नई दिल्ली। ओपेक प्लस देशों के उत्पादन में कटौती के अचानक फैसले से सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में एक साल की सबसे बड़ी एकदिनी उछाल देखी गई। आने वाले समय में यह 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर छू सकता है।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस समेत उसके सहयोगियों ने एक दिन पहले कच्चे तेल का उत्पादन 11.6 लाख बैरल प्रतिदिन घटाने की घोषणा की। क्रूड में सुधार के बावजूद कटौती की घोषणा बाजारों के लिए बड़ा झटका है। इससे ब्रेंट क्रूड 5.4 फीसदी महंगा होकर 84.22 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। डब्ल्यूटीआई क्रूड 5.5 फीसदी चढ़कर 79.84 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया।
कटौती की घोषणा के बाद गोल्डमैन सॉक्स ने ओपेक प्लस देशों के लिए 2023 अंत तक उत्पादन पूर्वानुमान को घटाकर 11 लाख बैरल प्रतिदिन कर दिया। साथ ही, कहा कि 2023 में ब्रेंट क्रूड 95 डॉलर प्रति बैरल और 2024 में 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच सकता है।
महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल: कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत में आयातित क्रूड में आ रही नरमी की स्थिति पलटेगी। यह देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में तेजी का कारण बन सकता है। ईंधन कीमत की समीक्षा में भी देरी हो सकती है। भारत 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।
भारत में पिछले महीने के दूसरे पखवाड़े में आयातित क्रूड (इंडियन बास्केट) अभी 73 से 74 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती संभावना बनी थी। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, सरकारी तेल कंपनियों को क्रूड के दाम में तेजी के बावजूद उसे स्थिर रखने के कारण जो घाटा हुआ था, वे अब उससे उबर रही हैं। अब दाम फिर बढ़ने लगे हैं।
मंदी की भी आशंका: तेल बाजार संबंधी विश्लेषण सेवा देने वाली कंपनी वांडा इनसाइट्स की वंदना हरि ने कहा, तेल बाजार को स्थिर करने के लिए उत्पादन में कटौती करने का ओपेक देशों का एहतियाती तर्क समझ से परे है। वह भी तब, जब बैंकिंग संकट टल गया है और ब्रेंट क्रूड 15 महीने के अपने निचले स्तर से सुधरकर 80 डॉलर के स्तर पर वापस आ गया है। कंसल्टेंसी रिस्टैड एनर्जी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जॉर्ज लियोन ने कहा, वैश्विक स्तर आर्थिक अस्थिरता को देखते हुए ओपेक प्लस देशों ने यह फैसला लिया होगा। यह इस बात का भी संकेत है कि बाजार में मंदी के पर्याप्त संकेतक मौजूद हैं।