अखिल भारतीय मुशायरा: इश्क सौगात है, मगर कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है..

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कोटा। राष्ट्रीय मेला दशहरा में गुरुवार को विजयश्री रंगमंच पर अखिल भारतीय मुशायरा आयोजित किया गया। इस दौरान शायरों ने देर रात तक दाद लूटी। मुशायरे की शुरुआत माजिद देवबंदी के नात ए पाक से हुई। उन्होंने ” आका के मदीने की हर चीज मिसाली है…” गाया।

संचालन जिया टोंकी ने किया। उन्होंने मंत्री शांति धारीवाल की शान में “तुम फूल को चुटकी में मसल सकते हो, लेकिन खुशबू को महकने से रोक नहीं सकते…” पढ़कर मुशायरे की शुरुआत की। इसके बाद फर्रुख नदीम ने गीत लिखता हूँ न मैं गजल लिखता हूँ…” पढ़ा। डॉ. फरीद खान ने “हम वो नहीं जो करते हैं परवाह जान की, सर दे के लाज रखेंगे भारत महान की..” पेश किया।

अजीम देवासी ने ” फूल मंदिर के भी मस्जिद में महकते देखे..” पढ़कर एकता की बात की। इसके बाद में वसीम झिंकान्वी ने “हमको तिरंगा जान से प्यारा लगता है..” पढ़कर दाद लूटी। हामिद भुसवली ने ” मेरे हक में तु नहीं बोला तो बोलेगा कौन..”, डॉ. संदेश त्यागी ने पैसे प्यास के होते हैं, पानी के नहीं होते.. ” पढ़ी।

अब्दुल सलाम खोकर ने दिल के रिश्तों को सदा प्यार से जोड़ा जाए…, शकील आजमी ने नंगे हो जाते हैं अखबार में रहने के लिए…” पढ़कर व्यंग्य किया। कोटा के चाँद शेरी ने मिसरे पेश करते हुए “हम वो हैं जो गंगा के पानी से रोजा खोलते हैं…” के द्वारा कौमी एकता की मिसाल पेश की। जौहर कानपुरी ने रिश्तों की अहमियत पेश करते हुए “ये रिश्ते टूट जाएंगे तो भारत टूट जाएगा…” पढ़ा। शबीना अदीब ने” मेरा मकसद है दुनिया में मोहबती हो जाए..” गाकर मोहब्बत की परिभाषा समझाई।

माजिद देवबंदी ने बंद हो जाएंगे मंदिर मस्जिद दिल से दिल को मिलाओ तो पहले… पढ़कर दाद पाई। शम्स तबरेजी ने जिसको दो वक्त की रोटी भी मयस्सर नहीं.. पढ़ी। अना देहलवी ने तिरंगे की शान में “दिल में जो है मेरे अरमान भी दे सकती हूँ, मैं तिरंगे के लिए जान भी दे सकती हूँ… पढ़ी तो तालियों से दशहरा मैदान गूंज उठा। विजय तिवारी ने नसीब बिगड़ा तो गूंगे बुराई करने लगे पढ़कर दुनिया की सच्चाई बयां की।

इकबाल अशहर ने ” हौसला, रखना रात बीतेगी, देखना रोशनी ही जीतेगी के द्वारा सकारात्मक रहने की सीख दी। इसके बाद डॉ. खालिद नय्यर ने दोस्ती भाईचारा मियाँ आजकल ख्वाब सा बन गया… पढ़ा। रेहान फारुकी ने मोहब्बत की बात करते हुए ‘इश्क सौगात है मगर कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है..’ पढ़ी। इसके बाद तू दुनिया है.. तमाशा कर रही है… पढ़ा।