सप्त दिवसीय श्रीराम कथा का पांचवां दिन
कोटा। कथा कहती है बच्चों से तीन बातें सीखना चाहिए। बच्चे सदा ही माँ के भरोसे रहते हैं, खिलौने भी उन्हें तभी चाहिए होते हैं जब उन्हें खेलना होता है, वह उनका संग्रह नहीं करते और आपस का झगड़ा भी कुछ देर के लिए होता है, वे कभी परस्पर बैर नहीं करते। प्रेमभूषण महाराज ने उक्त बातें कोटा स्थित छप्पन भोग परिसर में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं।
प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री रामकथा गायन के क्रम में भगवान राम के चौदह निवास स्थान, राम- भरत मिलन सहित अन्य प्रसंगों का गायन करते हुये कहा कि सनातन धर्म में मनुष्य जीवन के हर क्षण को व्यवस्थित करने की व्यवस्था है। हमारे सनातन धर्म ग्रंथ बार-बार यह प्रमाणित करते हैं कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन के केंद्र में धर्म को रखा वही सुख और शांति के साथ जीवन जीने में सफल हो सका है।
पूज्यश्री ने कहा कि जिसके जीवन में संशय रहता है उसका विनाश हो जाता है। इसलिए संशय में कदापि नहीं रहना चाहिए। सदा और सर्वदा विश्वास में रहे क्योंकि यह कथा भी विश्वास ने ही सुनाई है। पाँचवे दिन के कथा प्रसंगों के क्रम में महाराज जी ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में जिस सहनशीलता को कभी बहुत बड़ा गुण समझा जाता था वही कुछ वर्ष पहले तक क्षमा की नीति हमारी कमजोर नस बन चुकी थी।
कोई भी मुँह उठा कर सनातन धर्म के बारे में अनर्गल प्रलाप कर लिया करता था। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है। समय बदल चुका है और इसका परिणाम भी सामने आ रहा है। भारत भूमि धर्म की भूमि है, तीर्थों की भूमि है, ऋषि मुनियों की भूमि है, धर्मशील आचरण करने वाले महापुरुषों की भूमि है, साधु संतों की भूमि है। राघवजी की कृपा से देश को धर्मशील प्रशासक मिला है। राघव जी इस व्यवस्था को आगे भी बनाये रखें।
भगवान श्रीराम की वन प्रदेश मंगल यात्रा प्रसंगों का गायन करते हुए पूज्य महाराज जी ने दर्जनों भजन सुनाए। पूज्य श्री ने कहा कि आसुरी शक्तियों के समापन के लिए ही भगवान श्रीराम ने वन प्रदेश की मंगल यात्रा का कार्यक्रम खुद तय किया था। उन्होंने राज्य सत्ता संभालने से पहले आसुरी शक्तियों का नाश किया। राम जी से हमारी युवा पीढ़ी को यही सीख लेने की आवश्यकता है कि युवा अवस्था में जो तपता है उसी का जीवन सफल होता है।
दौरान महाराज जी की अनुप्रेरणा से तैयार दो अति महत्वपूर्ण पुस्तकों कैसी पूजा से होगा लाभ व कैसे जियें हम यह जीवन का लोकार्पण गोदावरी धाम के व्यवस्थापक श्री शैलेन्द्र भार्गव के सान्निध्य में हुआ।
व्यास पीठ के पूजन और आरती में डॉ. अमिता बिरला, अपर्णा अग्रवाल सहित बिरला व अग्रवाल परिवार के अन्य सदस्य गण उपस्थित रहे। प्रवचन सत्र में बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए भजनों पर झूमते हुए देखा गया।