DBT पेमेंट से सरकार ने बचाए अब तक 75 हजार करोड़

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नई दिल्ली। सब्सिडी का पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर करने (DBT) में सरकार ने नया रेकॉर्ड बनाया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सरकार ने इस वित्त वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को सीधे जनता के खातों तक पहुंचाया है। सीधे सब्सिडी को खातों में भेज सरकार ने 2014 से लेकर अबतक करीब 75 हजार करोड़ रुपये की बचत है, जिसका ऐलान सरकार जल्द ही कर सकती है।

सरकार जो पैसा पब्लिक के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए डालती है, वह रकम इस फाइनैंशल ईयर में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। सरकार जल्द ही इस स्कीम के तहत हुए पेमेंट में 2014 से अब तक लगभग 75,000 करोड़ रुपये की बचत होने का ऐलान कर सकती है। बुधवार को डीबीटी पेमेंट इस वित्त वर्ष में 1,00,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सरकार ने 2016-17 में डीबीटी के जरिए 74,707 करोड़ जारी किए थे जबकि 2013-14 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 7,367 करोड़ रुपये का डीबीटी हुआ था। एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने ईटी को बताया कि 2017-18 में डीबीटी पेमेंट का फाइनल डेटा 1.2 लाख करोड़ रुपये हो सकता है जो पिछले फिस्कल से 60 प्रतिशत ज्यादा है।

सरकारी सूत्र ने बताया कि ग्रामीण रोजगार योजना और सब्सिडी वाली रसोई गैस के लिए इस वित्त वर्ष में 63 करोड़ से ज्यादा लोगों को डीबीटी पेमेंट मिला है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 35 करोड़ का था। सूत्र ने जोर देकर कहा कि इस हिसाब से देश की आधी आबादी को कोई बिचौलिया या लीकेज बिना सरकार से सीधे पेमेंट का बेनिफिट मिल रहा है।

मई 2014 में जब मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार बनी थी तब सिर्फ 10 करोड़ लोगों को डीबीटी के जरिए पेमेंट मिल रहा था। सूत्र ने बताया, ‘लेटेस्ट डेटा में डीबीटी और सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से सरकार की कुल बचत लगभग 75,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है। पिछली बार बचत के जो आंकड़े जारी किए गए थे उसमें यह 57,029 करोड़ रुपये रहा था।’

विपक्षी दल और सामाजिक कार्यकर्ता सरकार पर बचत से जुड़े इन आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप लगा रहे हैं। डीबीटी पेमेंट में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह इस साल मार्च तक सभी सेंट्रल स्कीमों (लगभग 450) को इसके दायरे में लाने की कोशिश है।

पिछले वित्त वर्ष में 142 सेंट्रल स्कीमों को डीबीटी के तहत कवर किए जाने से टोटल स्कीमों की संख्या 412 हो गई है। इस वित्त वर्ष में डीबीटी के जरिए सबसे ज्यादा 28,623 करोड़ रुपये का पेमेंट मनरेगा के जरिए हुआ है जबकि रसोई गैस पर सब्सिडी के लिए सरकार ने 20,610 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं।

इसके अलावा 10,042 करोड़ रुपये की रकम कई स्कॉलरशिप स्कीमों के तहत जारी हुई जबकि 5,831 करोड़ रुपये नैशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम में दिए हैं। दूसरी स्कीमों के तहत 34,917 करोड़ रुपये का डीबीटी हुआ है।

सरकारी सूत्र ने कहा, ‘डीबीटी में 2014 से अब तक 2.83 लाख करोड़ रुपये का पेमेंट हुआ है।’ उन्होंने कहा कि इसमें सरकार को लगभग 75,000 करोड़ की बचत हुई है जो चुकाई गई रकम का 26% पर्सेंट है। यह डीबीटी की कामयाबी की निशानी है।