भारत चालू वित्त वर्ष में देश 6.5% की आर्थिक विकास दर कर लेगा हासिल

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नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वर ने कहा है कि कम मानसूनी बारिश के बावजूद चालू वित्त वर्ष में देश 6.5 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल कर लेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण से बाहर होने की कोई वजह नजर नहीं आती है, क्योंकि सरकार और आरबीआइ दोनों आपूर्ति बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं।

सीईए ने कहा कि नई फसल आने और सरकारी उपायों से खाद्य मुद्रास्फीति आने वाले समय में कम हो सकती है। हालांकि अगस्त में हुई कम बारिश के असर का आकलन किया जाना बाकी है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी मूल्यों में बढ़ोतरी से प्रेरित नहीं है। ऐसे में हमारा अभी भी मानना है कि हम बहुत आराम से 6.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर लेंगे।

पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी होने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विकास अनुमान में जोखिमों का भी ध्यान रखा गया है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव व सख्त मौद्रिक नीति संभावित विकास दर को हासिल करने में व्यवधान पैदा कर सकती हैं। राजकोषीय घाटे के संबंध में नागेश्वरन ने कहा कि बजट में घोषित 5.9 प्रतिशत के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

आरबीआइ, अर्थशास्त्रियों और वित्त मंत्रालय की उम्मीदों के मुताबिक ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक तस्वीर रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक अप्रैल से जून, 2023 की तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत रही है। इस दौरान स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी का आकार 40.37 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो अप्रैल से जून, 2022 में 37.44 लाख करोड़ रुपये था।

विकास दर के हिसाब से भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में फिर से पहले स्थान पर है। इस अवधि में चीन की आर्थिक विकास दर 6.3 प्रतिशत रही थी। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत रही थी।