किस्मत व समय मौसम की तरह है कभी भी परिवर्तन संभव: आदित्य सागर

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कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की द्वारा आयोजित चातुर्मास के मौके पर आदित्य सागर जी मुनिराज ने कहा कि किस्मत व समय के भरोसे ना बैठें। अपनी मेहतन पर विश्वास रखें । सही वक्त का इंतजार न करें। कठिन परिश्रम जारी रखें। किस्मत व वक्त तो मौसम की तरह होते हैं, जो कभी पलट सकते हैं। जिस सुबह राम को अयोध्या की राज गद्दी सम्भालनी थी, किस्मत ऐसे पलटी की रात में ही 14 वर्षों का वनवास मिल गया।

अपनी सोच को बडी रखें और मेहनत पर विश्वास रखें । उन्होंने कहा कि जिन्हें नीचे से आसमान देखना है, जिन्हें आसमान छूना है या जिन्हे आसमान बनाना है, वह अपनी सोच में अंतर रखते हैं। सदैव अपने ऊपर मेहनत करें और जोखिम लेने से न डरें। एक मां अपनी जान की जोखिम लेती है, तब एक संतान पैदा होती है।

सफलता के लिए मेहतन, कठिन परिश्रम, लगन की जरूरत होती है। तभी मनचाही सफलता प्राप्त होती है। हाई सक्सेस रेट के लिए 24 घण्टों को 40 घण्टो में बदलना होगा। जब आप अपनी शक्ति से अधिक कार्य करते हो, तभी वह हार्डवर्क बनता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि हीरा व मार्बल दोनो ही पत्थर हैं।

परन्तु जिस पत्थर ने पृथ्वी, पानी और ऑक्सीजन का दबाव सहन किया वह हीरा बन सका। मेहनत कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। अपनी मेहनत पर विश्वास रखें और पत्थर नहीं ​हीरा बनने का प्रयास करें।

इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जे के जैन, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, राजमल पाटोदी, पारस कासलीवाल, अंकित जैन, पदम हरसौरा, ऋषभ गोधा ताराचंद बडला, संजय लुहाडिया, पारस लुहाड़िया सहित कई लोग उपस्थित रहे।