नई दिल्ली। UGC NET: पेपर लीक की घटना के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने आखिरकार अपना फैसला बदले हुए यूजीसी-नेट की परीक्षा को फिर से कंप्यूटर के जरिए ही कराने का फैसला लिया है। 2018 से लगातार कंप्यूटर के जरिए होती आ रही इस परीक्षा को इस बार एनटीए ने पेन-पेपर मोड में कराया था, जिसके बाद पेपर लीक जैसी घटनाएं देखने को मिली थी।
एनटीए ने इसके साथ ही यूजीसी नेट सहित हाल ही में रद या फिर स्थगित हुई तीन परीक्षाओं का नया परीक्षा कार्यक्रम भी जारी कर दिया है। एनटीए की ओर से जारी इस नए परीक्षा कार्यक्रम के तहत यूजीसी नेट की परीक्षा का आयोजन अब 21 अगस्त से चार सितंबर के बीच होगी। हालांकि यह अभी तक साफ नहीं किया गया है कि यह परीक्षा शिफ्ट में होगी या फिर इसे इन तारीखों के बीच अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर आयोजित किया जाएगा।
फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसमें इसे जेईई मेन की तरह शिफ्ट में आयोजित कराने की तैयारी है। वैसे भी यूजीसी नेट की परीक्षा में जिस तरह से करीब 12 से 13 लाख छात्र हिस्सा लेते हैं उनमें सभी की कंप्यूटर पर एक साथ परीक्षा नहीं कराई जा सकती है, क्योंकि एनटीए के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। यूजीसी नेट के साथ ही एनटीए ने ज्वाइंट सीएसआईआर-यूजीसी नेट की परीक्षा का कार्यक्रम भी फिर से घोषित कर दिया है।
यह परीक्षा अब 25 से 27 जुलाई के बीच होगी। जो कंप्यूटर आधारित होगी। एनटीए ने 25 से 27 जून के बीच प्रस्तावित इस परीक्षा को 21 जून को अचानक से स्थगित कर दिया था। एनटीए ने इसके साथ ही शिक्षकों के प्रवेश से जुड़ी परीक्षा एनसीईटी की भी नई तारीखें घोषित की है, जो अब 10 जुलाई का होगी। इससे पहले 12 जून को आयोजित इस परीक्षा को एनटीए ने गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद उसी दिन रद कर दिया था। यह परीक्षा भी कंप्यूटर के जरिए होगी।
पेन-पेपर के मुकाबले कंप्यूटर के जरिए होने वाली परीक्षाओं में गड़बड़ी की कम आशंका को देखते हुए एनटीए आने वाले दिनों में नीट-यूजी की परीक्षा भी कंप्यूटर के जरिए ही करा सकता है। एनटीए में सुधार को लेकर गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने हाल ही में इस विषय पर विशेषज्ञों के साथ चर्चा की है। साथ ही इसके लिए जरूरी संसाधनों व समय का भी आकलन किया है।
सूत्रों के मुताबिक नीट-यूजी की परीक्षा में छात्रों की बढ़ती संख्या को लेकर भी जानकारी जुटाई गई है। मौजूदा समय में इस परीक्षा में शामिल होने के लिए न तो उम्र की कोई सीमा तय है न ही प्रयासों की कोई सीमा निर्धारित है। ऐसे में छात्र इनमें लगातार शामिल होते ही रहते हैं। ऐसे में यदि इसके लिए कोई सीमा निर्धारित की जाती है तो इनमें छात्रों की संख्या में भी कमी देखने को मिलेगी।