नोटिफिकेशन रद्द नहीं हुआ तो 26 जनवरी को दिल्ली में आमरण अनशन करेंगे लंकेश
कोटा। कर्मयोगी रावण सरकार के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजाराम जैन कर्मयोगी रावण सरकार तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भवानीमंडी लंकेश दिनेश दिलवाला द्वारा बुधवार को जिला कलेक्टर कोटा के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इससे पहले जैन समाज द्वारा विरोध स्वरूप निकाली गई रैली को कर्मयोगी रावण सरकार द्वारा समर्थन दिया गया। कर्मयोगी ने सेवन वंडर्स से ही रथ पर सवार होकर रैली में भाग लिया।
उनके साथ में अर्धांगिनी अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार अलका दुलारी जैन कर्मयोगी भी मंदोदरी की भूमिका में उपस्थित रहीं। साथ ही, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भवानीमंडी लंकेश दिनेश दिलवाला अपनी अर्धांगिनी सहित रैली में भाग लेकर कलेक्ट्री पहुंचे। यहां पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार कोटा की धरती पर कलाकार लंकाधिपति लंकेश परिवार ने जैन समाज के साथ खड़े होकर ज्ञापन प्रस्तुत किया है। हम आपकी भावनाओं का सम्मान रखते हुए इसे प्रधानमंत्री तक पहुंचाएंगे।
ज्ञापन में राजाराम जैन कर्मयोगी ने कहा कि पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर जी (Sammed Shikharji) को केंद्र एवं झारखंड राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल बनाए जाने की अदूरदर्शिता पूर्ण अधिसूचना जारी की गई है। जिसके बाद विश्वव्यापी जैन धर्म अनुयायियों की आस्था को भारी आघात पहुंचा है। यह अविवेकपूर्ण सोच है। जिसका विरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शाश्वत निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखरजी का कण कण परम पावन एवं पूजनीय है। जैन तीर्थंकर इसी भूमि पर परम सिद्ध बने और भविष्य में भी बनते रहेंगे। विश्वव्यापी जैन श्रद्धालु पर्वतराज पर चढ़ने से पहले स्नान कर पवित्र वस्त्र पहन कर नंगे पैर पर्वत की धूली अपने मस्तक पर लगाकर पर्वत की वंदना करते हैं। जैन समाज की के भावनाओं को ध्यान में रखकर तुरंत प्रभाव से सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को देश के लंकेश दिल्ली पहुंचकर आमरण अनशन करेंगे।
जैन धर्म में महापंडित रावण भावी तीर्थंकर के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें भी भविष्य में ध्यान की उत्कृष्ट अवस्था इससे पर्वतराज के मनोरम मनोरम और पवित्र स्थल पर होकर परम सिद्धि की प्राप्ति एवं निर्वाण प्राप्त होगा। जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ हुए हैं। रावण भगवान शांतिनाथ के परम भक्त थे।
शांतिनाथ विधान की पूजा सर्वप्रथम रावण ने ही की थी। रावण के महल में 1000 सोने के विशाल खंभों से निर्मित भगवान शांतिनाथ का मंदिर रावण के द्वारा ही निर्मित करवा कर भगवान श्री शांतिनाथ का नियमित पूजन किया जाता था। इस प्रकार रावण का जैन धर्म से प्राचीनतम नाता होने के कारण हम देश के सभी लंकेश कलाकारों का संगठन कर्मयोगी रावण सरकार की ओर से इस निर्णय का विरोध किया जाएगा।