नई दिल्ली। Allergies: डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी सर्वे 2022 के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद 61 प्रतिशत लोग घरों की सफाई को लेकर गंभीर हुए हैं, पर बहुत सुधार नहीं आया है। घरों व ऑफिसों में लंबे समय से जमा धूल कण एलर्जी को ट्रिगर ही नहीं करते, बल्कि दमा व सांस संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। वायरल फीवर के लगभग 20 फीसदी मरीजों को एलर्जिक अस्थमा की शिकायत होती है। इसमें हल्के राइनाइटिस से लेकर एनाफिलेक्सिस (गंभीर प्रकार की एलर्जी) व दमा तक शामिल हैं।
एलर्जी होने पर यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं
- छींकना
- नाक बहना या बंद हो जाना
- आंखे लाल होना, खुजली होना
- आंखों से आंसू निकलना
- सांस लेते समय घर-घर की आवाज़ आना।
- लगातार खांसी होना
- छाती में जकड़न
- सांस फूलना
- खुजली होना
क्या होती है एलर्जी
एलर्जी एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें किसी खास चीज के खाने या संपर्क में आने पर आप बीमार महसूस करते हैं। एलर्जी तब होती है, जब रोग प्रतिरोधक तंत्र यह मान लेता है कि खाई या संपर्क में आई हुई चीज शरीर के लिए हानिकारक है। तब शरीर की रक्षा के लिए रोग प्रतिरोधक तंत्र एंटीबॉडीज उत्पन्न करता है। एंटीबॉडीज मॉस्ट सेल (शरीर के एलर्जी सेल्स) को ट्रिगर करती है कि वो रक्त में रसायनों का स्राव करें। इन रसायनों में एक है हिस्टामिन। यह आंख, नाक, गले, फेफड़ों, त्वचा या पाचन मार्ग पर कार्य करता है। जब शरीर किसी एलर्जन के विरुद्ध एंटीबॉडीज बना लेता है, तो ये एंटीबॉडीज आसानी से उन एलर्जन को पहचान लेते हैं। जैसे ही हम एलर्जन के संपर्क में आते हैं, शरीर तुरंत खून में हिस्टामिन जारी कर देता है और एलर्जी के लक्षण दिखते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्युनोलॉजी के अनुसार, विश्व के 8-10 फीसदी लोगों को एक या अधिक तरह की एलर्जी है।
डस्ट एलर्जी
डस्ट यानी धूल श्वास संबंधी समस्याओं का एक प्रमुख कारण है। इसलिए पेंट करवाएं या किसी धूल भरी सड़क से गुजरें, धूल को सांस के साथ अंदर जाने से रोकें। इसका फेफड़ों सहित पूरे श्वसन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है। फफूंद साफ करने वाले केमिकल्स/क्लीनर में भी कोरोसिव नामक रसायन होता है जो आंख, नाक और गले को प्रभावित कर सकता है, वहीं इनके इस्तेमाल के बाद उत्सर्जित होने वाली क्लोरीन गैस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। जिन्हें डस्ट एलर्जी है वो जब इन धूल के कणों यानी डस्ट के संपर्क में आते हैं तो इन कणों के शरीर में पहुंचते ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। डस्ट में केवल धूल, मिट्टी ही नहीं होती। कई तरह के महीन कणों के अलावा अति सूक्ष्म जीव भी होते हैं, जो दिखाई नहीं देते हैं। डस्ट माइट्स, फफूंद, पराग कण व पालतू पशु के बाल, फर, मृत त्वचा भी धूल में मौजूद होते हैं। दमा मरीजों के लिए ये लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
एलर्जिक अस्थमा
जो पदार्थ अस्थमा के लिए ट्रिगर का काम करते हैं, वही एलर्जी भी करते हैं। जब एलर्जी वाली चीजों के संपर्क में आने पर अस्थमा अटैक होता है तो उसे एलर्जिक अस्थमा कहते हैं। कई पदार्थ जैसे परागकण, धूल, पशुओं की मृत त्वचा कुछ सामान्य ट्रिगर हैं। पारिवारिक इतिहास एलर्जिक अस्थमा के लिए सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है। इसके अलावा अगर आपको अस्थमा नहीं है केवल एलर्जी है तो भी अस्थमा का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यही वजह है कि अपनी एलर्जी को शुरू में काबू करना जरूरी है।
बदलना होगा साफ-सफाई का तरीका
- नियमित साफ-सफाई पर ध्यान दें। लंबे समय तक कहीं भी गंदगी न छोड़ें।
- जब हम झाड़ू लगाते हैं, तब धूल के कण जमीन से उड़कर दीवारों, बेड, फर्नीचर पर जमा हो जाते हैं। ऐसे में बहुत कचरा हो तभी झाड़ू का इस्तेमाल करें, वरना सिर्फ पोंछा लगाएं।
- वैक्यूम क्लीनर से सफाई बेहतर विकल्प है। सप्ताह में एक बार दीवारों, दरवाजों, खिड़कियों और फर्नीचर को साफ करें।
- चादर व तकियों को एक सप्ताह में बदल लें।
- कालीन या कार्पेट भी समय-समय पर साफ करते रहें। यह धूल के कण जमा होने की अनुकूल जगह है।
- बाहर के जूते-चप्पल घर के अंदर न लाएं या अच्छी तरह साफ करें।
ये चीजें बढ़ाती हैं इम्यूनिटी
एलर्जी के प्रभाव को कम करने में खान-पान में सुधार भी जरूरी है। ग्रीन टी, हल्दी, शहद, इलायची, सूखे मेवे, टमाटर, अदरक , लहसुन, प्याज, दही व चिकन और मछली आदि खाएं। धूम्रपान व शराब का सेवन कम करें, ये इम्युनिटी को कमजोर बनाते हैं।
उपचार: बचाव का सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप एलर्जन से बचें। पहले किसी भी उपचार पद्धति में एलर्जी का स्थायी उपचार नहीं था। पर, अब एलोपैथी में उपचार उपलब्ध है, जिससे एलर्जी को जड़ से दूर कर सकते हैं। इसमें एलर्जी की पहचान करने के लिए ब्लड टेस्ट और स्किन टेस्ट किया जाता है। इससे पता चलता है कि मरीज को किस पदार्थ की एलर्जी है। उसी पदार्थ को प्युरिफाय करके मरीज को लगातार देते हैं। धीरे-धीरे शरीर की उस पदार्थ से इम्युनिटी बढ़ जाती है। इसे एलर्जन इम्युनोथेरैपी (एलर्जी शॉट्स) कहते हैं। इससे एलर्जिक अस्थमा ठीक करते हैं। नियमित गहरे श्वास लेने व छोड़ने का अभ्यास करें। प्राणायाम, कपालभाति और जलनेति करें।