झरने में नहाती वह लड़की कौन थी, जिसे देखने के लिए बेताब रहते थे लोग

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नई दिल्ली। The Story Of Liril Girl: ला लारा ला ला…भले ही ये धुन 70 के दशक के विज्ञापन का हो, लेकिन आज भी अगर आप इसे सुन लें तो झरने में नहाती उस मॉडल का चेहरा याद आ जाता है।

1970 के दशक में भारत के लिए टेलीविज़न और बिकिनी, दोनों ही नई चीजें थीं, लेकिन एक मॉडल ने इसे घर-घर में पॉपुलर कर दिया। इस विज्ञापन ने न सिर्फ मार्केटिंग की दुनिया को बदल दिया, बल्कि किसी प्रोडक्ट को कैसे लोगों के जहन में बैठाया जाता है ये समझा दिया।

ऐसी ही एक कहानी है ‘लिरिल’ साबुन (Liril Soap) की, जिसने विज्ञापन के इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत कर दी। लिंटास (Lintas) कंपनी ने एक ऐसा विज्ञापन बनाया जिससे न केवल मॉडल को फेमस कर दिया, बल्कि विज्ञापन के लिए लोगों को सिनेमाघरों तक पहुंचा दिया। फिल्म के बीच में दिखाए जाने वाले इस विज्ञापन को देखने के लिए लोग सिनेमाघर पहुंचने लगे थे।

​कहानी की शुरुआत 70 के दशक से होती है जब मुंबई में भारी बारिश हो रही थी। मशहूर विज्ञापन निर्माता कैलाश सुरेंद्रनाथ मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक महिला मिलीं, जो टैक्सी का इंतज़ार कर रही थीं। कैलाश ने महिला को लिफ़्ट ऑफ़र किया।

महिला को मशहूर विज्ञापन कंपनी लिंटास जाना था। सफर के दौरान कैलाश ने उन्हें बताया कि वो विज्ञापन बनाते हैं। महिला ने उन्हें अपना पोर्टफ़ोलियो दिखाने को कहा, जो उसे काफी पसंद आया। दरअसल वो महिला लिंटास की फ़िल्म चीफ़ ‘मुबी इस्माइल’ थीं। इसी जोड़ी ने मशहूर लिरिल (Liril) को तैयार किया था।

​दोनों साथ काम कर रहे थे। साल 1975 की बात है। हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड यानी HUL अपना फ्रेशनेस सोप लॉन्च कर रहा था, जिसका नाम लिरिल था। कंपनी इस साबुन के प्रचार के लिए ऐसा ऐड बनवाना चाहती थी, जो उनके प्रोडक्ट को घर-घर पहुंचा था। कंपनी ने इसके लिए‘लिंटास’ से संपर्क किया। कंपनी ने कैलाश सुरेंद्रनाथ को जिम्मेदारी सौंपी। ऐड का थीम ताजगी और फ्रेशनेस था। कंपनी को नए चेहरे के साथ-साथ यूनिक लोकेशन की तलाश की।

कैलाश और उनकी टीम देशभर में घूमकर लोकेशन की तलाश कर रही थी। वहीं नए फेस को खोजने की तलाश भी जारी थी। कैलाश की खोज मुंबई के यूएस क्लब पर जाकर खत्म हुई, जहां उनकी मुलाकात 18 साल की करेन लुनेल (Karen Lunell) से हुई। कैलाश ने टीम को मॉडल मिल चुकी थी, अब लोकेशन की तलाश थी, जो तमिलनाडु के कोडैकानल वाटरफॉल ‘टाइगर फ़ॉल्स’ पर जाकर खत्म हुआ।

सांप का डर
टाइगर फ़ॉल्स केवल दिसंबर और जनवरी में ही भरा मिलता। टीम ने तय किया कि वो उसी वक्त ऐड शूट करेंगे, लेकिन उस दौरान तापमान काफ़ी कम रहता। 3 या 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान में झरने के नीचे ऐड की शूटिंग होनी थी। 20 मिनट का म्यूजिकल ट्रैक रिकॉर्ड हो चुका था। लुनेल को ऐड की शूटिंग के लिए झरने के पीछे भी जाना पड़ता था। उस दौरान उन्हें वहां उन्हें कई बार सांप भी दिख जाते थे। लुनेल के मन में सांप का डर था, लेकिन वो डरी नहीं और वन टेक में शॉट दिया।

शराब का सहारा
ठंड से ठिठुरने के बावजूद लुनेल की नेचुरल एक्टिंग के साथ ऐड की शूटिंग ख़त्म कर ली गई। एक इंटरव्यू में लुनेल ने बताया कि टाइगर फॉल्स में इतनी ठंड थी कि टीम और उन्हें ब्रांडी के शॉट लेने पड़ते। खुद को गर्म रखने के लिए उन्हें शराब का सहारा लेना पड़ा था। उन्होंने बताया कि उस दौर में बिकिनी पहनकर शूट करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इस विज्ञापन को बेझिझक होकर करने का फैसला किया।

एयरलाइन जॉइन
लिरिल साबुन के इस विज्ञापन के रिलीज़ होते ही करेन लुनेल की जिंदगी बदल गई। इस ऐड के बाद वो काफ़ी मशहूर हो गईं। लोग उन्हें देखते ही ख़ुशी से सीटी बजाने लगते थे। उन्हें ‘लिरिल गर्ल ’ का नाम दे दिया। उन्हें कई फ़िल्मों में भी रोल ऑफर हुए, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उन्हें पूरी दुनिया को देखना था, इसलिए उन्होंने एयरलाइन जॉइन कर लिया।