कलश यात्रा के साथ श्रीराम रंगमंच पर सात दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ
कोटा। Ram Katha:131वें राष्ट्रीय दशहरा मेला के अंतर्गत गुरुवार को कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ हुआ। प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरु, शिक्षक, वक्ता और ख्यातनाम कथावाचक पंडित विजयशंकर मेहता ने व्यासपीठ से श्री रामकथा का अनुष्ठान प्रारम्भ किया।
इससेे पहले मौजी बाबा की गुफा से श्रीराम रंगमंच तक भव्य कलश यात्रा निकली। जिसमें महिलाएं पीले वस्त्र तथा पुरुष कुर्ता पायजामा पहनकर सम्मिलित हुए। कलश यात्रा में घोड़े, बग्घियां, मधुर स्वरलहरियां बिखेरता बैंड भी मौजूद था। इस दौरान प्रभु श्रीराम और हनुमान के जयकारे गूंज उठे।
इस दौरान मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, आयुक्त अशोक त्यागी, मेलाधिकारी जवाहरलाल जैन, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेशचंद गोयल, मेला प्रभारी महावीर सिसोदिया, उपायुक्त दयावती सैनी, एक्सईएन प्रकाशचंद, महावीर सिंह चौहान, मेला समिति सदस्य योगेंद्र शर्मा, सोनू धाकड़, भानुप्रताप गौड़, रीता सालूजा, सुमित्रा खींची, रेखा यादव, संजीव विजय, रामबाबू सोनी, राजेश मित्तल ने पण्डित विजयशंकर शर्मा का अभिनंदन किया। कलश यात्रा के श्रीराम रंगमंच पहुंचने पर श्री राम कथा का विधिवत शुभारंभ हुआ।
व्यास पीठ से श्री राम कथा का वाचन करते हुए पंडित विजय शंकर मेहता ने जीवन सूत्र भी बताए। उन्होंने पहले दिन श्री रामचरितमानस के बालकांड का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बालकांड में सहजता सूत्र का वर्णन किया गया है। बचपन से यदि सहजता चली जाए तो बचपन विकृत हो जाता है। कथा को जीवन में रूपांतरण लाने के लिए सुनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं जो हमने भारत में जन्म लिया। वेद, उपनिषद और शास्त्र हमारे देश में उतरे हैं। हमारे देश को साधु संतों को आशीर्वाद और हमें माता-पिता की कृपा मिली है। इसके बाद भी भगवान के होने का प्रश्न हमारे मन में खड़ा होता रहता है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हमारे ऊपर उपकार किया है। ऋषि मुनियों और विद्वानों के ‘राम’ को गोस्वामी तुलसीदास जी ने परिवार और समाज का ‘राम’ बना दिया।
उन्होंने कहा कि महाभारत रहना, गीता करना, रामायण जीना और भागवत मरना सिखाती है। रहने जीने में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि धन और तन का दुख व्यक्ति सहन कर लेता है, लेकिन संतान से मिले संताप को सहन नहीं कर सकता। आज बच्चे चरित्र छोड़ रहे हैं। रामचरितमानस हर प्रकार की अशांति से लड़ने की ताकत हमें देती है। मन, वचन, कर्म से उत्पन्न होने वाले दोषों को श्रीरामचरितमानस दूर करती है।
उन्होंने कहा कि राम जी के भक्त को कभी भी उदास नहीं होना चाहिए। हमेशा चेहरे पर मुस्कान रहनी चाहिए। इस दौरान अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में.. है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में .. सरीखे मधुर भजनों पर श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया।
मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि श्रीराम कथा 23 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक श्रीराम रंगमंच पर होगी। जिसमें पहुंचने के लिए 6 स्थानों से निशुल्क बसें भी लगाई गईं हैं।
बताए जीवन सूत्र
पंडित विजय शंकर मेहता ने जीवन सूत्र बताते हुए कहा कि हमेशा जीवन में ललक बनाकर रखिए। शिकायत चित्त को विराम दे दीजिए। बोलना जरूरत हो, आदत नहीं, इसलिए मौन साधिए और कथा से कोई ना कोई संकल्प जरूर लेकर जाइए।