कोटा दशहरा मेला का औपचारिक रूप से आगाज करने के लिए पुरानी रीति-नीति के अनुसार देवशयनी ग्यारस से पहले पारम्परिक गणेश पूजन के कार्यक्रम का आयोजन में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी पार्षदों सहित दोनों नगर निगमों में तैनात नौकरशाही ने इस पूजन तक का बहिष्कार किया है, उसे देखते हुए इस साल आयोजित होने वाले कोटा दशहरा मेला के सफल आयोजन पर ग्रहण लगने की आशंका उत्पन्न हो गई है। कोटा में दो नगर निगम बनने के बाद पहली बार स्थिति अलग है। नौकरशाही राजनीतिक दबाव में असहयोग का रवैया अपनाये हुए हैं।
-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। Kota Dussehra: राजस्थान के कोटा में चुनावी आचार संहिता की भेंट चढ़ चुके दशहरा मेला के बाद अब इस साल का मेला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के राजनीति के शिकार हो जाने की पूरी-पूरी आशंका है। इसकी पहली झलक बुधवार को देवशयनी ग्यारस से पहले होने वाले पारम्परिक गणेश पूजन के अवसर पर देखने को मिला, जिसमें कोटा के दोनों नगर निगमों के कांग्रेस के कुछ ही पार्षदों ने भाग लिया।
क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने इस गणेश पूजन का अघोषित बहिष्कार किया जबकि कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल भारती ने सूचना मिलने के बावजूद इसमें भाग लेना उचित नहीं समझा।
इतना ही नहीं, सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक दबाव इस कदर हावी रहा कि कोटा के दोनों नगर निगमों के आयुक्त तक गणेश पूजन कार्यक्रम में भाग लेने नहीं आये जबकि इन दोनों प्रशासनिक अधिकारियों पर इस मेले के सफलतापूर्वक आयोजन का दायित्व होता है। कोटा के भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक तो पहले ही इस मेले को राजनीतिक रूप देते हुए इस साल मेला आयोजन का दायित्व कोटा नगर निगम दक्षिण को सौंपने की मांग नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री से कर चुके हैं।
कोटा दशहरा मेला का अौपचारिक रूप से आगाज करने के लिए पुरानी रीति-नीति के अनुसार देवशयनी ग्यारस से पहले पारम्परिक गणेश पूजन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था लेकिन यह पूरा आयोजन बिलकुल फ़ीका रहा क्योंकि इसमें कुछ कांग्रेस पार्षदों को छोड़कर ज्यादातर पार्षद और नौकरशाह नदारद रहे।
इससे आहत कोटा नगर निगम उत्तर की महापौर एवं मेला आयोजन समिति की अध्यक्ष मंजू मेहरा को गणेश पूजन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहना पड़ा कि दोनों नगर निगमों के आयुक्तों को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम के बारे में सूचना दी थी, इसके बावजूद वे नहीं आये। दोनों दलों के पार्षदों को भी अधिकारिक तौर पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। इसके बावजूद उन्होंने भाग नहीं लिया।
उल्लेखनीय है कि कोटा नगर निगम उत्तर की महापौर एवं मेला आयोजन समिति की अध्यक्ष मंजू मेहरा पूर्व में भी यह मंशा प्रकट कर चुकी हैं कि पिछले साल की तरह इस बार भी कोटा के दोनों नगर निगम मिलकर संयुक्त रूप से ऐतिहासिक दशहरा मेला का आयोजन करेंगे।
उन्होने गत दिनों बताया था कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से पूर्व मेला दशहरा के आयोजन की तैयारी प्रारंभ करने हेतु गणपति स्थापना एवं पूजन किए जाने के संबंध में भी दोनो नगर निगमो के आयुक्तो को पत्र लिखा गया है। महापौर मेहरा ने यह भी बताया था कि पूर्व में राष्ट्रीय दशहरा मेला का आयोजन जिस प्रकार से नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण ने संयुक्त रूप से किया गया था,उसी प्रकार से गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय दशहरा मेंला 2024 का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 की तुलना में इस बार परिस्थितियां अलग है। उस समय दोनों ही नगर निगमों में महापौर कांग्रेस पार्टी के थे। मंजू मेहरा कोटा उत्तर की तो राजीव अग्रवाल कोटा दक्षिण के महापौर थे लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल भारती कांग्रेस छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए लेकिन उन्होंने महापौर पद नहीं छोडा और अभी भी महापौर बने हुए हैं।
जबकि कांग्रेस पार्टी और उसके पार्षद दलबदल के कारण उन पर पद छोड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं लेकिन वे पद छोड़ने को तैयार नहीं है बल्कि यह दावा किया जाता है कि महापौर के अलावा कुछ कांग्रेस पार्षदों के भी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने के कारण कांग्रेस अल्पमत में आ गई है लेकिन कांग्रेस के पार्षद इस दावे को खारिज करते आ रहे हैं।
महापौर मंजू मेहरा की इस भावना के प्रतिकूल कोटा के एक भारतीय जनता पार्टी के विधायक यह चाहते हैं कि इस बार मेले के आयोजन का दायित्व कोटा नगर निगम दक्षिण को सौंपा जाये। इस मांग के पीछे छिपी मंशा भी साफ़ है।
चूंकि लोकसभा चुनाव के पहले कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल भारती कांग्रेस छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं इसलिये भाजपा विधायक चाहते हैं कि अब मेले का दायित्व नगर निगम दक्षिण को मिले ताकि कमान भाजपा के लोगों के हाथों में रहे। मुख्य मकसद मेले के दौरान मंच पर कब्जे और मेले में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को निर्धारित करने को लेकर है।
भाजपा विधायक ने पिछले दिनों स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मुलाकात कर मांग की थी कि कोटा शहर का ऐतिहासिक मेला नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा ही भरवाया जाना चाहिए और कांग्रेस सरकार में बनी निगम की सभी समितियों को भंग किया जाना चाहिए।
उनका कहना है कि पूरे देश में ख्याति प्राप्त कोटा का दशहरा मेला कोटा दक्षिण नगर निगम क्षेत्र में आयोजित होता है तथा आयोजन के लिए अधिकांश संसाधन भी कोटा दक्षिण निगम के ही लगाये जाते हैं, फिर भी गत कांग्रेस शासन में पक्षपात कर कोटा उत्तर नगर निगम महापौर को मेला समिति अध्यक्ष बनाकर मेले का आयोजन उत्तर नगर निगम से करवाया जाता है।