Sanskar Mahotsav: कोचिंग छात्रों के लिए हुआ शिक्षा एवं संस्कार का अनूठा महोत्सव

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विज्ञान और अध्यात्म के संगम में ली सीख, भजनों पर झूमे भावी डॉक्टर व इंजीनियर

कोटा। ALLEN Sanskar Mahotsav: कॅरियर एवं केयर सिटी, शिक्षा की काशी कोटा में रविवार को दिन एक बार फिर यादगार हो गया। यहां कोचिंग स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा, भक्ति और संस्कार के सबसे बड़े महोत्सव का आयोजन एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया।

फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बॉयलोजी और मैथ्स के सवालों में डूबे हुए कोटा कोचिंग के स्टूडेंट्स रविवार को अलग ही रंग में डूबे नजर आए। विज्ञान के विद्यार्थी अध्यात्म के भावों में डूबे रहे। फूल बरसते रहे और युवा झूमते रहे। इस दौरान कोचिंग सिटी कोटा का संस्कार से सफलता तक का ध्येय साकार होता दिखा।

एलन संस्कार महोत्सव कोटा के इन्द्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया के रोड नं.1 स्थित एलन उत्सव वाटिका में हुआ। कार्यक्रम में 10 हजार से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हुए, जिन्हें श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने संस्कार से सफलता तक के लिए मार्गदर्शन दिया।

विज्ञान और अध्यात्म के मिलन की कोटा में यह अनूठी पाठशाला रही, जिसमें भावी डॉक्टर व इंजीनियर्स भजनों पर झूमे और जीवन में संस्कार का महत्व समझाते हुए मार्गदर्शन लिया। संस्कार महोत्सव को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाखों स्टूडेंट्स ने लाइव देखा। इंजीनियर व डॉक्टर के रूप में कॅरियर बनाने के लिए अध्ययनरत देशभर के हजारों विद्यार्थियों के लिए यह दिवस यादगार बन गया।

महोत्सव में कॅरियर के साथ-साथ विद्यार्थियों को संस्कार, संस्कृति, अध्यात्म, ध्यान और धैर्य का पाठ पढ़ाया गया। भक्ति की इस पाठशाला विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावक, शिक्षक और शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए। भक्ति और विज्ञान का यह अनूठा संगम विद्यार्थियों को अध्यात्म और ध्यान से जोड़ने के लिए रहा। इस अवसर पर एलन के निदेशक डॉ.गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, डॉ.नवीन माहेश्वरी व डॉ.बृजेश माहेश्वरी मौजूद रहे। उन्होंने भजन गाए और विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया।

विश्वास की मजबूती ही सफलता : घनश्यामाचार्य
श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी जी श्री घनश्यामाचार्यजी महाराज ने कार्यक्रम में विद्यार्थियों को सीख देते हुए कहा कि ईश्वर की अनुकम्पा के साथ सभी का विश्वास और साथ भी जुड़ा होता है। हमारा विश्वास कितना मजबूत है, यह हमें आगे ले जाता है। विद्यार्थी यदि शिक्षक में विश्वास करता है तो परीक्षा में वो बात भी याद आ जाती है जो कभी दोहराई नहीं। सच्चे मन से दान पुण्य अवश्य करें और इसकी निरन्तरता बनाए रखें, हो सकता है इससे कुछ लाभ नहीं हो रहा हो लेकिन एक दिन इसका पुण्य प्राप्त होगा।

उन्होंने विश्वास, भक्ति, धर्म, धैर्य और ध्यान की सीख देते हुए कहा कि संस्कार महोत्सव यानी संस्कारित होना। हर कार्य का संस्कार होता है। किसान भी अपनी जमीन को संस्कारित करता है, तभी जमीन उपजाऊ होती है। संस्कार ही हैं जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं, हमारे चरित्र को निर्मल रखते हैं, हमें कर्तव्यपरायणता की याद दिलाते हैं। शिक्षा के साथ संस्कार बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारे संस्कारों ही हमें परिवार, समाज, देश के प्रति जवाबदेह बनाते हैं।

माता-पिता गुरुजनों को नहीं भूलें
स्वामी जी महाराज ने विद्यार्थियों से कहा कि आप कितने ही शिक्षित हो जाओ लेकिन अपने संस्कारों को कभी नहीं भूलें। कितनी ही बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर चले जाओ लेकिन, अपने माता-पिता व गुरुजनों का सत्कार करना नहीं भूलें, क्योंकि आप जहां भी हो, उनकी वजह से ही हो। स्वामी जी महाराज ने विद्यार्थियों को प्रणाम का महत्व भी बताया। यदि आप माता-पिता व गुरुजनों को प्रणाम करते हैं तो उनका आशीर्वाद तो आपको मिलता ही है साथ ही उनके शरीर की सकारात्मक उर्जा भी आपको मिलती है। उनका पुण्य भी आपको मिलेगा। मित्रों का चयन बहुत सोच-समझकर करना होगा। यदि बुरी आदतों वाला विद्यार्थी आपका मित्र बनेगा तो आप भी उस व्यसन का शिकार हो जाएंगे।

विद्यार्थी पंचलक्षणम् का ध्यान रखें
स्वामी जी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में विद्यार्थियों के पांच लक्षण बताए गए हैं। विद्यार्थी वही परिपूर्ण है जिसमें ये पांच लक्षण होते हैं। इसमें काग चेष्ठा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा, गृह त्यागी और अल्पाहारी शामिल है। एक विद्यार्थी कौए की तरह चेष्ठावान होना चाहिए, उसमें हर बात जानने की उत्सुकता होनी चाहिए। बगुले की तरह ध्यान लगाने वाला होना चाहिए। कितने ही शोरगुल और विपरीत परिस्थितियों में हो लेकिन आपका ध्यान अपने लक्ष्य की तरफ होना चाहिए। निद्रा श्वान की तरह होनी चाहिए, एक श्वान सोते समय भी चौकन्ना होता है। विद्यार्थी को अल्पाहारी होना चाहिए, भोजन के प्रति इतना आसक्त नहीं होना चाहिए कि खाने के बाद किसी काम में मन नहीं लगे और हमेशा खाने की बात सोचते रहें। अंत में एक विद्यार्थी गृह त्यागी होना चाहिए, आप जैसे जो अपने घर छोड़कर आए हैं, अपना कॅरियर बनाने के लिए, जो घर से लगाव रखेगा, वो जीवन नहीं बना सकता।

दैनिक अर्चना व दीक्षा आज
कोटा प्रवास के दौरान स्वामीजी श्री घनश्यामाचार्य जी महाराज के पावन सानिध्य में इन्द्रा विहार स्थित ‘कृष्णायन’ में श्री लक्ष्मी वेंकटेश भगवान की आरती-अर्चना सोमवार सुबह 9 बजे होगी। आरती अर्चना के साथ ही स्वामी जी महाराज के दर्शन व आशीर्वचन होंगे। इसके बाद स्वामी जी महाराज से दीक्षा का कार्यक्रम होगा। अंत में गोष्ठी प्रसाद वितरण होगा। स्वामी जी महाराज का कोटा में बुधवार तक प्रवास रहेगा। इस दौरान नित्य आरती अर्चना प्रातः 9 बजे इन्द्र विहार कृष्णायन में होगी। स्वामी जी महाराज बुधवार को कोटा से ग्वालियर के लिए प्रस्थान करेंगे।

भक्ति भजनों पर झूमे स्टूडेंट्स
कार्यक्रम की शुरुआत भक्ति गीतों के साथ हुई। इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ.गोविन्द माहेश्वरी ने गणपति वंदना के साथ भजनों की शुरुआत की। इस अवसर पर निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व डॉ.बृजेश माहेश्वरी ने भी भजन गायन में साथ दिया। एक के बाद एक भक्ति भजन प्रस्तुत किए, जिन पर विद्यार्थियों के झूमने का सिलसिला शुरू हो गया। झांकियां और आकर्षक नृत्य के बीच खूब पुष्पवर्षा भी हुई। यहां गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज….., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी….., छोटी-छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल….., छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना….. सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे।

ये कोटा का रॉक शो है
सोशल मीडिया पर आए दिन रॉक शो और कॉन्सर्ट देखते हैं लेकिन ये कोटा का रॉक शो उनसे बहुत बेहतर और बहुत अलग है। यहां बहुत कुछ सीखने को मिला। अनुशासन के साथ इतनी बड़ी संख्या में  विद्यार्थियों के बीच जो उत्साह नजर आया वो पहले कभी नहीं देखा।
– अल्का कुमारी, पटना, बिहार

सीख याद रहेगी
विद्यार्थी पंच लक्षणम् की सीख याद रहेगी। हम फेकल्टीज से बहुत कुछ सीखते हैं लेकिन स्टूडेंट के क्या गुण होने चाहिए। हम कैसे स्वयं को बेहतर बना सकते हैं ये यहां सीखने को मिला। मैं कोशिश करूंगा कि पांच लक्षणों पर खरा उतरूं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करूं।
– अंशु समाधिया, श्योपुर, मध्यप्रदेश

ये अलग कोटा है
आज मुझे कोटा का अलग ही रंग नजर आया। कभी सोचा नहीं था कोटा में इस तरह के भी आयोजन होते हैं। मैंने कभी भक्ति भजनों का इतना आनंद नहीं लिया जितना मजा आज आया। वाइक, यह कार्यक्रम बहुत अलग और बहुत उत्साहित करने वाला था। इससे बहुत ऊर्जा मिली।
– शिमोल जैन, कोटा, राजस्थान

इसीलिए कोटा बेस्ट है
इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मुझे लग रहा है कि कोटा क्यों अलग है ?, क्योंकि ऐसा कहीं नहीं होता, जब हजारों स्टूडेंट्स एक साथ भक्ति भजनों पर झूमें। यहां यह सब देखने को मिला। आनन्द लेने के साथ-साथ हमने बहुत कुछ सीखा भी जो जीवन भर काम आएगा।
– आशीष त्रिपाठी, जालौन, उत्तर प्रदेश