नई दिल्ली। Mustard sowing area: खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी में देर होने तथा तापमान ऊंचा रहने से अक्टूबर में अधिकांश रबी फसलों की बिजाई गत वर्ष से पीछे चल रही थी और कमोबेश नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक यह सिलसिला बरकरार रहा।
उसके बाद बिजाई की गति काफी तेज हो गई और अब तिलहनों को छोड़कर अन्य अधिकांश रबी फसलों का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल से आगे निकल गया है। रबी फसलों की बिजाई दिसम्बर-जनवरी में भी जारी रहेगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर रबी फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 428.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 412 लाख हेक्टेयर से करीब 17 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इस वर्ष रबी फसलों का सामान्य औसत क्षेत्रफल 635.60 लाख हेक्टेयर आंका गया है। उम्मीद की जा रही है कि कुल रकबा इस स्तर तक पहुंच जाएगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि के दौरान गेहूं का उत्पादन क्षेत्र 188 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 200.40 लाख हेक्टेयर, दलहनों का बिजाई क्षेत्र 105 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 109 लाख हेक्टेयर, धान का क्षेत्रफल 9.16 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 9.75 लाख हेक्टेयर तथा श्री अन्न सहित मोटे अनाजों का रकबा 24.70 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 29.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 84.90 लाख हेक्टेयर से घटकर 80.55 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
इसके तहत खासकर सरसों- रेपसीड का बिजाई क्षेत्र 80.10 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 75.86 लाख हेक्टेयर रह गया जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 79.16 लाख हेक्टेयर से भी पीछे है। पिछले साल सरसों के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई थी।
दलहन फसलों में चना, मसूर एवं मटर की बिजाई में किसान अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे इसके क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इसी तरह मोटे अनाजों के संवर्ग में ज्वार तथा मक्का की बिजाई गत वर्ष से अधिक क्षेत्रफल में हुई है। मक्का का रकबा काफी बढ़ने की उम्मीद है।
गेहूं का सामान्य औसत क्षेत्रफल इस बार 312.35 लाख हेक्टेयर आंका गया है जिसमें से अभी तक 200 लाख हेक्टेयर में बोआई संभव हो सकी है। पंजाब हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की बिजाई का आदर्श समय पहले ही बीत चुका है।