मुंबई। सेंसर बोर्ड ने फिल्म पद्मावती का नाम बदलने को कहा है। लिहाजा फिल्म का नाम पद्मावत हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोर्ड ने फिल्ममेकर्स को 26 कट्स के साथ फिल्म रिलीज करने को कहा है। इससे पहले करणी सेना समेत कई हिंदू संगठनों ने फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ की बात कही थी।
इसको लेकर 28 दिसंबर को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड- CBFC) ने पद्मावती का रिव्यू किया था। फिल्म में जरूरी बदलाव करने के लिए एक्सपर्ट्स का एक पैनल भी बनाया गया था। बता दें कि फिल्म को 1 दिसंबर को रिलीज किया जाना था। लेकिन विवादों में आने के चलते रिलीज टाल दी गई थी।
राजस्थान के 3 प्रोफेसर का बनाया गया स्पेशल पैनल
– 28 दिसंबर को सेंसर बोर्ड ने पद्मावती का रिव्यू किया था। इसमें फैसला किया गया कि पद्मावती में कुछ बदलाव के बाद फिल्म को U/A सर्टिफिकेट दिया जाएगा। साथ ही फिल्म का नाम पद्मावत हो सकता है।
– सेंसर बोर्ड ने फिल्म के रिव्यू के लिए स्पेशल पैनल बनाया था, जिसमें कुछ प्रोफेसरों उदयपुर से अरविंद सिंह और जयपुर से डॉ. चंद्रमणि सिंह और प्रो. केके सिंह को बुलाया गया था। एक्सपर्ट्स के पैनल ने फिल्म में ऐतिहासिक-सांस्कृतिक मुद्दे को देखते हुए फिल्म में कुछ बदलाव करने को कहे थे।
– सेंसर बोर्ड का कहना था, “फिल्म को लेकर फिल्ममेकर्स और सोसाइटी का रवैया संतुलित होना चाहिए। हमें फिल्म से जुड़ी कुछ बातों को लेकर चिंता है। स्पेशल पैनल ने फिल्म में कुछ चीजें जोड़ने की बात कही हैं, लिहाजा यही हमारा फैसला है। “
फिल्म पद्मावती को लेकर क्या आपत्ति है?
– राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। राजपूत करणी सेना का मानना है कि इस फिल्म में पद्मिनी और खिलजी के बीच सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची। फिल्म में रानी पद्मावती को भी घूमर नृत्य करते दिखाया गया है। जबकि राजपूत राजघरानों में रानियां घूमर नहीं करती थीं।
– हालांकि, भंसाली साफ कर चुके हैं कि ड्रीम सीक्वेंस फिल्म में है ही नहीं।
कौन थीं रानी पद्मावती?
पद्मावती चित्तौड़ की महारानी थीं। उन्हें पद्मिनी भी कहा जाता है। वे राजा रतन सिंह की पत्नी थीं। उन्होंने जौहर किया था। उनकी कहानी पर ही संजय लीला भंसाली ने फिल्म बनाई है।
क्या हकीकत में थीं रानी पद्मावती?
वे कोरी कल्पना नहीं थीं। रानी पद्मावती ने 1303 में जौहर किया। मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में ‘पद्मावत’ लिखी। छिताई चरित, कवि बैन की कथा और गोरा-बादल कविता में भी पद्मावती का जिक्र था।
क्या जायसी ने हकीकत के साथ कल्पना जोड़ी?
इसी पर डिबेट है। कई इतिहासकार कुछ हिस्सों को कल्पना मानते हैं। जायसी ने लिखा कि पद्मावती सुंदर थीं। खिलजी ने उन्हें देखना चाहा। चित्तौड़ पर हमले की धमकी दी। रानी मिलने के लिए राजी नहीं थीं। उन्होंने जौहर कर लिया।
खिलजी हीरो नहीं था
चित्तौड़गढ़ के जौहर स्मृति संस्थान का कहना है- फिल्म में हमलावर खिलजी को नायक बताया है। जबकि राजा रतन सिंह की अहमियत खत्म कर दी है। यही इतिहास से छेड़छाड़ है।
घूमर नृत्य नहीं, सम्मान
फिल्म के एक गाने में घूमर नृत्य दिखाया है। राजपूतों के मुताबिक, घूमर अदब का प्रतीक है। रानी सभी के सामने घूमर कर ही नहीं सकतीं।