम उनकी हर बात को आसानी से न मानें। थोडे़ अभाव में मिली हुई चीजें उन्हें अच्छा करने के लिए प्रेरित करेंगी।
– ज्योति शर्मा, आईटी एक्सपर्ट, लंदन
देश के एजुकेशन सिस्टम में बदलाव हो। स्कूलों में कम से कम याद कराया जाए, समझाया ज्यादा जाए। बच्चे आपस में डिस्कशन करके इंटरेक्टिव बनें। इससे उनकी लर्निंग प्रेक्टिकल होगी।
– पल्लवी रॉय, एमडी, ब्रांड डेजलर्स, गुड़गांव
मैने वीडियो सुना। बच्चे ग्रामर में बहुत कमजोर होते हैं। हिंदी व इंग्लिश लैग्वेज दोनों में लिखना व पढ़ना खत्म सा होता जा रहा है। वे केवल मोबाइल तक सीमित हैं। केंद्र सरकार तक ये बातें पहुंचे ताकि लैंग्वेज पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।
विदिक भट्ट, नैनीताल
मैने स्कूल में पढ़ाई के नाम पर गलत क्या हो रहा है, वीडियो सुनकर खुद को टीच किया। अब मेरा पढाने का तरीका ही बदल गया है। पेरेंटिंग के लिए ऐसे टिप्स बेहद उपयोगी हैं।
– रचना ठाकुर, टीचर, डीपीएस, देहरादून