नई दिल्ली। Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र का पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ गया। हालांकि, सोमवार को कोई विधायी कार्य न होने के बाद आखिरकार सरकार को एक सफलता मिली है। सरकार और विपक्ष संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गए हैं। लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को और राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को चर्चा होनी है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने तारीखों की घोषणा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि मंगलवार से दोनों सदनों में सुचारू रूप से कामकाज शुरू हो जाएगा। स्पीकर ओम बिरला की तरफ से विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बुलाई गई बैठक में यह सहमति बनी। स्पीकर के साथ सभी दलों के नेताओं की बैठक हुई। पिछले कुछ दिनों से संसद में गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। सभी ने इस पर चिंता जताई।
आश्चर्यजनक था समझौता
सांसदों ने कहा कि हमने भी कहा कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधि अपने विचार व्यक्त करने के लिए संसद में आते हैं और संसद का कई दिनों से ठीक से काम न करना ठीक नहीं है। रिजिजू ने कहाकि सभी ने इसे स्वीकार किया। सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए यह समझौता आश्चर्यजनक था, क्योंकि कांग्रेस का यह सख्त रुख था कि जब तक सरकार अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर चर्चा करने के लिए सहमत नहीं होती, तब तक संसद को काम नहीं करने दिया जाएगा।
बैठक से बाहर रही टीएमसी
कांग्रेस के रुख को लेकर विपक्ष में संशय की स्थिति के बीच यह बदलाव आया है। तृणमूल कांग्रेस, जो आंदोलन से अलग हो गई थी, कांग्रेस की तरफ से सदन में समन्वय पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुई। टीएमसी सांसदों ने अडानी-केंद्रित दृष्टिकोण से दूर जाने का तर्क दिया था ताकि महंगाई जैसी जनता से जुड़ी चिंताओं पर बहस की जा सके। सोमवार को समाजवादी पार्टी ने भी संसद को चलने देने का तर्क दिया ताकि संभल मस्जिद में किए गए सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा पर चर्चा की जा सके।
नियम के तहत मिलेगा मौका
रिजिजू ने कहा कि स्पीकर ने बैठक में कहा कि अगर कोई मुद्दा उठाना चाहता है तो उसके लिए नियम है। उन्होंने कहा कि आप इसके लिए नोटिस दे सकते हैं लेकिन संसद में हंगामा करना ठीक नहीं है। सभी ने इसे स्वीकार कर लिया है। यह अच्छी बात है कि सभी ने स्वीकार कर लिया है कि मंगलवार से चर्चा होगी।