मुंबई। भारत में सोने की मांग वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में 24% गिरकर 145.9 टन रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। वर्ष 2016 की जुलाई-सितंबर तिमाही में यह मांग 193 टन थी।
इसकी प्रमुख वजह जीएसटी का लागू किया जाना है। साथ ही आभूषणों के खुदरा लेनदेन को लेकर धनशोधन रोधी कानूनों को अमल में लाए जाने से भी खरीदारों ने इससे दूरी बनाए रखी। समीक्षावधि में मूल्य के आधार पर आभूषण की मांग 31% घटकर 30,340 करोड़ रुपये रही है, जो वर्ष 2016 की समान अवधि में 43,880 करोड़ रुपये थी।
कुल निवेश मांग 23% घटकर 31 टन रही जो, पिछले साल इसी दौरान 40.1 टन थी। मूल्य के आधार पर इसमें 29% की गिरावट देखी गई और यह 8,200 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 11,520 करोड़ रुपये था।
वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में भारत में कुल 26.7 टन सोने का पुनर्चक्रण किया गया, जो 2016 की इसी अवधि में 25.7 टन था। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के भारत में प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी. आर. ने कहा, भारत की सोने की मांग में 2017 की तीसरी तिमाही में 24% की गिरावट देखी गई है।
इसकी वजह जीएसटी और आभूषण के खुदरा लेनदेन को लेकर धनशोधन रोधी कानूनों को लागू किए जाने से खरीदारों का खरीद से दूर रहना है। उन्होंने कहा कि लगातार तीन तिमाहियों में वृद्धि के बाद आभूषण की मांग में 25% की गिरावट आई है, जबकि सोने की छड़ और सिक्कों की मांग भी 23% घटकर 31 टन रही है।
उन्होंने कहा कि 2016 में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए, जिसके बाद 2017 में पूरे साल के लिए हमारा अनुमान सोने की मांग 650 से 700 टन रहने का है। यह पांच वर्ष के औसत से कम है। वर्ष 2018 में मांग बेहतर रहने की उम्मीद है।