जयपुर। राजस्थान में भजनलाल सरकार में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों जगह मिलने की संभावना कम है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल किया जाएगा। ऐसे में वसुंधरा राजे समर्थक पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीचंद कृपलानी, अजय सिंह क्लिक और कालीचरम सराफ को मंत्री नहीं बनाया जाएगा।
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे समर्थक आधा दर्जन वरिष्ठ विधायक मंत्री बनने की दौड़ में है। मंत्री पद के दो प्रमुख दावेदार सतीश पूनिया और राजेंद्र सिंह राठौड़ चुनाव हार गए है।
जबकि राजे समर्थक माने जाने वाले श्रीचंद कृपलानी, अजय सिंह औऱ कालीचरण सराफ मंत्री बनने की रेस में शामिल है। लेकिन माना यही जा रहा है कि इस बार चांस नहीं मिले। हालांकि, एडजस्ट करने के लिहाज से राजे समर्थक माने जाने पहली जीते विधायकों को मौका मिल सकता है।
सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा नए प्रयोग कर रही है, वहीं सभी क्षेत्र और जातियों को साधने का प्रयास भी किया जा रहा है। 25 लोकसभा के हिसाब से मंत्री बनाए गए तो हाड़ौती को केवल दो या तीन ही मंत्री मिलने वाले हैं। जबकि यहां पर 5 से 6 लोग मंत्री पद के दावेदारी में सामने आ रहे हैं। ऐसे में यह चर्चा भी आम है कि जिस तरह से भाजपा नए लोगों को मौका दे रही है तो नए लोग आगे आ सकते हैं। हाड़ौती संभाग में कई वरिष्ठ नेता भी हैं जो पूर्व में मंत्री रह चुके है। यह सारी चर्चा राजनीतिक गलियारे में तेजी से सुनाई दे रही हैं।
कोटा संभाग की बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा के 8 में से 7 विधायक जीत कर आए हैं, जिसमें सबसे वरिष्ठ 7 बार के विधायक और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी का नाम सामने आता है। जबकि दो बार के विधायक ललित मीणा नए हैं तो इन्हें भी मौका दिया जा सकता है।
ललित मीणा किशनगंज विधानसभा सीट से जीतकर आए हैं और संघ के करीबी भी बताए जाते हैं। जबकि कोटा बूंदी लोकसभा की बात करें तो यहां पर 8 में से 4 विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती हैं।
इनमें सबसे पहला नाम मदन दिलावर और हीरालाल नागर का सामने आ रहा है। मदन दिलावर संघ के करीबी हैं और पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। भाजपा कार्यकारिणी में प्रदेश महामंत्री का दायित्व निर्वहन कर चुके हैं। जबकि हीरालाल नागर किसान मोर्चा में उपाध्यक्ष रहे हैं।