आखिर क्यों करते हैं कोटा में कोचिंग छात्र आत्महत्या, जिम्मेदारी किसकी?

0
287

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। coaching student suicide case: एक दिन, एक हॉस्टल, एक ही कोचिंग संस्थान कोचिंग सिटी कहे जाने वाले कोटा की वह कहानी कह गए जो कहीं नहीं जानी चाहिए। उस दिन 13 दिसम्बर को एक ही राज्य बिहार के एक ही कोचिंग संस्थान एलन से आईआईटी में प्रवेश के लिए कोचिंग कर रहे दो कोचिंग छात्रों ने कोटा में जवाहर नगर के एक हॉस्टल के अगल-बगल के कमरे में रहने वाले दो कोचिंग छात्रों ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान दे दी।

उस दिन कोटा में इन दोनों ने भी नहीं बल्कि तीन कोचिंग छात्रों ने अपनी जान दी थी। एलन कोचिंग संस्थान से आईईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले इन दो होनहार छात्रों उज्जवल और अंकुश के अलावा कोचिंग से ही जुड़े कोटा के कुन्हाड़ी इलाके में नीट के एक और कोचिंग संस्थान के छात्र प्रवेश वर्मा ने जहर खाकर जान गवा दी। तीनों मामलों में हालांकि यह भी समानता है कि तीनों ने मरने का निर्णय करने से पहले कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा।

इसलिए पुलिस प्रथम दृष्टया वह यह नहीं बता पा रही थी कि आखिर किस खास वजह से तीनों ने अपनी जान दी, लेकिन कोटा के कोचिंग छात्रों में से बहुतेरे का यह मनोविज्ञान खासतौर से एलन जैसे संस्थान के छात्रों पर कोचिंग का यह स्ट्रेस बहुत स्पष्ट है कि पढ़ाई का दबाव ही असहज मौतों की बड़ी वजह रहा है।

किसी कोचिंग संस्थान की कोई कोचिंग फ़ैकल्टी या जिला प्रशासन से जुड़ा कोई अधिकारी भले ही आधिकारिक तौर पर कोटा में कोचिंग के छात्रों के खुदकुशी करने के बढ़ते मामलों पर नहीं बोले, लेकिन यह तय है कि कोचिंग छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति दूसरे राज्यों में कोटा की छवि को काफी कलंकित कर रही है।

हालांकि यदि इस बारे में कोचिंग संस्थान के प्रबंधन से जुड़े उनके प्रचारकों या विज्ञापन से मोटी आय जुटा रहे कुछ प्रचारक अखबारों के प्रबंधन से बात करें तो वे आंकड़ो के पोथी-पुराण लेकर यह पुख्ता आंकड़ा पेश करने की कामयाब कोशिश में लग जाते हैं कि कोटा में आत्महत्या का यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से भी कम है।

अब इन व्रज लोगों को यह बहस कर या समझा पाना कठिन होता है कि फिर भी कोटा में कोचिंग छात्र ही क्यों ज्यादा आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं और वह भी कोटा के एक खास कोचिंग संस्थान की छात्र ही। फ़िर अगर बहस हो रही हो तो ऐसे बहुतेरे लोग जमा होकर उपदेश देते नजर आते हैं कि कुछ भी हो, आज कोटा जो कुछ भी है, इन कोचिंग वालों की वजह से ही तो है।

जब कोटा के कारखाने बंद हो रहे थे तो इन कोचिंग वालों ने ही तो संभाला था। यह उपदेशक अपने इस अंदाज में पेश करते हैं कि यदि यह कोचिंग वाले नहीं होते तो फैक्टरियां बंद होने के बाद बेरोजगार हुए लोग इतिहास प्रसिद्ध किसी अहमद शाह अब्दाली या चंगेज खां या फिर मोहम्मद गजनी बन जाते। ऐसा जताने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि उपरोक्त लुटेरों में से तो कोई कोटा आया नहीं, अलबत्ता कुछ कोचिंग वाले इन्ही के छद्म रूप में यहीं पनप रहे हैं।

साथ ही इस बात को बिसरा दिया जाता है कि आम से अहम तक सभी छात्रों से ‘समान व्यवहार’ करते हुए यह कोचिंग मालिक मोटी फीस वसूलते हैं। कुछ खास प्रतिभाशाली छात्रों पर फोकस कर अपनी जीत का झंडा फ़हरा देते हैं। उनकी पीठ थपथपाने के लिये कुछ प्रचारक अखबार मौजूद हैं ही, लेकिन मोटा मुनाफा कमाने को खेला जाने वाला यह खेल अनेक को तनाव बांट रहा है और नतीजतन चली जाती है कुछ होनहारों की जान।

अब जबकि तथाकथित कोचिंग सिटी कोटा में एक ही दिन में तीन कोचिंग छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जान गवा दी तो प्रशासन को तो जवाबदेही का दावा करने वाले प्रशासन को तो जागना ही था, तो जाग गया और बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया जैसा पहले भी होता रहा है। लेकिन अभी तक यह समझ पाना मुश्किल है, कि इन बैठकों में किए गए फैसले कौन सी कोचिंग संचालक या हॉस्टल संचालक मानते हैं। बहरहाल प्रशासन भी इस बात को अच्छे से समझता है कि यही कोचिंग संस्थान कोचिंग स्टूडेंट में कोचिंग के नाम पर स्ट्रेस बांट रहे हैं।

जब कभी ऐसी घटनाएं होती है या बढ़ती हैं तो प्रशासन इन कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल संचालकों आदि की बैठकें करता है। प्रशासन चिंतित है और इसी चिंता में कोटा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रफुल्ल कुमार खमेसरा ने मंगलवार को कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोगों और हॉस्टल संचालकों की बैठक भी बुलाई, जिसमें पहले से तय गाइड लाइन के सख्ती से पालना के भी निर्देश दिए।

उसी के साथ कोचिंग छात्रों में गैर-शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया। ताकि, उन पर कोचिंग का स्ट्रेस कम हो और प्रफुल्लित माहौल मिले। रविवार को अवकाश रखने को कहा गया है ताकि कम से कम छात्रों को कोचिंग के तनाव भरे माहौल से एक दिन तो अवकाश मिल सके। अब इस गाइड-लाइन और इन दिशा-निर्देशों का यह कोचिंग संचालक कितना पालन करते हैं और उसकी पालना भी करते हैं अथवा नहीं, इसको प्रशासन खुद ही कितने देखता है, यह तो आने वाले दिन ही बता पाएंगे।

कोचिंग संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो
कोटा में स्टूडेंट्स के सुसाइड को लेकर सांगोद से कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कोटा कलेक्टर को पत्र लिखकर कोचिंग स्टूडेंट्स द्वारा सुसाइड करने पर कोचिंग संस्थान की भूमिका की जांच की मांग की है। साथ ही प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें।